यूपी बिजली निजीकरण पर बड़ा विवाद, 33,000 करोड़ का हिसाब अटका ट्रिब्यूनल में

यूपी बिजली निजीकरण पर बड़ा विवाद, 33,000 करोड़ का हिसाब अटका ट्रिब्यूनल में
यूपी बिजली निजीकरण पर बड़ा विवाद, 33,000 करोड़ का हिसाब अटका ट्रिब्यूनल में

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगाने की मांग की है. परिषद का कहना है कि जब तक टैरिफ आदेशों से जुड़े मुकदमों पर अपीलेट ट्रिब्यूनल का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक कंपनियों की संपत्ति और मूल्यांकन निश्चित करना उचित नहीं होगा.

परिषद अध्यक्ष ने सौंपी विधिक आपत्ति

सोमवार को उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने आयोग को एक विधिक प्रस्ताव सौंपा. इसमें स्पष्ट लिखा गया कि मौजूदा परिस्थितियों में निजीकरण पर कोई ठोस सलाह देना संभव नहीं है.

परिषद की तरफ से कहा गया कि साल 2018-19 से लेकर 2024-25 तक के टैरिफ आदेशों को लेकर कई मुकदमे अपीलेट ट्रिब्यूनल में लंबित हैं. इन मामलों में स्पष्ट फैसला आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि कंपनियों की परिसंपत्तियों का वास्तविक मूल्य कितना है और उपभोक्ताओं पर कितना वित्तीय बोझ पड़ सकता है. परिषद का अनुमान है कि उपभोक्ताओं के हिस्से से निकलने वाले 33,122 करोड़ रुपये तक की गणना में परिवर्तन संभव है.

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अब सरकार को भी करना पड़ेगा इंतजार

परिषद का कहना है कि "सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि निजीकरण पर कोई निर्णय तभी लिया जा सकता है जब ट्रिब्यूनल का फैसला आ जाए. इसके अतिरिक्त नोएडा पावर कंपनी ने भी 2019-20 से 2024-25 तक लागू किए गए मल्टी ईयर टैरिफ नियम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. इस मामले में भी सुनवाई चल रही है और आयोग खुद इस मुकदमे का पक्षकार है."

पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम पर होगा सीधा असर

परिषद अध्यक्ष ने बताया कि ट्रिब्यूनल का फैसला विशेष रूप से पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम की संपत्तियों के मूल्यांकन को प्रभावित करेगा. उन्होंने याद दिलाया कि आयोग ने पहले लगभग 2500 करोड़ रुपये के दावों को खारिज कर दिया था. अगर ट्रिब्यूनल का फैसला अलग दिशा में जाता है, तो निजीकरण की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो जाएंगे.

सभी कंपनियां पहुंची ट्रिब्यूनल

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि "प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों ने 2018-19 से 2024-25 तक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश को चुनौती दी है. ऐसे में 42 जिलों में बिजली आपूर्ति के निजीकरण की योजना को तत्काल खारिज करना ही सही कदम रहेगा."

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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।