यूपी के इन 19 रूट्स पर दौड़ेंगी प्राइवेट इलेक्ट्रिक बसें

यूपी के इन 19 रूट्स पर दौड़ेंगी प्राइवेट इलेक्ट्रिक बसें
यूपी के इन 19 रूट्स पर दौड़ेंगी प्राइवेट इलेक्ट्रिक बसें

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में स्थित लखनऊ व कानपुर में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को आधुनिक रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने दोनों शहरों में निजी ऑपरेटरों के माध्यम से इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. सरकार का लक्ष्य है कि शहरी क्षेत्रों और नजदीकी कस्बों में कनेक्टिविटी को मजबूत बनें.

पायलट प्रोजेक्ट और संचालन मॉडल

यह परियोजना शुरुआती तौर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू होगी. खास बात यह है कि इसे ‘नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल’ पर चलाया जाएगा. इस मॉडल में बसों की खरीद से लेकर ड्राइवर और कंडक्टर की नियुक्ति तक, साथ ही चार्जिंग स्टेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर की जिम्मेदारी पूरी तरह निजी कंपनियों की होगी. सरकार इस प्रोजेक्ट में किसी भी तरह की सब्सिडी नहीं देगी, परंतु यात्रियों से लिया जाने वाला किराया निश्चित करने का अधिकार सरकार के पास ही रहेगा.

लखनऊ और कानपुर में निश्चित रूट्स

इस योजना के पहले चरण में कानपुर और लखनऊ में अलग-अलग रूट्स पर बसों का संचालन किया जाएगा. शुरुआती दौर में हर रूट पर एक-एक बस सेवा शुरू होगी. बाद में यात्रियों की संख्या और मांग को ध्यान में रखते हुए बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी.

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कानपुर में प्रस्तावित रूट्स

  • रामादेवी – जहानाबाद
  • फजलगंज – रूरा
  • घंटाघर – अकबरपुर
  • कानपुर रेलवे स्टेशन – बिंदकी
  • कानपुर रेलवे स्टेशन – बिठूर
  • कानपुर रेलवे स्टेशन – आईआईटी
  • कानपुर रेलवे स्टेशन – घाटमपुर
  • घंटाघर – मूसा नगर
  • कानपुर सिटी – सर्कुलर रोड

लखनऊ में प्रस्तावित रूट्स

  • चारबाग – बाराबंकी
  • कमता – एयरपोर्ट
  • बालागंज – मोहनलालगंज
  • बालागंज – विराज खंड
  • घंटाघर – माल पुलिस स्टेशन
  • स्कूटर इंडिया – इंजीनियरिंग कॉलेज
  • चारबाग – देवा
  • चारबाग – कुर्सी
  • दुर्गा – गंगागंज
  • घंटाघर – संडीला

12 साल का अनुबंध

ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया है कि "इस सेवा का संचालन 12 साल के अनुबंध के अंतर्गत होगा. निजी कंपनियों का चयन ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा. जो कंपनी सबसे कम बोली लगाएगी, उसे बस संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी. हालांकि, लागत काफी अधिक है." मंत्री शर्मा के अनुसार, एक इलेक्ट्रिक बस की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपये आंकी गई है.

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प्रदूषण कम करने की दिशा में विशेष कदम

सरकार का मानना है कि यह प्रोजेक्ट यात्रा सुविधाओं को बेहतर बनाने के साथ-साथ प्रदूषण को घटाने में भी मददगार साबित होगा. डीज़ल और पेट्रोल पर चलने वाली बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसें चलने से पर्यावरण को बड़ा लाभ होगा और नागरिकों को एक आधुनिक, आरामदायक और सस्ती परिवहन सुविधा उपलब्ध होगी.

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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।