Uttar Pradesh Panchayat Chunav: गांवों में बढ़ी हलचल, पुलिस ने शुरू की विशेष निगरानी
कई गांवों में पूर्व और वर्तमान प्रधानों के बीच पुराने मनमुटाव भी उभरकर सामने आ रहे हैं. यह रंजिश इतनी बढ़ चुकी है कि कुछ मामलों में पुलिस ने मुकदमे दर्ज किए हैं. ऐसे में चुनाव से पहले माहौल को शांत बनाए रखना प्रशासन की बड़ी चुनौती बन गया है.
पुलिस ने बनाई सख्त योजना
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने रेंज के सभी सर्किल के सीओ को पंचायत चुनाव के दौरान शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है. हर सीओ को अपने इलाके में उन 30 गांवों की सूची तैयार करनी है, जहां पहले चुनाव में हिंसा हुई थी. इसके अतिरिक्त, उन विवादित गांवों में शामिल 30-30 ऐसे लोगों की भी सूची बनानी है, जिनका पहले से अपराध रिकार्ड है.
सीओ खुद जाकर अपने सर्किल में स्थिति का जायजा लेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी तरह की हिंसा या विवाद न हो. इसके अलावा, बड़ी आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों पर सख्त नजर रखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर उन्हें जिलाबदर भी किया जाएगा.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का महत्व
इन चुनावों में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य चुने जाएंगे. यह चुनाव सिर्फ स्थानीय प्रशासन के लिए नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राजनीतिक दलों ने इसे अपने एजेंडे में उच्च प्राथमिकता दी है.
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पंचायत चुनाव अब सिर्फ वोट का खेल नहीं रह गया है. यह ग्रामीण जनता की नब्ज़ पकड़ने, उनके सवालों का जवाब देने और विकास कार्यों की पारदर्शिता दिखाने का माध्यम बन चुका है.
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पंचायत चुनाव केवल नेताओं के लिए नहीं, बल्कि आम ग्रामीणों के लिए भी बहुत मायने रखता है. इंटरनेट और सोशल मीडिया ने जनता को सक्रिय किया है, पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कसी है, और राजनीतिक दल इसे बड़े चुनावों की तैयारी के तौर पर देख रहे हैं. यह चुनाव ग्रामीण लोकतंत्र और शांति दोनों के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा है.
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