भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं से सांठगांठ के चलते सहकारिता मंत्री ने विभाग से 11 निरीक्षकों की छुट्टी की

 भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं से सांठगांठ के चलते सहकारिता मंत्री ने विभाग से 11 निरीक्षकों की छुट्टी की
भारतीय बस्ती

इंदौर भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं से सांठगांठ की शंका-कुशंका के चलते सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने इंदौर के सहकारिता विभाग से 11 निरीक्षकों की छुट्टी तो कर दी, लेकिन ऊपर बैठे अधिकारियों की खैर-खबर नहीं ली. इनमें सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त जगदीश कनौज भी शामिल बताए जाते हैं, जिनके खिलाफ दर्जनभर से ज्यादा शिकायतें चल रही हैं. शिकायतों के बाद उन्हें उपायुक्त पद से हटाया गया था, लेकिन राजनीतिक पकड़ के चलते कुछ ही दिन में संयुक्त आयुक्त बना दिए गए. महात्मा गांधी गृह निर्माण सहकारी संस्था के एक सदस्य ने सहकारिता मंत्री को घपलों की लंबी फेहरिस्त के साथ चि_ी लिख कनौज को हटाने की मांग की है. बताया जा रहा है कि 11 सितम्बर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए तीन महीने में संयुक्त आयुक्त को वरीयता सूची बनाकर पेश करने को कहा था. कनौज ने सूची तो बनवाई, लेकिन इसमें सदस्यों का वरीयता क्रम मनमाना रखा. संस्था के रिकार्ड में हेराफेरी की. कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लगाए गए. इनमें संस्था के अपंजीकृत पते की रसीदें, असत्य शपथ-पत्र एवं दोहरी सदस्यता भी शामिल है. 25 अगस्त को सीएम हेल्पलाइन पर भी उनके खिलाफ शिकायत की गई है. मालवा मिल सहकारी साख संस्था के सदस्य भी कनौज से पीडि़त हैं. उनके मुताबिक गुजरात मर्केंटाइल में संस्था के करोड़ों रुपए डूबे. इस मामले में कोर्ट के आदेश होने के बावजूद संयुक्त आयुक्त कनौज ने गंभीरता से नहीं लिया. न गुजरात मार्केंटाइल का पैसा डकारकर बैठे बड़े घरानों के डिफाल्टरों पर वसूली का दबाव बनाया. गांधी नगर गृह निर्माण संस्था के सदस्यों का कहना है कि संस्था के प्रबंधक फूलचंद पांडे कनौज की छात्रछाया में ही बचते रहे हैं. शिवराज सरकार ने 2009 में भू-माफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ा था. तब महेंद्र दीक्षित उपायुक्त बनाए गए थे, जिन्होंने 2009 से 2011 तक अच्छा काम किया. फिर भू-माफियाओं से भागीदारी शुरू कर दी. शिकायतें हुई तो हटाए गए. 2012-13 में मौका मिला जगदीश कनौज को, जिन्हें गृह निर्माण संस्थाओं के बड़े भू-माफिया इंदौर लाए थै. असरदार भू-माफिया 2010 और 2019 मे जेल जा चुके हैं. पोस्टिंग के बाद कनौज ने तेजी से दस्तावेजी गड़बडिय़ां दूर करने में मदद की. तब संयुक्त आयुक्त सलिल कटारे थे, जिन्होंने कनौज के कई कारनामे उजागर किए. इसके बाद 2014 में कनौज हटाए गए, लेकिन कुछ ही दिन बाद फिर उनका सिक्का चला. 30 मई 2015 को संयुक्त आयुक्त के रूप में प्रमोशन हुआ और कटारे को हटाकर उन्हें इंदौर संयुक्त आयुक्त बना दिया गया. 2017 में फिर हटाए गए. इसकी वजह थी 2018 के विधानसभा चुनाव में धार जिले की एक विधानसभा से उनकी दावेदारी. चुनाव खत्म होते ही 20 मार्च 2019 को उन्हें फिर इंदौर संयुक्त आयुक्त बना दिया गया. कनौज के साथ ही वरिष्ठ निरीक्षक एमपी पालीवाल व अंकेक्षण अधिकारी डीएस चौहान के खिलाफ भी मामला चल रहा है. आरोप है कि गौतम गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित को भंग होने के बाद भी इनके द्वारा पुर्नजीवित कराया गया, लेकिन चुनाव नहीं कराए, न ही ऑडिट कराया. स्वयं ही कमेटी बनाकर तीन बहुमूल्य भूखंड गैर सदस्यों को बेचे और शिकातय होने पर बिक्री निरस्त कर दी. इस मामले में जांच पूरी करने के बाद चालान के लिए शासन के पास भेज दिया है. आरोप लगाने वालों का तो यह तक कहना है कि कनौज विशेष जाति वर्ग से होने के चलते अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराने की धमकी देकर शंात कर देते हैं. गुंडों से पिटवाने और हाथ-पैर तुड़वाने की धमकी दी जाती है, ताकि शिकायतकर्ता घबराकर अपनी शिकायत वापस ले ले.  

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