Basti News: 'हाईटेक' हो गए हैं हर्रैया तहसील के कर्मी, गूगल पे पर ले रहे रिश्वत; बिना घूस नहीं हो रहा है कोई काम

हर्रैया तहसील में डिजिटल साक्ष्यों के बावजूद बचाए जा रहे घूसखोर...!

Basti News: 'हाईटेक' हो गए हैं हर्रैया तहसील के कर्मी, गूगल पे पर ले रहे रिश्वत; बिना घूस नहीं हो रहा है कोई काम
harraiya news

-श्रीश द्विवेदी-
बस्ती.  जबसे घूसखोरी में रंगे हाथ पकड़े गए एक लेखपाल को तहसीलदार हर्रैया (Tahseeldar Harraiya) ने जांच के नाम पर बचाने का जिम्मा लिया है, lतब से तहसील में घूसखोरों का मनोबल अपने चरम पर पहुंच गया है. आम अवाम अधिकारियों की इस ‘जीरो ऐक्शन’ वाली नीति से हैरान तो है ही. बिना नकद के कोई काम न होने से काफी हलकान भी है. गौर क्षेत्र पंचायत के गोभिया गांव निवासी मोहम्मद अजीम ने अपने पट्टे की जमीन पर कब्जा दखल के मामले में एक एप्लीकेशन एसडीएम हर्रैया को बीते मार्च माह में दिया था. जिसपर एसडीएम के आदेश के क्रम में मौके पर नायब तहसीलदार हर्रैया निखिलेश कुमार, हल्का लेखपाल अरविन्द कुमार पासवान के साथ गये भी थे. अजीम नें बताया कि, ‘मौके से जब ये लोग वापस होने लगे तो लेखपाल नें मुझे किनारे ले जाकर पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिये 10 हजार रूपये की मांग की. जब मैने तुरन्त पैसा तैयार न होने की बात कही तो उन्होंने अपना नम्बर देकर मुझे बाद में ‘गूगल पे’ कर देने को कहा.’

अजीम जानता था कि, जमाना घूसखोरी का चल ही रहा है. लिहाजा, भाग दौड़ से बचने के लिए व्यवस्था करके उसने लेखपाल को 28 मार्च को आनलाइन घूस दे भी दी. और काम होने का इन्तजार करने लगा. लेकिन करीब तीन माह तक लेखपाल टाल मटोल करता ही रहा. घूस दे देने के बाद भी लम्बे समय तक काम न होने से परेशान अजीम स्थिति स्पष्ट करने आखिरकार तहसील कार्यालय पहुंच गया. और लेखपाल से काम न होने का कारण पूछा. जिस पर लेखपाल ने कहा कि, नायब निखिलेश के भी पेट है. और वे भी 20 हजार लेंगे. तब तुम्हारा काम हो पाएगा वरना नहीं होगा. विपक्षी ज्यादा देने को तैयार है. उसी के मुताबिक रिपोर्ट लगा दी जाएगी. इतनी भारी भरकम घूस दे पाने में अजीम अब लाचार हो चुका था. और एसडीएम से इस सब की शिकायत करने के अलावा उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था. 

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घूस पेमेन्ट के डिजिटल साक्ष्य के साथ की गई अजीम की शिकायत पर एसडीएम हर्रैया सुखवीर सिंह ने मामले के परीक्षण की जिम्मदारी तहसीलदार हर्रैया को सौंपी. और तहसीलदार नें आरोपी लेखपाल से इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए 7 जुलाई को 15 दिन का समय दिया. लेकिन, किसी चूहेदानी में फंसे हुए चूहे की तरह डिजिटल साक्ष्यों में फंसा हुआ लेखपाल भला क्या स्पष्टीकरण देता ? 

समय सीमा समाप्त हो गई लेखपाल को न स्पष्टीकरण देना था, न ही दिया. रही बात कार्रवाई की तो तहसीलदार साहब बचाने वाले लहजे में अपनी व्यस्तता का हवाला दे रहे हैं. उधर डरा हुआ अजीम बताता है कि, लेखपाल ने कहा है कि, शिकायत करके तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है. अब तुम्हारा काम भी नहीं होगा. और हमारा भी कुछ नहीं बिगड़ेगा. तहसीलदार साहब ने जिम्मा लिया है.      

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