नज़रिया: जम्मू और कश्मीर के मुद्दे में पाकिस्तान को शामिल करने की कोशिश क्यों?

आर.के. सिन्हा
महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम सिर चढ़ कर बोलता है. वह पड़ोसी मुल्क के अवाम का हित चाहें तो कोई बात नहीं. पर वे तो पाकिस्तान की सरकार के साथ बेशर्मी के साथ खड़ी हुई नजर आती हैं. उन्होंने यह फिर सिद्ध किया जब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाकी शिखर कश्मीरी नेताओं के साथ मिलीं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से पाकिस्तान से बातचीत करने की मांग की. महबूबा ने कहा, 'सरकार दोहा में तालिबान के साथ बातचीत कर रही है. उन्हें जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भी पाकिस्तान से बात करनी चाहिए. मुद्दों के समाधान के लिए भारत सरकार को सबके साथ पाकिस्तान से भी बातचीत करनी चाहिए.'
यकीन मानिए कि नरेन्द्र मोदी जी और कश्मीरी नेताओं की बातचीत पर करीबी नजर रखने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई महबूबा मुफ्ती के पकिस्तान प्रेम के इजहार को सुनकर खुश अवश्य हुए होंगे. पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा भी मुस्करा रहे होंगे.
पाकिस्तान के शेख राशिद अहमद और फावद चौधरी जैसे घोऱ भारत विरोधी नेता भी मौज में होंगे. ये भारत पर एटमी हमला करने की धमकी देते रहते हैं. इन सबको खुशी हो रही होगी कि भारत में अभी भी कोई पाकिस्तान समर्थक बचा हैं. जिस पाकिस्तान को सारी दुनिया आतंक की फैक्ट्री मानती है, उसके प्रति महबूबा मुफ्ती का सम्मान का भाव सारा देश देख रहा है. उसकी इस घृष्टता की अनदेखी नहीं की जा सकती.
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महबूबा जी, आपको पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ का वह बयान याद होगा ,जिसमें वे खुलकर मान रहे हैं कि उनके निर्देश पर ही करगिल की घुसपैठ की गई थी. महबूबा जी, जन नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे तोल- मोल कर बोलेंगे. वे इस तरह की गैर-जिम्मेदराना बयानबाजी नहीं करेंगे ताकि कहीं कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़े या समाज में बिखराव पैदा हो. दुर्भाग्यवश उनकी पाकिस्तान को लेकर की गई टिप्पणी से जम्मू में जनता सड़कों पर उतर आई और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया. यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इस बयान के लिए महबूबा को जेल के अंदर डाला जाना चाहिए. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'यह आंदोलन महबूबा मुफ्ती के बयान के खिलाफ है, जो उन्होंने गुपकार गठबंधन दलों की मीटिंग के बाद दिया था. उनका कहना था कि “कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान भी एक पार्टी है और उससे बातचीत की जानी चाहिए.” उन्हें इस बयान के लिए जेल भेजा जाना चाहिए.'
महबूबा जी, आप उस मुल्क पर यकीन कर रही हैं जिसने अपने संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना तक की कथित रूप से हत्या करवा दी थी. यह सच है कि फातिमा जिन्ना 1967 में अयूब खान के खिलाफ राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ीं थीं. तब उन्हें अयूब खान ने तबीयत से जलील किया था. कहने वाले तो कहते हैं कि उनकी हत्या भी पाकिस्तानी सरकार ने ही करवा दी थी. हालांकि उनकी हत्या को पाक सरकार ने आनन-फानन में स्वाभाविक मौत बता दिया था . क्या आपको नहीं पता पाकिस्तान सबूतों को मिटाने में माहिर है? आप उसके साथ खड़ी हैं जो देश मिनटों में अपनी पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का खून धोकर साक्ष्य मिटा सकता है. इसी पाकिस्तान ने अपने पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की हत्या के राज को अभी तक कभी उजागर नहीं किया.
क्या महबूबा मुफ्ती को पता नहीं है कि पाकिस्तान सरकार मौलाना अजहर महमूद और हाफिज सईद के मार्फत भारत के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं? मौलाना अजहर और उनके संगठन जैश ए मोहम्मद को आईएसआई से खुलेआम पैसे, प्रशिक्षण और वारदातों को प्लान करने में सीधी मदद मिलती है. यह सारी दुनिया को पता है. जैश ए मोहम्मद भारत का जानी दुशमन रहा है. जैश पंजाब में खालिस्तानी तत्वों को फिर से खड़ा करने के कोशिश कर रहा है. जैश बेहद खतरनाक आतंकवादी संगठन है. पर मजाल है कि महबूबा मुफ्ती ने कभी इन इन्सानियत के दुश्मनों के खिलाफ भी कभी कुछ बोला हो. क्या उन्हें अपने दोगले आचरण पर शर्म नहीं आती? भारत ने उन्हें या उनके परिवार को क्या नहीं दिया. उनके पिता मुफ्ती सईद साहब वी.पी. सिंह सरकार में देश के गृह मंत्री थे. जरा वह भी बताएं कि उन्होंने या उनके परिवार ने देश या कश्मीर के लिए क्या कुर्बानी दी है? महबूबा जी, याद रख लीजिए कि अब देश जम्मू-कश्मीर में देश विरोधी तत्वों को एक मिनट के लिए भी माफ नहीं करेगा. इन आस्तीन के सांपों को चुन-चुनकर और सिर कुचल-कुचल कर मारा जाएगा. हां, पर भारत सरकार और भारत की 135 करोड़ जनता जम्मू- कश्मीर के राष्ट्रवादी लोगों के सदा साथ है. इस संबंध में किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए. (लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं.यह लेखक के निजी विचार हैं.)