Basti में फिर सकता है धान के किसानों की मेहनत पर पानी
यदि हालात ऐसे ही रहे तो किसानों के मेहनत पर पानी फिर सकता है.सावन माह में एक दो बार हल्की बारिश हो गयी थी, लेकिन भादों माह में अभी तक बारिश न होने से किसान अपनी फसलों को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं.ज्यादातर किसान (Basti farmer news)अपने फसलों के सहारे ही अपने परिवार का भरण पोषण करते है.
बारिश के न होने से किसानो की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है.फसल में आधी से ज्यादा पूंजी लगा चुके किसान अब चिन्ता में है कि परिवार का खर्च कहां से लायेगा.
Basti weather से परेशान किसान
जहां मौसम किसानों का बीच रास्ते में साथ छोड़ने को है वही कुछ किसान सरकारी सहायता से सोलर पैनल लगाकर बेहतर धान उत्पादन के लिए प्रयासरत है.
लेकिन सोलर पैनल (Solar panel)लगाने वाले मूल किसानों की तादात ब्लाकवार न के बराबर है.वही डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी ने अन्य कृषि यन्त्रों से खेती की लागत बढ़ा दी है.धान की
सिंचाई के लिए ज्यादातर किसानों को इन्द्र देव के आशीर्वाद का ही इन्तजार है.
इसमे सबसे ज्यादा खराब हालात उन किसानों के है जिनके पास अपने निजी सिंचाई के साधन नही हैं वे किसान किराये के ऊंचे दामों को अदा कर सिंचाई करने को मजबूर होते हैं.
ऐसे किसानों को अनाजों के उत्पादन से जादा उन्हें फसलों पर खर्च कर देना पड़ रहा है.
बारिश न होने से सूख रहे तालाब
यहां तक कि अधिक बारिश न होने से नदी तालाब भी सूख रहे है जिससे जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं हैं वे किसान पर्याप्त जल न होने यहां से भी सिंचाई नही कर पा रहे हैं.
किसानों के फसल बर्बाद हो जाने पर उन्हें समय से बीमा का लाभ भी नही मिल पाता है या यू कहे कि किसान को फसल बीमा का भुगतान मिलना आसमान से तारे तोड़ने जैसा है.वहरहाल इन्द्र देव की नाराजगी ,डीजल के बढ़ते दाम, फसलों के कीट प्रबंघन में किसानों की जमा पूंजी फंस चुकी है.
यदि बैकों से मनमाने तरीके काटे गये बीमा किश्तों का भी भुगतान बीमा कम्पनी कर भी दे तो किसानों के हाथ केवल मायूसी ही आनी है.ऐसे हालात मे अब किसान बादलों की ओर निहार रहे हैं कि बादल बरसे तो धान की फसल बचे.
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