Covid-19 India: केस घटे, पर वायरस अभी जिंदा है

रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है. पूरे देश के लिये ये काफी राहत की बात

Covid-19 India: केस घटे, पर वायरस अभी जिंदा है
Coronavirus Covid 19

-राजेश माहेश्वरी
देशभर से कोरोना की दूसरी लहर की जो खबरें प्रकाश में आ रही हैं, उनके अनुसार संक्रमण की दर में काफी गिरावट आई है. रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है. पूरे देश के लिये ये काफी राहत की बात है. रिकवरी रेट बढ़ने और नये केस कम आने पर सर्तकता और सजगता को भूलना फिर से भारी पड़ सकता है. लेकिन देखा जाए तो यही समय सबसे ज्याद संभल कर चलने वाला है. इसी समय सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. पिछले साल भी जैसे ही देश में कोरोना संक्रमण की दर घटी थी, उसके बाद ही गड़बड़ी होनी शुरू हुई थी. दरअसल संक्रमण के नये केस कम आने पर सरकार ने धीरे-धीरे हर क्षेत्र में ढील देनी शुरू कर दी थी. सरकारी ढील के बाद हम सबने ये मान लिया था कि अब हम कोरोना के खिलाफ जंग जीत चुके हैं. लेकिन यही भूल हमारे लिए आफत बन गई. और इसका खामियाजा हम सबने मिलकर भोगा. 

अगर आंकड़ों के आलोक में बाम करें तो पिछले 24 घंटों के दौरान 2.22 लाख से अधिक नए मामले सामने आए हैं और 4454 लोगों की इस महामारी से मौत हो गई है. इस दौरान संक्रमित होने वाले लोगों की तुलना में स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या अधिक रही, जिससे रिकवरी दर बढ़कर 88.69 फीसदी हो गई. संक्रमण के आंकड़ों में गिरावट पर बहुत लोग इस आधार पर शक भी जता रहे हैं कि सरकार अपनी कमियों और विफलताओं को छिपाने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी में लगी है. लेकिन लेकिन इसी के साथ ये तथ्य भी संज्ञान योग्य है कि अस्पतालों में खाली बिस्तरों की संख्या बढने के अलावा ऑक्सीजन को लेकर जो मारामारी मची थी वह भी नहीं दिखाई दे रही. वैसे  भी इस तरह की संक्रामक बीमारी या यूं कहें कि महामारी का प्रकोप एक सीमा के बाद कम होता जाता है. हमारे आस-पास और जान-पहचान में कोरेाना संक्रमण की खबरें काफी हद तक कम हुई हैं. 

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देश में प्रतिदिन लाखों लोगों को कोरोना का टीका लगने से भी संक्रमण को नियंत्रित्त करने  में मदद मिली है. देश में अब तक 19 करोड़ 60 लाख 51 हजार 962 लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है. वहीं सबसे ज्यादा फायदा हुआ कोरोना कफ्र्यू अथवा लाॅकडाउन से, जिसने कोरोना की चेन तोड़ने और कम्युनिटी में फैलाव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. गौरतलब है कि पिछले साल जब प्रधानमन्त्री ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया था तब राहुल गांधी सहित अनेक विपक्षी नेताओं ने उसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताते हुए तीखी आलोचना की थी. लेकिन इस वर्ष केंद्र ने लॉक डाउन संबंधी फैसला राज्यों पर छोड़ दिया. जिन राज्यों ने सही समय पर इसे लागू किया वे कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से काफी हद तक सुरक्षित रहे. लेकिन इस बार कोरोना ने ग्रामीण भारत को भी अपनी चपेट में ले लिया. यहां तक कि कस्बों, तहसील और छोटे जिलों तक में ऐसी चिकित्सा सुविधा नहीं है जो किसी महामारी के समय लोगों को समुचित इलाज दे सके. ये देखते हुए दूसरी लहर की वापिसी को लेकर आश्वस्त होने की बजाय कहीं ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

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इस समय कोरोना ने जो विकराल रूप धारण किया, उसमें सरकारी तंत्र की कमियों के साथ ही साथ हमारी लापरवाही भी पूरी तरह शामिल है. पिछले वर्ष जून के पहले सप्ताह से ज्योंही लॉकडाउन में ढील दी गई त्योंही संक्रमण तेजी से बढ़ा था. इसी तरह दीपावली के बाद से जब ये लगने लगा कि कोरोना वापिस चला तब पूरा देश बेफिक्र हो गया और मास्क जैसी प्राथमिक सावधानी को भी लोग जमकर और जानबूझकर नजरअंदाज करने लगे थे. कुछ गिने चुने जो लोग कोरोना से बचाव करते  दिखते उनका उपहास भी देखने मिलता था. 

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वहीं ग्रामीण इलामों में तो ज्यादातर लोग इस अति आत्मविश्वास में जी रहे थे कि ये बीमारी शहरी लोगों तक सीमित है और गांवों में रहने वालों की रोग प्रतिरोधक क्षमता चूंकि ज्यादा है इसलिए वे इसके प्रकोप बचे रहेंगे. संयोग से पहली लहर में कोरोना ने ग्रामीण इलाकों तक पैर नहीं पसारे किन्तु इस बार जब वह लौटा तब उसकी गति और संक्रामक क्षमता पूर्वापेक्षा कहीं अधिक होने से क्या गांव और क्या शहर सभी जगह उसका हमला एक जैसा हुआ है. गांवों से भी कोरोना संक्रमण की खबरें लगातार आ रही हैं. ये जान लीजिए कोरोना वायरस बिना किसी भेदभाव के सब पर हमला कर सकता है, और कर भी रहा है. केवल सावधानी और सर्तकता से ही इससे बचा सकता है. कोरोना की दूसरी लहर से उपजे हालातों के मद्देनजर तीसरी लहर की आशंका देखते हुए पूरी तरह सावधानी बरतने की जरूरत है. 

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि अत्याधुनिक होती जा रही दुनिया में चीन और अमेरिका जैसे भारी-भरकम अर्थव्यवस्था वाले देश भी किसी वायरस से निपटने के लिए कितने तैयार हैं. भारत जैसी विशाल आबादी वाले विकासशील देश के लिए कोरोना जैसी महामारी से अपने नागरिकों को बचा पाना पहाड़ तोड़ने की चुनौती से कम नहीं है. सरकार ने इस महामारी से निपटने के लिए अपने सारे साधन और संसाधन झोंक दिये हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने एवं संक्रमण की गति पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सबसे बेहतर उपाय है. इस वायरस से बचने का कारगर तरीका अपने को भीड़ से अलग रखना और सतर्कता बरतना है. लोगों को भीड़ से परहेज करना चाहिए. घर से निकलते वक्त लोगो को मुंह, नाक ढंक कर रखना चाहिए. घर से बाहर निकलने पर लोगों से कम से कम एक मीटर दूरी बनाए रखना जरुरी है. ये जान लीजिए कि सतर्कता बरतकर ही कोरोना को मात दी जा सकती है. 

इन सबके बीच देश में तीसरी लहर आने की बात भी कही जा रही है और इसे खासा भयानक और बेहद तीव्र बताया जा रहा है, इसे लेकर सरकार भी संजीदा है और इससे निपटने की तैयारियों में जुटी है कहा जा रहा है कि तीसरी लहर की जद बच्चे ज्यादा आएंगे, वहीं राजस्थान के दौसा में करीब 341 बच्चों में कोरोना संक्रमण मिलने से हड़कंप मचा हुआ है. वहीं अगर बात टीकाकरण की कि जाए तो भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए 50 फीसदी आबादी को टीका लगने में कई महीने लगेंगे और तब तक तीसरी लहर आ जाए तो अचरज नहीं होगा. केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे देश में दूसरी लगभग हर प्रकार की मुफ्त की योजनाओं को कुछ समय के लिए रोक लगा कर देश के हरेक राज्य के नागरिक को देश में निर्मित कोरोना वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध कराएं. अगर टीका मुफ्त मिल जाए, तो गरीब लोगों की समस्या काफी हद तक हो हल हो जाएगी. और जब तक टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक एहतियात के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं है. बेहतर है हम कोरोना वायरस को अपना एक अदृश्य शत्रु समझकर व्यवहार करें और सीमा पर तैनात एक सजग सैनिक की भांति इस शत्रु के प्रति चैकस रहें.  

लेखक राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं. 

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