पुण्य तिथि पर याद किये गये योग गुरू रंजीत लाल

बस्ती । निराला साहित्य एवं संस्कृति संस्थान द्वारा शनिवार को महान संत योगी डी.डी. शर्मा के परम शिष्य समाजसेवी एवं आध्यात्मिक योग पुरूष रंजीत लाल को उनके पुण्य तिथि पर आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन कर याद किया गया।
रंजीत लाल के व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये पं. चन्द्रबली मिश्र ने कहा कि उनके जीवन का सत्कर्म ही उन्हें योग की ओर ले गया और उन्होने अनेक लोगों के जीवन में वैचारिक परिवर्तन कर सदमार्ग दिखाया। आज वे हमारे बीच नहीं है किन्तु उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
संचालन कर रहे साहित्यकार डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि रंजीत लाल का व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि लोग इनसे खिचे चले आते थे। आज भले ही लोग योग की चर्चा कर रहें हो किन्तु उन्होने योग के माध्यम से 1972 में ही अनेक आध्यात्मिक विलक्षण शक्ति अर्जित किया। रंजीत लाल के पुत्र विशाल श्रीवास्तव, पत्नी कृष्णा श्रीवास्तव ने अपने अनुभवों को भावुक शव्दों में साझा किया। डा. पारस वैद्य ने आध्यात्म के विभिन्न स्तरों की व्याख्या करते हुये कहा कि जड़, चेतन में सर्वत्र यदि दृष्टि हो तो उस परम चेतन का अनुभव किया जा सकता है।
आध्यात्मिक संगोष्ठी को डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी दीपक, कुंवर जितेन्द्र बहादुर सिंह, डा. राम मूर्ति चौधरी, सागर गोरखपुरी, मो. असीम अंसारी, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, ताजीर वस्तवी, बटुकनाथ शुक्ल, विनोद कुमार उपाध्याय, राम चन्द्र राजा, डा. ओम प्रकाश पाण्डेय, डा. वी.के. वर्मा, अफजल हुसेन अफजल आदि ने योग पुरूष रंजीत लाल के व्यक्तित्व, कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि वे अपने समय के लोकप्रिय समाजसेवी और सहृदय व्यक्तित्व थे। ऐसे लोगों को स्मरण किया जाना अपरिहार्य है।
अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ कवि भद्रसेन सिंह ‘ंबंधु’ ने कहा कि संसार में व्यक्ति द्वारा किये गये नेक कार्य ही स्मरण किये जाते हैं वही स्थायी शेष नाशवान है।
कार्यक्रम में आचार्य यादवेन्द्र मिश्र, हरिभजन लाल श्रीवास्तव, चुन्नीलाल, राकेश कुमार श्रीवास्तव, श्रेष्ठ श्रीवास्तव, रूपेश श्रीवास्तव, सौरभ श्रीवास्तव, दीपा श्रीवास्तव, अर्चना, साधना, मदन गोपाल श्रीवास्तव, डा. अजय श्रीवास्तव, राघवेन्द्र शुक्ल, बाबूराम केशरवानी, सत्यराम चौधरी, रामपाल गिरी, प्रमोद श्रीवास्तव, हरिओम प्रकाश, सुरेन्द्र प्रसाद, पेशकार मिश्र के साथ ही अनेक लोग उपस्थित रहे।