ट्रिब्यूनलों पर टकराव

देश के विभिन्न ट्रिब्यूनलों में रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियों को लेकर केंद्र सरकार के रवैये को लेकर कोर्ट कई बार सख्त टिप्पणी कर चुका है। मुख्य न्यायाधीश कह चुके हैं कि आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। बुधवार को शीर्ष अदालत ने विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति के लिये दो सप्ताह का समय दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ट्रिब्यूनल एक्ट 2021 की संवैधानिक वैधता और ट्रिब्यूनलों में रिक्तियों से संबंधित मामले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस दौरान कोर्ट ने कहा भी कि न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों को लेकर चयन समिति की सिफारिशों पर सरकार की कार्यशैली से हम नाखुश हैं। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की बैंच ने नियुक्तियां न होने से न्यायाधिकरणों की स्थिति को चिंताजनक बताया और कहा कि हम वादियों को निराश नहीं कर सकते। इससे पहले भी छह सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के तौर-तरीकों को लेकर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने न्यायाधिकरणों में की गई नियुक्तियों के बाबत पूछा था और चेताया था कि हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। हमारे पास तीन विकल्प हैं-पहला, कानून पर रोक लगा दें, दूसरा, ट्रिब्यूनलों को बंद कर दें तथा खुद ट्रिब्यूनलों में नियुक्तियां करें। तदुपरांत सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करें। ऐसी ही सख्त टिप्पणी कोर्ट ने अगस्त में की थी कि नौकरशाही नहीं चाहती कि न्यायाधिकरणों का अस्तित्व कायम रहे। साथ ही केंद्र से पूछा था कि वह बताये कि उसकी मंशा ट्रिब्यूनलों को बरकरार रखने की है या वह इन्हें बंद करना चाहती है। यह चिंता की बात है कि आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल व एनजीटी जैसे ट्रिब्यूनलों में न्यायिक और गैर न्यायिक सदस्यों के पद रिक्त हैं। हालांकि, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल और इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल में कुछ सदस्यों की नियुक्ति हाल ही में की है, जिसमें न्यायिक व तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति शामिल है।
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