भारत के सम्मान का दिन है, कारगिल विजय दिवस

रजनीश कुमार पांडे
Kargil Vijay Diwas: भारत व पाकिस्तान भले ही पड़ोसी मुल्क हैं. भले ही पहले दोनों देश मिलकर एक ही राष्ट्र थे. लेकिन जब से इन दोनों देशों का बँटवारा हुआ है, कोई भी साल ऐसा नहीं गुजरा, जब इन दोनों देशों के बीच स्थिति पूरी तरह से सामान्य रही हो. पाकिस्तान हमेशा से ही भारत पर अपनी कुदृष्टि बनाए हुए है.
अपनी कायराना हरकतों की वजह से उसे हमेशा हार का उपहार ही मिला है, पर भारत ने हमेशा ही पाकिस्तान को माफ कर सम्बंधों को मैत्रीपूर्ण बनाने का ही प्रयास किया है. लेकिन बँटवारे के समय से लेकर आज तक हर पल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ पूरे विश्व में केवल राजनीति ही की है. उन्हीं षड़यंत्रों में से एक है- कारगिल का युद्ध.
कारगिल (Kargil ) के युद्ध में 26 जुलाई, 1999 को भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों पर विजय हासिल की. तब से इस दिन को हर वर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. कारगिल का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच हुए बड़े युद्धों में से एक है. कोई भी युद्ध यूँ ही नहीं शुरू होता. अतः इस युद्ध की भी एक विशेष पृष्ठभूमि है. इस युद्ध का मुख्य कारण यह था कि 3 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना को सूचना मिली कि कश्मीरी उग्रवादियों और पाकिस्तानी सेना ने एक साथ मिलकर भारत-पाक नियंत्रण रेखा को पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की है.

जब पाकिस्तान से इस विषय में जवाब माँगा गया, तो उसने इसमें पाकिस्तानी सेना के शामिल होने की बात को साफ नकार दिया और उन घुसपैठियों को कश्मीरी उग्रवादी बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. लेकिन बाद में पाकिस्तानी नेताओं के भाषणों, युद्ध में मिले पुख्ता सुबूतों और दस्तावेजों के आधार पर यह साबित हो गया कि इस घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना प्रत्यक्ष रूप से मुख्य भूमिका में थी.
फलस्वरूप भारतीय सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया. भारतीय थलसेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया. यह युद्ध लगभग 30000 भारतीय सैनिक व 5000 घुसपैठियों के बीच लड़ा गया. करीब दो महीने तक चला कारगिल का युद्ध लगभग 18 हजार फीट की ऊँचाई पर लड़ा गया. कश्मीर के करगिल जिले में हुई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया. वहीं 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए.
युद्ध में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 250 पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए. अंततः भारतीय सेना ने धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर कर दिया. कारगिल का युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर देशवासी को गर्व होना चाहिए. साथ ही हमें अपने देश की सेना और उसके शौर्य का सदा सम्मान करना चाहिए.
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