नजरिया: बेपर्दा हुई AAP की राजनीतिक संस्कृति
-तारकेश्वर मिश्र
आम आदमी पार्टी के नेता और केजरीवाल कैबिनेट के मंत्री सत्येन्द्र जैन पिछले लगभग छह महीनों से दिल्ली के तिहाड़ जेल में विचाराधीन कैदी के तौर पर बंद है. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर सत्येन्द्र जैन का जेल में मालिश कराने का वीडियो वायरल हुआ. सोशल मीडिया पर वायरल सीसीटीवी फुटेज से खुलासा हुआ है कि तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन जेल में मौज की जिंदगी जी रहे हैं. सीसीटीवी फुटेज में सत्येंद्र जैन जेल में अपनी बैरक में ही मसाज का लुत्फ उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं. फुटेज के सामने आने पर भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर आम आदमी पार्टी आ गई है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि सत्येंद्र जैन को जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है. सत्येंद्र जैन के मसाज वीडियो का मामला अभी थमा नहीं था कि उनका एक और नया वीडियो सामने आने के बाद सियासी हलचल फिर तेज हो गई है. इस वीडियो में सत्येंद्र जैन होटल का खाना खाते हुए नजर आ रहे हैं.
भाजपा ने AAP पर निशाना साधते हुए कहा कि, रेपिस्ट से मसाज के बाद अब सत्येंद्र जैन लजीज खाने का लुत्फ उठाते दिख रहे हैं. एक अटेंडेंट उन्हें खाना परोस रहा है. ऐसा लग रहा है, जैसे जेल में नहीं रिसॉर्ट में छुट्टियां मना रहे हों. जो वीडियो वायरल हुआ हैं उसमें सत्येंद्र जैन कभी फल, कभी ड्राई फ्रूट तो कभी सलाद खाते नजर आ रहे हैं. सबकुछ उनके मन के मुताबिक खाना मिलता दिख रहा है. भाजपा ने आगे, मुख्यमंत्री केजरीवाल पर हमलावर होते हुए कहा कि केजरीवाल ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि हवालाबाजों को जेल में सजा नहीं मजा मिले.इस वीडियो में सत्येंद्र जैन के बिस्तर पर तीन अलग-अलग डिब्बे दिखाई दे रहे हैं जिसमें तरह-तरह के पकवान रखें हैं. साथ ही सत्येंद्र जैन फल भी खाते दिखाई दे रहे हैं.
तिहाड़ जेल प्रशासन के मुताबिक जेल में रहने के दौरान सत्येंद्र जैन का वजन 8 किलो बढ़ गया है जबकि उनके वकील ने दावा किया था कि उनका वेट 28 किलो कम हो गया है. विपक्ष की तरफ से मसाज कराने के इल्जाम पर आम आदमी पार्टी और सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उनकी तबीयत खराब है और डॉक्टर की सलाह पर उन्हें फीजियोथेरेपी दी जा रही है. जबकि बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर हमला किया था. हालांकि, कुछ खबरों के मुताबिक, जेल मैनेजमेंट के हवाले से यह दावा किया गया था कि मसाज देने वाला शख्स फीजियोथेरेपिस्ट नहीं, बल्कि रेप का कुसूरवार है और जेल में सजा काट रहा है. बहरहाल पूरे मामले पर इल्जाम तराशियों का दौर शबाब पर है.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) इलेक्शन के लिए 4 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि 7 दिसंबर को नतीजे आएंगे. ऐसे में इलेक्शन से कुछ वक्त पहले ही जारी किया गया सत्येंद्र जैन का यह वीडियो आम आदमी पार्टी के लिए नई परेशानी खड़ी कर सकता है. माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी इस वीडियो का फायदा उठाते हुए मामले को भुनाने की पूरी कोशिश कर सकती है. सत्येंद्र जैन के मसाज वीडियो को जारी करने के बाद मामले की जांच के लिए एलजी वीके सक्सेना को खत लिखा है. दरअसल, मसाज वीडियो पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी पर सियासत करने और पार्टी को बदनाम करने का इल्जाम लगाया था.
सत्येन्द्र जैन मौजूदा दिल्ली सरकार में जेल एवं स्वास्थ्य मंत्री थे. अब वह एक आरोपित और विचाराधीन कैदी के तौर पर तिहाड़ जेल में बंद हैं. बीती 30 मई से वह जेल में हैं और अदालत उन्हें जमानत देने की पक्षधर नहीं है. अदालत प्रथमद्रष्ट्या धनशोधन और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप मानती रही है. बेशक वह जेल में हैं, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उन्हें ‘बिना विभाग का मंत्री’ बनाकर उनका संवैधानिक रुतबा बरकरार रखा है. कैसा है हमारा संविधान और कानून?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कैबिनेट चुनना किसी भी मुख्यमंत्री का संवैधानिक विशेषाधिकार है, लेकिन किसी मंत्री पर गंभीर आरोप हैं और वह कानूनन छह माह से जेल में कैद है, तो क्या मुख्यमंत्री का नैतिक और ईमानदार दायित्व नहीं बनता कि उस मंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए? यदि बाद में अदालत उन्हें ‘दोषहीन’ करार देते हुए बरी करती है, तो उस मंत्री को दोबारा कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जिस तरह संवैधानिक विशेषाधिकार का दुरुपयोग कर सत्येन्द्र जैन को मंत्री बनाए रखा है, उसके पीछे मुख्यमंत्री की भी बदनीयत समझ आ रही है. यह सवाल अदालत में भी उठा है, लेकिन संवैधानिक विशेषाधिकार के आगे अदालत भी असहाय दिखी है.
क्या ऐसे संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन नहीं किया जाना चाहिए? दरअसल मुख्यमंत्री अपने मंत्री की ‘परोक्ष ताकत’ को कायम रखना चाहते हैं. जिस शुचिता, ईमानदारी और नैतिकता की बुलंद हुंकारों के साथ केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) राजनीति में उतरे थे और अर्द्धराज्य दिल्ली में 2015 से लगातार सत्तारूढ़ हैं, वे सब आज ढोंग लगते हैं. बेशक सत्येन्द्र जैन आज भी मंत्री हैं, लेकिन जेल में वह एक सामान्य, विचाराधीन कैदी हैं, क्योंकि राजनेताओं का ‘अतिविशिष्ट दर्जा’ और जेल के भीतर ‘ऐयाश कक्ष’ की व्यवस्था केजरीवाल सरकार ने ही समाप्त की थी. हालांकि उनका ऐसा दावा ‘हकीकत’ नहीं लगता, क्योंकि एक वीडियो के जरिए बहुत कुछ बेनकाब हुआ है. हालांकि हम सार्वजनिक वीडियो की पुष्टि नहीं करते, लेकिन मीडिया की आंखों के सामने जो कुछ दृश्यमान हो रहा है, उसे नजरअंदाज कैसे किया जा सकता है?
जेल में मंत्री सत्येन्द्र जैन एक ऐयाश जिन्दगी जी रहे हैं. वीडियो से जो स्पष्ट है, मंत्री जी किसी बैरक में कैद नहीं हैं, बल्कि एक विशेष कक्ष में वह आरामफरमा हैं. उस कक्ष में कुर्सियां, टीवी, मोबाइल चार्जर, मिनरल वाटर की बोतलें, चार व्यक्ति, जेल की पोशाक के बजाय टी-शर्ट और मालिश करने वाले सेवादार भी हैं. वे हाजिर लोग कौन हैं? यदि मंत्री के साथ कोई दुर्घटना हो गई, तो जिम्मेदार कौन होगा? यही नहीं, मंत्री जी की धर्मपत्नी औसतन हररोज घर का खाना लाती हैं. साथ में बादाम, काजू, खजूर और दूध भी लाती हैं. मंत्री के साथ धनशोधन, हवाला हरकतों आदि के अन्य आरोपित भी उनसे मुलाकात करने आते हैं.
साक्ष्यों से खिलवाड़ किया जा सकता है या कोई और रणनीति अपना कर जांच को नाकाम किया जा सकता है, लिहाजा ऐसी शिकायत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अदालत में दर्ज कराई थी. क्या अदालत कोई संज्ञान लेगी? बहरहाल मान लेते हैं कि सत्येन्द्र जैन जेल के भीतर गिर कर चोटिल हुए थे, जैसा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खुलासा किया है. यह भी दावा किया गया कि मंत्री की रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हुई और उस पर दो ऑपरेशन करने पड़े. यदि डॉक्टरों के मतानुसार फिजियोथेरेपी करना अनिवार्य है, तो सिर में चंपी करना, पांव में मालिश करना और शरीर दबाना कमोबेश फिजिथेरेपी नहीं है.
तिहाड़ जेल में बाकायदा चिकित्सा केंद्र है, जिसमें फिजिथेरेपी की मशीनें, उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ भी है. यह खुलासा करते हुए तिहाड़ के पीआरओ रहे सुनील गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैरक या कक्ष में फिजिथेरेपी की अनुमति नहीं है. अलबत्ता कैदी टीवी और मिनरल वाटर की मांग कर सकता है, लेकिन कोई भी कैदी अपने सेल में महफिल नहीं कर सकता और न ही आरोपितों से मुलाकात कर सकता है. ऐसा करना जेल मैन्युअल का उल्लंघन है, जो अपने AAP में ‘अपराध’ है. इस तरह की घटनाओं से आम आदमी का कानून से विश्वास उठ जाता है. कानून और व्यवस्था में ऐसे प्रावधान होने चाहिए जिससे कोई खुद को कानून से ऊपर ने समझे.
-उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतन्त्र पत्रकार.