मां लक्ष्मी के इस मंदिर के बारे में नहीं जानते होंगे आप, 5 दिनों तक स्वर्ण आभूषण और नकदी से होता है श्रृंगार, कहां है ये?
Ratlam Mahalakshmi Temple

दीपोत्सव के पांच दिवसीय उत्सव के बाद यह धन अपने मालिकों को वापस कर दिया जाता है. धनतेरस के पावन अवसर पर उन लोगों में कुबेर की पोटली भी बांटी जाती है जो मंदिर में अपनी संपत्ति नहीं रख पाते हैं. रतलाम का यह महालक्ष्मी मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है, यहां श्रद्धालु मां लक्ष्मी के दरबार में श्रृंगार करने के लिए अपने आभूषण लेकर आते हैं.
अपनी धन-संपत्ति भेजते हैं
ये श्रद्धालु राजस्थान, गुजरात और अन्य राज्यों सहित देश के बड़े शहरों से आते हैं. वे महालक्ष्मी के दरबार को सजाने के लिए अपनी धन-संपत्ति भेजते हैं. इस एकत्रित नकदी और आभूषणों से दिवाली के 5 दिनों तक महालक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है. कई भक्तों का कहना है कि वे हर साल ऐसा करते हैं. जिससे उन्हें मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
श्री माली ब्राह्मण समाज के सचिव कुलदीप त्रिवेदी और मंदिर के पुजारी सत्यनारायण व्यास ने बताया कि माता लक्ष्मी के मंदिर में सजावट के लिए 10 रुपये से लेकर 500 रुपये के नोटों की मालाएं चढ़ाई गई हैं. मंदिर में सजावट के लिए दीनार, डॉलर और श्रीलंकाई मुद्रा सहित करीब 1.75 करोड़ रुपये नकद मिले हैं. सोने-चांदी के आभूषणों और बर्तनों की अनुमानित कीमत भी करीब 4 करोड़ रुपये है. दिवाली पर्व के पहले दिन यानी धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में कुबेर की पोटली भी बांटी जाती है. ये उन लोगों के लिए हैं जो अपना धन मंदिर में नहीं रख पाते हैं.
दीपावली पर महालक्ष्मी पूजा के दौरान सात काम और एक पाठ करें, पूरे साल पैसों की कमी नहीं रहेगी. ये कुबेर की पोटली उन्हें प्रसादी के रूप में दी जाती है, जिसके लिए लोग लंबी कतारों में खड़े होते हैं. लोग इसे अपनी तिजोरियों में संभाल कर रखते हैं. भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है.