Basti News: बेलगड़ी में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कन्हैया का जन्म, ‘नन्द के आनन्द भयो’ के जयकारों से गूंजा पांडाल

Basti News: बेलगड़ी में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कन्हैया का जन्म, ‘नन्द के आनन्द भयो’ के जयकारों से गूंजा पांडाल
Basti News: बेलगड़ी में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कन्हैया का जन्म, ‘नन्द के आनन्द भयो’ के जयकारों से गूंजा पांडाल

 माया का आश्रय लिये बिना भगवान अवतार नहीं ले सकते. चन्द्र रोहिणी नक्षत्र में आया, दिशाये स्वच्छ हुई, आकाश निर्मल हुआ, नदी का तीर निर्मल हुआ, महात्मा प्रसन्न हुये और भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि में कन्हैया का जन्म हुआ. कथा पाण्डाल में भगवान कृष्ण का जन्म होते हुये ‘नन्द के आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की’ के बीच आनन्द के साथ जन्मोत्सव मनाया गया. महात्मा जी ने कहा कि मन में भगवान के आते ही बन्धन टूट जाते हैं.

 यह सद् विचार आचार्य संदीप शरण शुक्ल ने बेलगड़ी में आयोजित 9 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन हुये व्यासपीठ से व्यक्त किया.महात्मा जी कहा कि ब्रम्ह सम्बन्ध होने  पर जगत के बन्धन टूट जाते हैं. यशोदा के गोद में खेलते हुये बाल कृष्ण का गोपियां दही से अभिषेक करने लगी. आनन्द में पागल गोपियां कन्हैया का जय-जयकार कर रही है. जो सदैव आनन्द में रहे वही नन्द हैं. ईश्वर से मिलन होने पर जीव आनन्द से झूम उठता है. उत्सव तो हृदय में होना चाहिये. आजकल लोग शरीर की अपेक्षा मन से अधिक पाप करते हैं. शरीर को मथुरा बनाओ तो आनन्द आ जाय.

भरत चरित्र, अजामिल, भक्त प्रहलाद, धर्म के निरूपण, वृत्रासुर के चरित्र राजा रहूगण को भरत का उपदेश सहित अनेक प्रसंगो का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि  जिसका शरीर सुन्दर है किन्तु हृदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है. पूतना का विनाश होने पर ही कृष्ण मिलन हो पाता है. जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है. मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है. भजन के लिये अनुकूल समय की प्रतीक्षा न करो, कोई भी क्षण भजन के लिये अनुकूल है. प्रत्येक क्षण को  सुधारोगे तो मृत्यु भी सुधरेगी.

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श्रीमती आशा शुक्ला और अष्टभुजा प्रसाद शुक्ल ने परिजन और श्रद्धालुओं के साथ कथा व्यास का विधि विधान से पूजन अर्चन किया. कथा में मुख्य रूप से श्रीमती आशा शुक्ला और अष्टभुजा प्रसाद शुक्ल ने परिजन और श्रद्धालुओं के साथ कथा व्यास का विधि विधान से पूजन अर्चन किया. परमपूज्य रामचन्द्र शुक्ल, श्रीमती सरोज शुक्ला की स्मृति में आयोजित कथा में मुख्य रूप से दुर्गा प्रसाद शुक्ल, डॉ० जगदम्बा प्रसाद शुक्ल, डॉ. अम्बिका प्रसाद शुक्ल, अखिलेश कुमार शुक्ल अजय कुमार शुक्ल, आनन्द कुमार शुक्ल, विशाल शुक्ल, अभिषेक शुक्ल, आंजनेय शुक्ल, अमित शुक्ल, डॉ० मारूति शुक्ल, सर्वज्ञ शुक्ल, सूर्याश शुक्ल मंगलम शुक्ल, आदित्य शुक्ल, आराध्य शुक्ल, शिवाय शुक्ल, अच्युत गोविन्द शुक्ल के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. 

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