कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की काली छाया

कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की काली छाया
Black Fungus

-राजेश माहेश्वरी
म्यूकर मायकोसिस यानी ब्लैक फंगस ने सरकार व देशवासियों की चिंता बढ़ा दी है. देश में ब्लैक फंगस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. बड़ी संख्या में लोग ब्लैब फंगस की चपेट में आ रहे हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. यह मुख्य रूप से उन रोगियों को प्रभावित करता है, जिनका स्टेरॉयड और अन्य दवाओं के साथ कोविड-19 का इलाज किया गया है. इसके अलावा जिन लोगों को डायबिटीज, कैंसर जैसी दूसरी गंभीर बीमारियां हैं, वे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. इस फंगस ने रोगियों को सर्जरी के बाद अपने जबड़े और आंखें गंवाने के लिए मजबूर किया है. सवाल यह है कि क्या भारत इसे रोकने में सक्षम हो सकेगा?

ब्लैक फंगस कितना घातक है इसका अंदाजा आप हरियाणा से आ रही खबरों से लगा सकते हें. हरियाणा में म्यूकरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस लगातार अपने पांव पसार रहा है. राज्यभर से इससे जुड़े मामले प्रकाश में आ रहे हैं. अंबाला जिला में ब्लैक फंगस से ग्रस्त दो मरीजों की आंखें निकालनी पड़ीं. इसके अलावा सिरसा में इसके दो मरीजों की मौत हो गई है. हिसार के अग्रोहा मेडिकल कालेज में अब तक ब्लैक फंगस के 19 मरीज आए हैं. इससे झज्जर में ब्लैक फंगस से एक मरीज की मौत हो गई है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्लैक फंगस दो मरीजों की जान ले चुका है. बिहार में ब्लैक फंगस से मौत का एक मामला सामने आया है. इस फंगस से जुड़ी खबरें देश के कई राज्यों से आ रही हैं.

यह भी पढ़ें: UP Lok Sabha Election Results 2024 Live Updates || सहारनपुर से वाराणसी तक सभी 80 सीटों पर मतगणना कुछ देर में होगी शुरू, यहां जानें लेटेस्ट अपडेट

विशेषज्ञों के मुताबिक यह फंगस या फफूंद प्रकृति में काफी पाया जाता है, लेकिन यह बीमारी बहुत आम नहीं है, क्योंकि इसकी प्रवृत्ति ज्यादा संक्रामक नहीं है. पर अगर हो जाए, तो इसका इलाज बहुत आसान नहीं होता और बिना इलाज के यह संक्रमण घातक हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि शुगर से पीड़ित और स्टेरॉयड ज्यादा लेने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा है. इससे बचने के लिये शुगर नियंत्रित रखनी चाहिए. स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाएं भी मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालती हैं. खासकर कोरोना से उबरे लोगों को लक्षण पर निगरानी रखनी होगी. किसी मरीज में संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है. लक्षण मिलते ही इलाज शुरू होने पर बीमारी से बचाव संभव है.

यह भी पढ़ें: Indian Railway News: अब जापान नहीं भारत में ही बनेगी Bullet Train, इस रूट पर करेगी सफर, जानें- स्पीड और सब कुछ

ब्लैक फंगस में आंख में लालपन और दर्द, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी में खून या मानसिक स्थिति में बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों व डाक्टरों के मुताबिक अनियंत्रित डायबिटीज और स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से कमजोर इम्युनिटी वालों और लंबे समय तक आईसीयू में रहने वालों पर ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा है. किसी दूसरी बीमारी से भी फंगल का खतरा बढ़ जाता है. हमारे देश में हेल्थ से जुड़ी सेवाएं पहले ही कोरोना के बोझ तले दबी हुई हैं. ऐसे में ब्लैक फंगस ने डाक्टरों के सामने एक नयी चुनौती खड़ी कर दी है. ब्लैक फंगस की खबरों ने लोगों में बेचैनी बढ़ा दी है. ये कहा जाए कि देश की चरमराई हुई स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से यह नई मुसीबत आई है. कोविड संकट ने सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं का असली चेहरा सबके सामने प्रस्तुत कर दिया है.

यह भी पढ़ें: Haryana Elections 2024: हरियाणा में BJP और कांग्रेस के बीच कांटे की होगी टक्कर! 2019 में कुछ ऐसे थे रिजल्ट

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना की अपेक्षाकृत गंभीर स्थिति में वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक तंत्र की प्रतिक्रिया ज्यादा उग्र होती है, जिससे वायरस के साथ-साथ शरीर की अपनी कोशिकाएं भी नष्ट होने लगती हैं. रोग प्रतिरोधक तंत्र को दबाने वाली दवाएं इस प्रतिक्रिया की उग्रता कम करके नुकसान व पीड़ा कम करती हैं. जाहिर है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने के अपने खतरे हैं और उनके गंभीर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. इसीलिए इन्हें किसी डॉक्टर की लगातार निगरानी में सावधानी के साथ लिया जाना चाहिए और जैसे ही उनकी जरूरत खत्म हो, उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए. कोरोना में तो अपेक्षाकृत गंभीर मरीजों को ही ये दवाएं दी जानी चाहिए, नब्बे प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को इनकी जरूरत नहीं होती. हमारे देश में हुआ यह है कि कोरोना विस्फोट के चलते बड़ी तादाद में मरीजों को डॉक्टरों की निगरानी नहीं मिल पाई. ऐसे में, लोग एक-दूसरे की देखा-देखी या सोशल मीडिया पर प्रचारित नुस्खों को देखकर दवाएं लेने लगे, जिसकी वजह से ब्लैक फंगस और कई दूसरी समस्याएं पैदा हुई हैं.

डाक्टरों का कहना है कि कोरोना से उबरे लोग हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से भी फंगस की चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा स्किन पर चोट, रगड़ या फिर जले हुए भाग से भी यह शरीर में दाखिल हो सकता है. इसलिए ब्लैक फंगस से बचने के लिये धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर जाये. मिट्टी, काई के पास जाते समय जूते, ग्लब्स, फुल टीशर्ट और ट्राउजर पहने. डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है. एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवा का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए. आइसीएमआर ने कोरोना मरीजों को सलाह दी है कि वे ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें तथा इसकी अनदेखी न करें. फंगस इंफेक्शन का पता लगाने के लिए जांच की भी सलाह दी गई है. साथ ही लक्षण होने पर चिकित्सक से परामर्श करने को कहा गया है. साथ ही इसके लक्षण मिलने पर स्टेरॉयड की मात्रा कम करने या इसे बंद करने का भी सुझाव दिया है.

वहीं सोशल मीडिया पर ब्लैक फंगस के इलाज के लिए कई दवाओं वाले संदेश इन दिनों प्रसारित हो रहे हैं. बेहतर यही है कि लोग जहां तक हो सके, डॉक्टरों की सलाह से ही दवाएं लें और अगर ब्लैक फंगस का शक हो, तो किसी भी सूरत में तुरंत इलाज कराएं. डाक्टरों का कहना है कि फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिये केओएच टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से घबराएं नहीं. तुंरत इलाज शुरू होने पर रोग से निजात मिल जाती है.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर पूरे देश में अपना असर दिखा रही है. अभी भी हालात पूरी तरह काबू में नहीं हैं. वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने तीसरी लहर को लेकर भी आशंका व्यक्त की है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अभी से तीसरी लहर से निपटने के पुख्ता इंतजाम पर ध्यान देने की बात कही है. इस बीच ब्लैक फंगस ने मुसीबत बढ़ाने का काम किया है. डाक्टरों का कहना है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. इसमें कोई दो राय नहीं है कि मौजूदा वक्त में बीमारी से निपटने के लिये सुरक्षित सिस्टम नहीं है. सतर्कता ही बचाव का एकमात्र उपाय है.

-लेखक राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं.

On

Join Basti News WhatsApp

ताजा खबरें

यूपी के इन जिलों में 2 अगस्त तक बंद रहेंगे स्कूल, योगी सरकार का फैसला, जानें वजह
गैस सिलेंडर से लेकर बिजली बिल भरना हो जाएगा महंगा !, 1अगस्त से बदल जाएंगी ये चीजें, देखें पूरी लिस्ट
Sleeper Vande Bharat: यूपी के इस जिले से मुंबई तक चलेगी स्लीपर वंदे भारत, जाने रूट
UP Mein Barish: यूपी के इन जिलों में गरज चमक के साथ होगी भारी बारिश
बस्ती महिला अस्पताल में एकाएक बिगड़ गई 100 महिलाओं की तबीयत, क्या दिया गया एक्सपायरी इंजेक्शन? डीएम ने बताया सच
यूपी के बस्ती में 2.30 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी ये रोड, तैयारी शुरू, जल्द मिल सकती है मजूरी
Basti Traffic Rules: यूपी के बस्ती में 6 दिन बंद रहेंगे ये रास्ते, एंबुलेंस चलाने वालों के लिए नया नियम, यहां पढ़ें पूरी एडवाइजरी
BJP में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद हरीश द्विवेदी ने दी पहली प्रतिक्रिया, जानें- क्या कहा?
हरीश द्विवेदी को भारतीय जनता पार्टी में मिली बड़ी जिम्मेदारी, बने इस राज्य के प्रभारी
यूपी में इस जिले के 300 गांवों में दो दिन नहीं आएगी बिजली, विभाग ने की ये अपील, खत्म हो जाएगी बड़ी दिक्कत