Ayodhya News: सैकड़ों वर्षों से संत तुलसीदास घाट पर विराजमान है बाबा भुवनेश्वरनाथ

एक दूसरे के प्रतिपूरक हैं प्रभु श्री राम और बाबा भोलेनाथ: महंत रामदास

Ayodhya News: सैकड़ों वर्षों  से संत तुलसीदास घाट पर विराजमान है बाबा भुवनेश्वरनाथ
ayodhya mandir

अयोध्या. सावन का महीना प्रकृति का महीना माना जाता है और प्रकृति से ही जुड़े भोलेनाथ की भक्ति के लिए भी यह महीना अनुकूल माना जाता है ऐसे में भोले बाबा के भक्त अपने आराध्य की कृपा पाने के लिए उनके ज्योतिर्लिंग पर अभिषेक करते हैं. श्री राम नगरी के मां सरयू के संत तुलसीदास घाट तट पर सैकड़ों वर्षों से विराजमान बाबा भुनेश्वर नाथ की कृपा भक्तों को अनवरत प्राप्त होती रहती है और इसी सरयू तट पर विराजमान करतलिया बाबा हमेशा श्री राम नाम भक्ति में वह प्रोत रहते थे राम नाम के साथ बाबा का अनुराग भोलेनाथ में भी अटूट था और बाबा ने ही मां के तट पर स्थित शिवलिंग का शिरोचार्य किया और यह परंपरा निरंतर चलने लगी.

बाबा भुनेश्वरनाथ महादेव प्राचीनता की पुष्टि उस सतह से होती है जिस पर वह शिवलिंग स्थापित है और वर्षों पहले करतलिया बाबा ने सहेजा और उनके शिष्य सूर्यनारायण दास ने मंदिर का निर्माण करवाया और वर्तमान पीठाधीश्वर महंत बाल योगी रामदास जी महाराज ने बाबा भोले के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला का निर्माण करवाया. मां सरयू की उत्पत्ति श्री हरि के आंसुओं से हुई है और सरयू तट पर विराजमान भुनेश्वर नाथ महादेव का नित्य प्रति श्रद्धालु भक्तगण मां सरयू के जल से अभिषेक करके पुण्य अर्जित कर रहे हैं.

रामदास महाराज ने बताया की प्रभु श्री राम और भोले बाबा एक दूसरे को श्रेष्ठ मानते हैं और उनकी अभिन्नता शास्त्रों के साथ-साथ सिद्ध संत करतलिया बाबा ने साक्षात पहचानी है जो आज मां सरयू के तट पर बाबा भुनेश्वर नाथ महादेव के रूप में विराजमान है. महंत रामदास और आशू यादव ने दूसरे सोमवार पर भोले बाबा का अभिषेक कर विश्व शांति की कामना की.

यूपी में यमुना की तलहटी पर शुरू हुआ मेट्रो पुल का काम, 200 करोड़ होंगे खर्च यह भी पढ़ें: यूपी में यमुना की तलहटी पर शुरू हुआ मेट्रो पुल का काम, 200 करोड़ होंगे खर्च

On

About The Author

Bhartiya Basti Picture

भारतीय बस्ती, बस्ती और अयोध्या से प्रकाशित होने वाला प्रमुख समाचार पत्र है. इस पेज पर आप उन खबरों को पढ़ रहे हैं, जिनकी रिपोर्टिंग भारतीय बस्ती के संवाददाताओं द्वारा ज़मीनी स्तर पर की गई है