नेताओं की नजरबंदी पर राहुल गांधी ने सरकार से किया यह खास ‘आग्रह’

नेताओं की नजरबंदी पर राहुल गांधी ने सरकार से किया यह खास ‘आग्रह’
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कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)की अगुवाई वाली सरकार पर राजनीतिक शून्यता पैदा करने का आरोप लगाया.

उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (farooq abdullah) की तरह “राष्ट्रवादी नेताओं को हटाकर” जम्मू और कश्मीर में एक राजनीतिक शून्य पैदा करने का आरोप लगाया.

गांधी ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा राज्य में एक राजनीतिक गैरमौजूदगी का लाभ उठाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप घाटी में और अशांति फैल सकती है.

गांधी ने ट्विटर पर कहा, ‘यह स्पष्ट है कि सरकार फारूक अब्दुल्ला जी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक शून्य पैदा करने की कोशिश कर रही है.’

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Rahul Gandhi ने कहा-

उन्होंने कहा, ‘कश्मीर को तब स्थायी रूप से भारत के बाकी हिस्सों के ध्रुवीकरण के लिए एक राजनीतिक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.’

राहुल गांधी ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के लिए जगह बनाने से रोकने और सभी क्षेत्रीय नेताओं को रिहा करने का भी आग्रह किया.

राहुल गांधी ने कहा, ‘सरकार को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के लिए जगह बनाना बंद कर देना चाहिए और सभी राष्ट्रवादी नेताओं को तुरंत छोड़ देना चाहिए.’

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Jammu kashmir से Article 370 हटने के बाद से नजरबंद हैं नेता

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही राज्य में नेताओं को नजरबंद किया गया है.

जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती दो अन्य ज्ञात नेता हैं जिन्हें धारा 370 के उल्लंघन के बाद से नजरबंद रखा गया है.

सरकार ने कहा कि नेताओं को जम्मू और कश्मीर में किसी भी संभावित अव्यवस्था को रोकने के लिए नजरबंद किया गया है, लेकिन देश भर में विपक्षी नेताओं का कहना हैयह ठीक नहीं हुआ है.

फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मंजूरी दी थी.

इस अधिनियम में सरकार के पास अधिकार है कि वह दो साल तक किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के हिरासत में रख सकती है अगर उससे सार्वजनिक सुरक्षा का खतरा है.

गुलाम नबी आजाद ने की आलोचना

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह ‘अत्याचारी, अविश्वसनीय और अस्वीकार्य’ है.

आजद ने भी कहा कि फारूक अब्दुल्ला स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार का हिस्सा थे.

उन्होंने कहा, ‘अटल बिहारी वाजपेयी  महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी सलाह लेते थे, लेकिन अब फारूक अब्दुल्ला को राष्ट्रविरोधी कहा जाता है. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं.’

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