Basti Vidhan Sabha Election News: कयासों के बीच उम्मीदों के साये में कर रहे हैं चुनाव प्रचार
- भाजपा , सपा ने अभी तक नहीं खोले हैं पत्ते - दोनों दलों के नेता उम्मीदों तले क्षेत्रों में कर रहे हैं प्रचार - चुनावी चौसर में बसपा के पांच, कांग्रेस के दो प्रत्याशी घोषित
-भारतीय बस्ती संवाददाता-
बस्ती. चुनाव परवान चढ़ने को हैं मगर अब तक राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले है. भारतीय जनता पार्टी व समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. जिससे कयासों के गर्म बाजार में उम्मीदों के साये में सभी नेता चुनाव प्रचार कर रहे है.
अब तक टिकट नहीं फाइनल होने से पार्टी के उपर भले ही फर्क नहीं पड़ रहा है. मगर नेताओं की माली और जमीनी हालत दोनों पर असर पड़ना शुरू हो चुका है. राजनीतिक दलों के इस रवैये से टिकट मांगने वाले नेता कहीं दूसरे दलों में दस्तक तक नहीं दे पा रहे है. सभी टिकटार्थी क्षेत्र में पूरे मनोयोग से पार्टीयों के कार्यों और योजनाओं का प्रचार कर रहे है. जिसका पूरा लाभ सिर्फ राजनीतिक दलों को हो रहा है.
सत्तारूढ़ भाजपा में टिकट के लिए लम्बी लाइन लगी हुई है. बस्ती सदर, रूधौली, कप्तानगंज, महादेवा और हर्रैया विधानसभा से दावेदारों की भारी-भरकम फौज टिकट के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए है. कयासों के बीच दावेदार अपने प्रतिद्वंदियों का मौखिक रूप से टिकट तक कटवा दे रहे है. चुनाव आयोग द्वारा 22 जनवरी तक खुले रूप से प्रचार पर पांबदी लगने से राजनीतिक तापमान में गिरावट महसूस की जा रही है.
समाजवादी पार्टी में भी टिकटबाजों की लम्बी-चौड़ी फेहरिस्त है. हर सीट पर तीन से चार प्रत्याशी दांव आजमा रहे है. क्षेत्र में साइकिल चुनाव निशान के लिए प्रचार भी कर रहे है. मगर टिकट के बारे में पूछने पर सन्नाटा मार जाते है. ऐसे में किसका टिकट कब फाइनल होगा इसमें संशय बना हुआ है.
बसपा ने जिले की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषण कर दी है. बसपा ने सदर सीट से डा आलोक रंजन, हर्रैया से पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह, रूधौली से अशोक मिश्र, कप्तानगंज से जहीर अहमद जिम्मी व महादेवा विधानसभा सीट से लक्ष्मीचंद्र खरवार को प्रत्याशी बनाया है. बसपा के नामों की घोषण होने से इसके प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी और अपने प्रचार में लग गये है. वहीं कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटो पर अभी तक नाम फाइनल किया है. रूधौली से बसंत चौधरी व हर्रैया सीट से लबोनी सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा है.
राजनीतिक दलों द्वारा किसे टिकट दिया जाएगा, किसे नहीं. ये वक्त बताएगा. मगर जिस तरह से भाजपा और सपा में घमासान मचा हुआ है. उससे चुनाव बेहद रोचक होने वाला है.
सूत्रों की माने तो कुछ दिग्गज नेताओं का दिल कहीं और दिमाग कहीं चल रहा है. यदि टिकट किन्हीं परिस्थितियों में कटा तो वे निर्दल या किसी भी दल से चुनाव मैंदान में उतरकर राजनीतिक दलों का समीकरण बिगाड सकते हैं. वैसे भी अनेक छिटुपुट दलों के पदाधिकारी ऐसे अवसरों की खोज में हैं कि कोई भी चुनाव लड़ने को तैयार हो तो चुनाव चिन्ह उसके गले में डाल दें. कुल मिलाकर माहौल असमंजस, कशमकश और संभावनाओं, आशंकाओं की धुधली तस्बीर बना रहे हैं. समर्थक, कार्यकर्ता भी बेचैन है.