यूपी की यूनिवर्सिटी पर सरकारी जमीन कब्जे का आरोप, 28 लाख जुर्माना – बुलडोज़र की तैयारी
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सरकारी ज़मीन पर कब्जे का आरोप
राजस्व प्रशासन की जांच में पाया गया कि यूनिवर्सिटी परिसर की ज़मीन में कई हिस्से सरकारी संपत्ति के थे. इसमें नाली, चकमार्ग, तालाब और बंजर ज़मीन शामिल हैं. आरोप है कि प्रबंधन ने इन्हें अवैध रूप से मिलाकर परिसर का विस्तार किया.
जांच में कुल 18 गाटा संख्या चिह्नित की गईं और लगभग 6 बीघा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की पुष्टि हुई. इसी आधार पर तहसीलदार कोर्ट ने 25 अगस्त को आदेश पारित कर प्रबंधन पर 27.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. साथ ही 30 दिनों के भीतर कब्जा हटाने और राशि जमा करने का निर्देश दिया गया. आदेश न मानने पर प्रशासन ने स्पष्ट कहा है कि बुलडोज़र चलाया जाएगा.
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मान्यता के बिना पढ़ाई
यूनिवर्सिटी पर केवल ज़मीन कब्जे का ही नहीं, बल्कि बिना मान्यता के विधि (एलएलबी) कक्षाएं चलाने का भी आरोप है. उच्च शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के अपर सचिव डॉ. दिनेश सिंह ने दर्ज कराए गए मुकदमे में कहा कि 2023-24 और 2024-25 में एलएलबी की पढ़ाई कराई गई, जबकि इसकी अनुमति विश्वविद्यालय को प्राप्त नहीं थी.
अयोध्या मंडल के आयुक्त की जांच में सामने आया कि विश्वविद्यालय ने प्रवेश से लेकर परीक्षा तक की प्रक्रिया मान्यता के बिना संचालित की. इस खुलासे के बाद छात्रों में नाराज़गी और गुस्सा बढ़ चुका है.

छात्र प्रदर्शन और लाठीचार्ज विवाद
मान्यता संकट से परेशान छात्रों और ABVP कार्यकर्ताओं ने बीते दिनों विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया. छात्रों का आरोप है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन के इशारे पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें बर्बरता से पीटा. यह घटना अब बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. तहसीलदार कोर्ट के आदेश सामने आने के बाद छात्रों और विभिन्न संगठनों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग शुरू कर दी है.
लंबे समय से शिकायतें, अब मिली कार्रवाई
स्थानीय लोगों और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय ने सरकारी ज़मीन पर कब्जा कर साम्राज्य खड़ा कर लिया है. कई बार जिलाधिकारी से शिकायत हुई, परंतु कार्रवाई
नहीं की गई. अब जब अदालत से आदेश आया है तो ग्रामीणों और भाकियू कार्यकर्ताओं में राहत और संतोष का माहौल है.
प्रबंधन का बयान
यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. नीरजा जिंदल ने अपनी ओर से सफाई देते हुए कहा कि उन्हें तहसीलदार कोर्ट से किसी प्रकार का आदेश या नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने दावा किया कि सरकारी ज़मीन पर कब्जे की जानकारी उन्हें नहीं है.
प्रशासन का सख्त रुख
इस बीच नवाबगंज के उपजिलाधिकारी आनंद तिवारी ने पुष्टि की कि विश्वविद्यालय परिसर में सरकारी भूमि चिन्हित की गई है. उनके अनुसार, प्रबंधन को जुर्माने की राशि जमा करने और 30 दिन में अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि निर्देशों का पालन न होने पर राजस्व प्रशासन कठोर कदम उठाएगा.
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शोभित पांडेय एक समर्पित और अनुभवशील पत्रकार हैं, जो बीते वर्षों से डिजिटल मीडिया और ग्राउंड रिपोर्टिंग के क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। खबरों की समझ, तथ्यों की सटीक जांच और प्रभावशाली प्रेज़ेंटेशन उनकी विशेष पहचान है। उन्होंने न्यूज़ राइटिंग, वीडियो स्क्रिप्टिंग और एडिटिंग में खुद को दक्ष साबित किया है। ग्रामीण मुद्दों से लेकर राज्य स्तरीय घटनाओं तक, हर खबर को ज़मीनी नजरिए से देखने और उसे निष्पक्षता के साथ प्रस्तुत करने में उनकी विशेष रुचि और क्षमता है।