RBI का नया नियम: Kotak Bank की चांदी!

RBI का नया नियम: Kotak Bank की चांदी!
RBI's new rule: Kotak Bank's silver lining!

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो कि पूरे बैंकिंग सेक्टर के लिए राहत की खबर लेकर आए हैं। खासतौर पर Kotak Mahindra Bank, Federal Bank और IndusInd Bank जैसे बैंकों के लिए यह बदलाव काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

LCR नियमों का मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि बैंक किसी भी तरह की वित्तीय आपात स्थिति में कम से कम 30 दिनों तक अपनी लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा कर सकें। इस बार RBI ने जो बदलाव किए हैं, उससे न केवल बैंकों की जोखिम प्रबंधन क्षमता बेहतर होगी, बल्कि उनकी क्रेडिट ग्रोथ और मुनाफे पर भी सकारात्मक असर पड़ सकता है।

इस नए ड्राफ्ट में तीन मुख्य बातें सामने आई हैं जो पूरे बैंकिंग सिस्टम के लिए राहत भरी मानी जा रही हैं।

सबसे पहले बात करें तो जुलाई 2024 में जो ड्राफ्ट लाया गया था, उसमें 5% के अतिरिक्त रन-ऑफ रेट की बात कही गई थी। हालांकि अब फाइनल नियमों में इसे घटाकर सिर्फ 2.5% कर दिया गया है। ये रन-ऑफ रेट उन डिपॉजिट्स पर लागू होता है जिनके जल्दी विड्रॉ होने की संभावना होती है। उदाहरण के लिए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के जरिए जमा हुए रिटेल डिपॉजिट, जिनकी कुल हिस्सेदारी 85% है, उन पर अब सिर्फ 2.5% का रन-ऑफ फैक्टर लागू होगा।

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दूसरी बड़ी घोषणा होलसेल लेंडिंग पर रन-ऑफ रेट में कमी को लेकर है। पहले यह रेट 100% था, लेकिन अब इसे घटाकर 40% कर दिया गया है। इससे उन बैंकों को सीधा लाभ मिलेगा जो बड़े स्तर पर कॉरपोरेट और होलसेल लेंडिंग करते हैं। Kotak Mahindra Bank इस समय इस सेगमेंट पर खासा ध्यान दे रहा है, और उसने हाल ही में 5 से 25 करोड़ रुपये की डिपॉजिट पर अपना फोकस बढ़ाया है। इतना ही नहीं, अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले Kotak Bank इन डिपॉजिट्स पर लगभग 0.90% अधिक ब्याज भी दे रहा है।

तीसरी राहत भरी बात यह है कि इन नियमों को लागू करने के लिए बैंकों को 1 अप्रैल 2026 तक का समय दिया गया है। इसका मतलब यह है कि बैंकों को इन बदलावों के अनुरूप खुद को ढालने के लिए पूरे एक साल से ज्यादा का समय मिलेगा, जिससे उन्हें अपने वित्तीय ढांचे को स्थिर रूप से तैयार करने में मदद मिलेगी।

इससे पहले जब जुलाई 2024 का ड्राफ्ट सामने आया था, तो उसका अनुमान यह था कि बैंकों के मुनाफे में 2.5 लाख करोड़ रुपये तक की गिरावट आ सकती है। लेकिन अब नए नियमों के अनुसार, इस असर की संभावना लगभग खत्म हो गई है। इसके विपरीत, अब एलसीआर में करीब 6 प्रतिशत अंकों का सुधार देखने को मिल सकता है।

बाजार विशेषज्ञों और ब्रोकरेज हाउसेज ने भी इस फैसले को बेहद पॉजिटिव बताया है। उनका मानना है कि इससे बैंकों की मार्जिन्स में सुधार, क्रेडिट ग्रोथ में तेजी, और रेगुलेटरी बोझ में कमी आएगी। खास बात ये है कि जैसे-जैसे नए RBI गवर्नर ने पद संभाला है, वैसे-वैसे बैंकों के लिए नियमों को सरल और व्यावहारिक बनाने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए गए हैं।

इस घटनाक्रम से यह भी संकेत मिलता है कि आने वाले समय में RBI बैंकों के लिए और भी नियमों को सरल कर सकता है। इसका सीधा फायदा छोटे, मंझले और बड़े सभी बैंकों को मिलेगा, जिससे पूरे वित्तीय सेक्टर की मजबूती बढ़ेगी।

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