यूपी में ट्रेनों को मिलेंगे नए रास्ते, सर्वे को रेलवे बोर्ड से मंजूरी, जल्द शुरू होगा काम

यूपी में ट्रेनों को मिलेंगे नए रास्ते, सर्वे को रेलवे बोर्ड से मंजूरी, जल्द शुरू होगा काम
यूपी में ट्रेनों को मिलेंगे नए रास्ते, सर्वे को रेलवे बोर्ड से मंजूरी, जल्द शुरू होगा काम

रेलवे बोर्ड ने लखनऊ में ट्रेनों की भीड़ को कम करने और यात्रा को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से एक नए ऑर्बिटल कॉरिडोर के सर्वेक्षण को स्वीकृति दे दी है। यह कॉरिडोर एक गोलाकार रेलवे रूट की तरह कार्य करेगा, जिससे ट्रेनों को नए मार्ग मिलेंगे और प्रमुख स्टेशनों पर दबाव घटेगा। सर्वेक्षण अगले 2 महीनों में शुरू होगा और इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साल 2031 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह कॉरिडोर लगभग 170 किलोमीटर लंबा होगा और इसके बनने से यात्रा में लगने वाले समय में कटौती होगी।

 

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उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर (डीसीएम) कुलदीप तिवारी के मुताबिक, इस कॉरिडोर से रेलवे ट्रैफिक का दबाव कम होगा और ट्रेनों का संचालन पहले से अधिक सुचारू हो जाएगा। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद इस परियोजना की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी। उनके अनुसार, कॉरिडोर के निर्माण से यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों की आवाजाही में भी तेजी आएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

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ऑर्बिटल कॉरिडोर बनने के बाद लखनऊ के आसपास के प्रमुख रेलवे रूट आपस में जुड़ जाएंगे, जिससे ट्रेनों के संचालन में सुधार आएगा। इससे ये मार्ग विशेष रूप से प्रभावित होंगे:

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- लखनऊ - कानपुर

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- लखनऊ - शाहजहांपुर - मुरादाबाद

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- ऐशबाग - डालीगंज - सीतापुर सिटी

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- लखनऊ - बाराबंकी - गोंडा

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- लखनऊ - बाराबंकी - अयोध्या

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- लखनऊ - सुल्तानपुर - वाराणसी

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- लखनऊ - रायबरेली - वाराणसी

 

लखनऊ क्षेत्र में वर्तमान में 7 प्रमुख रेलवे रूट हैं, जिनसे यात्री और मालगाड़ियां गुजरती हैं। भारी रेल यातायात के कारण यहां ट्रेनों की औसत गति कम हो जाती है और कई बार उन्हें आउटर पर रुकना पड़ता है, जिससे देरी बढ़ती है। लखनऊ, उत्तर रेलवे, उत्तर-पूर्व रेलवे और पूर्व-मध्य रेलवे के लिए प्रवेश द्वार का कार्य करता है, जिससे यहां रेल यातायात का दबाव और अधिक रहता है।

 

वर्तमान में लखनऊ से:-

- अयोध्या,

- वाराणसी, 

- कानपुर, 

- मुरादाबाद, 

- सीतापुर, 

- रायबरेली, 

- सुल्तानपुर 

की ओर जाने वाले रूटों पर ट्रेनों की सबसे ज्यादा आवाजाही होती है। लगभग 90% मालगाड़ियां और 70-80% यात्री गाड़ियां लखनऊ और ऐशबाग रेलवे स्टेशनों से गुजरती हैं। इससे ट्रेनों की देरी आम समस्या बनी हुई है। लेकिन ऑर्बिटल कॉरिडोर के निर्माण के बाद ट्रेनें वैकल्पिक मार्गों का उपयोग कर सकेंगी, जिससे मुख्य स्टेशनों पर भीड़भाड़ कम होगी और ट्रेनों की लेट लतीफी में सुधार आएगा।

 

कुलदीप तिवारी ने बताया कि ऑर्बिटल कॉरिडोर के साथ एक आधुनिक ग्रीन फील्ड मेगा पैसेंजर टर्मिनल भी विकसित किया जाएगा। इस टर्मिनल में 30 से अधिक रेलवे लाइनों और 20 से ज्यादा प्लेटफॉर्म की सुविधा होगी, जिससे रेल नेटवर्क की कार्यक्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा, रेलवे इस कॉरिडोर के हिस्से के रूप में रेल-ऑन-रेल पुलों का भी निर्माण करेगा, जिससे ट्रेनों को अलग-अलग स्तरों पर चलने की सुविधा मिलेगी।

 

इसके अलावा, आगरा एक्सप्रेसवे के नजदीक एक विशाल रेल लॉजिस्टिक्स पार्क भी बनाया जाएगा, जिससे मालगाड़ियों का संचालन और आसान होगा। यह कॉरिडोर औद्योगिक क्षेत्रों और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित होगा, जिससे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति को गति मिलेगी।

 

रेलवे के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से क्या होंगे फायदे?

- रेल यातायात की भीड़ कम होगी

- यात्रा में लगने वाला समय घटेगा

- मुख्य स्टेशनों पर ट्रेनों का दबाव कम होगा

- वैकल्पिक मार्ग मिलने से ट्रेनों के विलंब में कमी आएगी

- मालगाड़ियों का संचालन बेहतर होगा, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

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