OPINION: बच्चों के लिए सामयिक प्रयोगवादी हो बुनियादी शिक्षा

OPINION: बच्चों के लिए सामयिक प्रयोगवादी हो बुनियादी शिक्षा
education news bhartiya basti (1)

संजीव ठाकुर
बुनियादी, नैतिक शिक्षा किसी भी व्यक्ति समाज और राष्ट्र के नैतिक तथा आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है. शिक्षित सुसंस्कृत नागरिक देश की एक बड़ी धरोहर होते हैं .जिस राष्ट्र में शिक्षा,संस्कृति जितनी गहरी और समृद्ध हो वह राष्ट्र उतना ही विकसित,पुष्पित, पल्लवित होता है. इसके साथ आर्थिक वैज्ञानिक सोच भी अत्यंत विचारणीय है.हर देश में राष्ट्र के प्रति और राष्ट्रहित के प्रति चिंतन करने वालों का समूह होना चाहिए,जो प्रजातांत्रिक लोकतांत्रिक तथा राष्ट्रहित के विचारों और विकास के मूल मंत्र को नई ऊर्जा ताजा हवा और आगे बढ़ने की सच्चाई को इंगित कर सकें. बिना संस्कृति ,संस्कार और वैचारिक क्षमता के कोई भी राष्ट्र वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय प्रगति करने की सोच भी नहीं सकता. वैचारिक और सैद्धांतिक अंतरधारा, सिद्धांतों को कुचला या नष्ट नहीं किया जा सकता. व्यक्तिगत वैचारिक अभिव्यक्ति भारत के संदर्भ में गणतंत्र की मूल आत्मा है.

विचार और सिद्धांत व्यक्ति की अंतःप्रज्ञा होती है. यह सिद्धांत तथा अंतः विचारधारा जनमानस तक पहुंचने से बाधित किया जाए तो अंतरात्मा को प्रभावित करती है. इसके गहरे प्रभाव से व्यक्ति वह सब कर सकता है, जो बिना मार्गदर्शन के व्यक्ति नहीं कर सकता. प्राचीन काल से अब तक मनीषियों के वैचारिक सिद्धांत और विचारधारा सदैव समाज के दिग्दर्शक मार्गदर्शक रहे हैं. इनकी भूमिका सदैव महत्वपूर्ण रही है.यदि यही सिद्धांत और अंतः प्रज्ञा जनमानस आत्मसात कर लेता है, तो इसका प्रभाव एक जन आंदोलन का रूप ले लेता है और यहीं से युग परिवर्तन की लहर उत्पादित होती है. प्राचीन यूनान में एक बहुत ही कुरूप किंतु विद्वान व्यक्ति रहते थे,उनके विचारों में मौलिकता,नयापन जनजागृति की अद्भुत क्षमता थी. उनकी विद्वता के कारण आम जनमानस होने राजा से ज्यादा महत्व और बुद्धिमान मानते थे. राजकीय तानाशाही के चलते उनके विचारों के कारण उनको मृत्युदंड दे दिया गया. जहर का प्याला पीने के बाद भी विद्वान, चिंतक, सुकरात अमर हो गए, उनकी विचारधारा आज भी जीवित है, एवं लोग उसे अपनाकर अपना जीवन सुधारने में इसका उपयोग करते हैं. अब्राहम लिंकन ने अमेरिकी स्वतंत्रता के बाद दास प्रथा के बारे में कहा था कि दास भी मनुष्य हैं, उन्हें भी उतना ही जीने का अधिकार है जितना स्वामी को है. अब्राहम लिंकन के आंदोलनकारी विचार से तत्कालीन समय में अमेरिका के लोग घबरा गए थे,और उनकी हत्या कर दी गई थी. पर अब्राहम लिंकन के विचारों ने दास प्रथा के उन्मूलन की अंतर आत्मा को जागृत कर दिया था, और जनमानस ने अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए दास प्रथा से मुक्ति पाई थी.

यह भी पढ़ें: OPINION: कोरोना से डरे नहीं, नियमों का पालन करें

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि हम जो सोचते हैं वही बन जाते हैं. विचार एवं सिद्धांत ही व्यक्ति का निर्माण करता है. वही दुष्ट होने या महान होने का निर्णायक है. और बिना विचारों सिद्धांतों के व्यक्त व्यक्ति का अस्तित्व ही नहीं . विवेकानंद जी के विचार सर्व कालीन प्रासंगिक है. उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके जीवित रहते हुए थे. आज हमारे बीच विवेकानंद जी स शरीर मौजूद नहीं है, पर उनके विचारों की महत्ता कायम है.भौतिक शरीर के नष्ट हो जाने से और भौतिक विचार तथा सिद्धांत उतनी ही तीव्रता रखते हैं, वेग रखते हैं, जो एक समाज में परिवर्तन ला सकती है .विचारों की यह अमरता तथा तीव्रता किसी भी तानाशाह के लिए इतनी खतरनाक है, जितनी की सुप्त शेर की गुफा में रहना. जनता के मध्य शुद्ध विचारधारा के जागृत होने पर क्रांति लाई जा सकती है. फिर चाहे वह फ्रांस के वर्साय के महल का विध्वंस हो अथवा भारत की स्वतंत्रता हेतु वृहद आंदोलन हो. व्यक्ति या व्यक्तियों के दबाव को दबाने के बाद विचारों की पीड़िता ने जनसामान्य को एक गरजते हुए सिंह में तब्दील कर दिया था. यह शाश्वत सत्य है कि व्यक्ति को जरूर आप दबा सकते हैं,पर विचारधारा सिद्धांत अजर अमर होते हैं,और वही युग निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाते हैं.

यह भी पढ़ें: Maharashtra VS Karnataka Border Issue: बेलगाम पर राजनीति से बचें 

विचारों के संदर्भ में कहा जाता है कि एक व्यक्ति का विचार तब तक उस व्यक्ति के पास है, जब तक वह अकेला है किंतु जैसे ही विचारधारा एवं सिद्धांत का प्रचार प्रसार होता है, तो वह व्यक्ति अकेला ना रह कर उस जैसे हजारों लाखों लोग उसके साथ हो जाते हैं. तब वह अकेला नहीं रह जाता. वह अपने विचारों के माध्यम से जन सामान्य को प्रभावित कर लोगों को उस लड़ाई में शामिल कर लेता है, जिस लड़ाई के वह कभी अकेले नहीं लड़ सकता था. विचारों सिद्धांतों की तीव्रता आवेश तथा सघनता किसी भी क्रांतिकारी लक्ष्य की प्राप्ति में एक बड़ा साधक हो सकता है. विचार व सिद्धांत एक से दूसरे व्यक्ति तक स्थानांतरित होते रहते हैं. जिसमें विचारों को सघनता प्राप्त होती है. ताकि सत्ता के दमन के समय वैचारिक अमरता स्थाई बनी रहे. चीन उत्तर कोरिया जैसे राष्ट्रों में विचारों के इस स्वतंत्र का प्रवाह को बाधित नियंत्रित कर दिया गया. अभिव्यक्ति के तमाम माध्यमों को प्रतिबंधित कर दमन चक्र चलाया गया. वहां विचार और सिद्धांत विद्वान व्यक्ति तक ही सीमित रहे उसका फैलाव या विस्तार नहीं हो पाया. जो मानव समाज तथा मानव अधिकारों की संवेदना तथा धाराओं का उल्लंघन भी है.

यह भी पढ़ें: Millets In India: क्या आप करते हैं मोटे अनाज का भोजन?

किसी स्वस्थ स्वतंत्र राष्ट्र के लिए व्यक्ति समाज और राष्ट्र के विचारों की स्वतंत्रता नवीनता तथा उत्कृष्टता अत्यंत आवश्यक है. क्योंकि विचारधारा और सिद्धांतों को रोक पाना किसी भी सत्ता या निरंकुश राजा के नियंत्रण में नहीं होता. विचारों और सिद्धांत अनादि काल से गतिशील है तथा अनंत तक जगत तक गतिशील रहेंगे,और उसका प्रतिपादक एवं अनुशीलन कर्ता विचारों के साथ अमर हो जाते हैं. (यह लेखक के निजी विचार हैं.)

About The Author

Bhartiya Basti Picture

Bhartiya Basti 

गूगल न्यूज़ पर करें फॉलो

ताजा खबरें

UP Nikay Chunav 2023: बस्ती में आरक्षण बदला तो कहीं दीप जले कहीं दिल, मायूस हैं ये लोग
Nikay Chunav 2023: बस्ती में आरक्षण सूची के बाद सरगर्मी, बदल गए कई समीकरण, सामने आए नए प्रत्याशी
Basti में Y20 चौपाल का हुआ आयोजन, 16 जिलों में 100 से ज्यादा कार्यक्रम करेगा NAY
UP Nikay Chunav 2023: बस्ती की इन 9 नगर पंचायतों के आरक्षण की सूची जारी, यहां देखें पूरी लिस्ट
UP Nikay Chunav 2023: Basti Nagar Palika के अध्यक्ष पद का आरक्षण बदला, यहां जानें लेटेस्ट अपडेट
UP Nikay Chunav 2023 : यूपी निकाय चुनाव पर बड़ी खबर, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
Basti News: कवितायें मनुष्य को संवेदनशील बनाती है- सत्येन्द्रनाथ मतवाला
शहीद दिवस पर रक्तदान कर दी शहीदों को श्रद्धांजलि
chandraghanta mata ki puja vidhi: नवरात्र के तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें- क्या है पूजा विधि
Lok Sabha Elections 2024: बस्ती लोकसभा सीट पर BJP की आसान नहीं राह, सपा नहीं ये लोग बनेंगे चुनौती!