मेरठ में गरम दूध से जलाया गया गरीब चाय वाला? पुलिस पर गंभीर आरोप, वीडियो वायरल

मेरठ के रेलवे रोड थाने के पास मकबरा डिग्गी पर एक छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले शाहिद की चीखें इन दिनों सोशल मीडिया पर गूंज रही हैं। एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें शाहिद बिलखते हुए पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनकी बातों में सिर्फ दर्द ही नहीं, बल्कि सिस्टम पर उठते बड़े सवाल भी छिपे हैं।
शाहिद का कहना है कि पुलिस के एक अधिकारी, नेपाल सिंह, ने उन्हें जबरन उठाकर मारा, ज़मीन पर लिटाकर जूतों से पीटा और मना करने पर उनके ऊपर उबलता हुआ दूध फेंक दिया। यह घटना उनकी दुकान पर ही हुई, जहां वे अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत करते हैं।

सिर्फ मारपीट नहीं, उबलते दूध से हमले का आरोप
उनकी हालत देख स्थानीय लोग भी सकते में आ गए। कुछ ने वीडियो बनाया, कुछ मदद के लिए आगे आए और कुछ पुलिस पर गुस्सा निकालते नजर आए। चश्मदीदों का कहना है कि पुलिस रोज दुकान पर आकर मुफ्त चाय पीती थी, कुर्सियां उठाकर ले जाती थी और अब जब शाहिद ने विरोध किया, तो उन्हें सबक सिखाने की कोशिश की गई।
पुलिस का जवाब – 'शाहिद ने खुद अपने ऊपर दूध डाला'
वहीं पुलिस इस पूरी कहानी को सिरे से नकार रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शाहिद पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह जेल भी जा चुका है। उनके मुताबिक, पुलिस जब सत्यापन के लिए वहां पहुंची, तो शाहिद ने खुद अपने ऊपर गरम दूध डाल लिया ताकि पुलिस को फंसा सके।
एसएसपी मेरठ ने साफ कहा है कि इस मामले की जांच एसपी सिटी को सौंप दी गई है और निष्पक्ष जांच होगी। पुलिस यह भी कह रही है कि शाहिद पहले से ही फर्जी केसों में शामिल रहा है, इसलिए उसकी बातों पर सीधे यकीन नहीं किया जा सकता।
स्थानीय लोगों की राय – पुलिस की दबंगई के खिलाफ आवाज़
वहीं घटनास्थल पर मौजूद एक चश्मदीद का कहना है कि पुलिस जब शाहिद को पकड़ने आई, तब सट्टेबाजों से पैसे लेने वाली पुलिस ने निर्दोष चाय वाले को निशाना बनाया। वीडियो में साफ दिखता है कि शाहिद बेहद दर्द में हैं, उनका शरीर झुलसा हुआ है और वे बार-बार एक ही बात कह रहे हैं – "मैंने क्या किया है जो मुझे ऐसे मारा?"
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस सट्टेबाजों से तो पैसे लेकर चुप रहती है, लेकिन गरीबों को निशाना बनाती है। शाहिद जैसे लोग जो रोज़ अपने बच्चों का पेट भरने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें ऐसी स्थिति में देखना बेहद दुखद है।
यह सिर्फ एक चायवाले की कहानी नहीं
यह घटना सिर्फ एक गरीब चाय वाले की नहीं, बल्कि उस पूरे सिस्टम की कहानी है जहां कमजोर को दबाया जाता है और ताकतवर अपना रौब दिखाता है। चाहे पुलिस की कहानी सही हो या शाहिद की – एक बात साफ है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच बेहद ज़रूरी है। अगर शाहिद झूठ बोल रहे हैं तो सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन अगर पुलिस ने वाकई ऐसा किया है, तो यह एक खौफनाक मिसाल होगी।