सरकारी कर्मचारियों के मामले में Supreme Court ने दिया बड़ा फैसला, इन कर्मचारियों पर नहीं लिया जा सकता एक्शन

सरकारी कर्मचारियों को राहत, Supreme Court का बड़ा फैसला

सरकारी कर्मचारियों के मामले में Supreme Court ने दिया बड़ा फैसला, इन कर्मचारियों पर नहीं लिया जा सकता एक्शन
सरकारी कर्मचारियों को राहत, Supreme Court का बड़ा फैसला

सरकारी कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। यह फैसला रिटायर होने वाले कर्मचारियों यानी सेवानिवृत्त कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है। सेवानिवृत्ति का मतलब होता है, जब कोई व्यक्ति अपनी नौकरी या काम से हमेशा के लिए अलग हो जाता है।

सेवानिवृत्ति वह स्थिति होती है जब कोई कर्मचारी अपनी नौकरी या पद से औपचारिक रूप से अलग हो जाता है, आमतौर पर तय उम्र पूरी करने या तय सेवा अवधि खत्म होने के बाद। इसे ही सेवानिवृत्ति या रिटायरमेंट कहा जाता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी सेवानिवृत्ति की उम्र पूरी करके या सेवा अवधि बढ़ने के बाद रिटायर हो जाता है, तो उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती। अनुशासनात्मक कार्रवाई यानी कोई ऐसा कदम जो संस्था अपने उन कर्मचारियों के खिलाफ उठाती है जो संस्था के नियमों का उल्लंघन करते हैं। इसका मकसद कर्मचारी को सुधारने का होता है, न कि केवल सजा देना। आमतौर पर यह कार्रवाई खराब व्यवहार या नियम तोड़ने की स्थिति में की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें नवीन कुमार सिन्हा की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया गया था। इसके खिलाफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि विभागीय कार्रवाई केवल कारण बताओ नोटिस देने से शुरू नहीं होती, बल्कि तब मानी जाती है जब कर्मचारी को आरोप पत्र  दिया जाता है। क्योंकि उसी दिन से माना जाता है कि अधिकारी ने कर्मचारी पर लगे आरोपों पर गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि नवीन कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शुरू की गई थी, जिसमें उनकी बढ़ाई गई सेवा अवधि भी शामिल थी। नवीन कुमार पर आरोप था कि उन्होंने बैंक के नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से ब्याज मंजूर किए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने 26 दिसंबर 2003 को एसबीआई से 30 साल की सेवा पूरी कर रिटायरमेंट ले लिया था। हालांकि, बैंक ने उसकी सेवा 27 दिसंबर 2003 से 1 अक्टूबर 2010 तक बढ़ा दी थी। इसके बाद उसकी सेवा में कोई और विस्तार नहीं किया गया।

हाईकोर्ट का फैसला भी बरकरार

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई 18 अगस्त 2009 को नहीं मानी जाएगी, जब उसे कारण बताओ नोटिस दिया गया था। असली कार्रवाई 18 मार्च 2011 को शुरू हुई, जब उसे आरोप पत्र सौंपा गया।

एसबीआई की दलील खारिज

एसबीआई के वकील ने कहा कि कर्मचारी ने जांच के दौरान यह नहीं बताया कि वह 1 अक्टूबर 2010 से सेवा में नहीं था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। अदालत ने एसबीआई की अपील खारिज करते हुए बैंक को आदेश दिया कि वह कर्मचारी के सभी बकाया सेवा लाभ (Service Dues) अगले 6 हफ्तों में जारी करे।

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