Ram Vivah 2022: दो सौ वर्षों का विवाहोत्सव का इतिहास समेटे हुए है सिद्ध पीठ रंगमहल
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दो सौ वर्ष पूर्व रामकोट स्थित प्रतिष्ठित पीठ रंगमहल में प्रवर्तित विवाहोत्सव की परंपरा आज भी पूरी भव्यता, संजीदगी और परिपूर्णता के साथ प्रवाहमान है. भगवान की रसिक भाव से उपासना करने वाले रंगमहल के संस्थापक आचार्य सरयूशरण और उनकी परंपरा के शिष्यों-शागिर्दों ने आराध्य के प्रति भाव अर्पित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और इसके लिए उन्होंने आराध्य के परिणय को सर्वाधिक अहम् माना.
मंदिर में ही एक पक्ष वर और दूसरा कन्या पक्ष का घोषित कर सीता-राम विवाह को जीवंत करने की हर संभव कोशिश होती है.
शुक्रवार 25 नवम्बर को मंडप प्रवेश एवं तिलकोत्सव के साथ शुरू विवाहोत्सव तेल पूजन, मंत्री पूजन, बरात, द्वारचार, भांवर, विदाई आदि की रस्म निष्पादित करने की पूरी तैयारी है.
रंगमहल में सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मंडप को एकादशी तिथि को सजा दिया गया है वर्षों से ठाकुर राम जानकी का विवाह उसी मंडप में संपन्न होता है.
रंगमहल के वर्तमान आचार्य महंत रामशरणदास ने बताया कि रंगमहल मां कौशल्या ने विदेहनंदिनी भगवती सीता को मुंह दिखाई में दी थी. ऐसे में इस स्थल पर रामवविवाह को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती. आश्रम में संचालित रामलीला मुनि आगमन, ताड़का, मारीच-सुबाहु बध, नगर दर्शन, धनुषयज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद से होती हुई रामविवाह के प्रसंग को जीवंत करेगी.
हालांकि उत्सव का शिखर रामबरात के साथ परिभाषित होगा. इस दौरान संगीत, सत्संग की भी सरिता प्रवाहित हो रही है, जिसमें हजारों की संख्या में संत एवं श्रद्धालु शिरकत कर रहे हैं. पुजारी साकेत दास ने बताया कि विवाह उत्सव 25 नवंबर से प्रारंभ होकर के 28 नवंबर तक चलेगा. विवाह की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है इस वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ विवाह पर मनाया जाएगा.
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