मंदाकिनी को निगल रहे कंक्रीट के निर्माण कार्य

सतना मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में जहां दशकों पूर्व सरयू की पवित्र धारा प्रवाहित होकर परम पुण्य सलिला मंदाकिनी से मिलती थी वहां मौजूद समुय पर इन दिनों होटल टतन रहा है. नदी से चंद मीटर दूर ताने जा रहे भव्य होटल के निर्माण की अनुमति स्थानीय प्रशासन ने किन बिंदुओं के आधार पर दी, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है. प्रदूषण और अतिक्रमण से त्राहि-त्राहि कर रही मंदाकिनी नदी के किनारे जिस प्रकार के सैंकड़ों निर्माण कार्य उद्गम स्थल सती अनुसुइया से रामघाट के बीच हुए हैं उससे जिला प्रशासन कटघरे में आ गया है. तमाम पाबंदियों के बावजूद भी निर्माण कार्य मंदाकिनी नदी को निगलने को आतुर है, पर बेफिक्र व्यवस्था को जैसे इसकी कोई फिक्र ही नहीं है. मंदाकिनी नदी पर अतिक्रमण हर जगह है, हालात यह हैं कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा तमाम तरह की रोक लगाए जाने के बाद भी प्रशासन उन निर्देशों का पालन नहीं करा पा रहा है जिन निर्देशों को एनजीटी मंदाकिनी संरक्षण के लिए अनिवार्य रूप से जारी किया है. इसका नमूना भरतघाट पर भी देखा जा सकता है, जहां केवल 30 मीटर दायरे पर होटल और बहुमंजिला इमारतें तानी जा रही हैं. जिस स्थल पर होटल का निर्माण किया जा रहा है उस स्थल पर केवल मंदाकिनी का बैक वाटर आता है बल्कि यह नदी का कैचमेंट एरिया भी है. मंदाकिनी नदी से चंद मीटर की दूरी पर होटल का निर्माण डंके के चोट पर चल रहा है जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट आदेश जारी कर रखे हैं कि मंदाकिनी नदी के सौ मीटर के दायरे में किसी प्रकार क निर्माण कार्य न कराए जाएं. इसके पूर्व ऐसे कई सरकारी व गैर सरकारी निर्माणों को एनजीटी के निर्देश पर ढहाया जा चुका है. बावजूद इसके चित्रकूट में भू कारोबारी मंदाकिनी के कैचमेंट एरिया को निगलने के लिए आतुर हैं. बताया जाता है कि यह होटल सत्ताधारी दल के नेताओं से जुड़ा हुआ है. इन इमारतों के निर्माण के लिए स्थानीय निकाय और जिला प्रशासन किस प्रकार से अनुमति दे रहा है यह जांच का विषय है. बताया जाता है कि चित्रकूट में होटल व बड़ी-बड़ी इमारतें बतनाने के पीछे भू माफियाओं की मदद सत्ताधारी दल के नेता करते हैं जिसके चलते प्रशासनिक मशीनरी भी मंदाकिनी संरक्षण की चिंता किए बिना ऐसे निर्माणों से आंख मूंद लेते हैं. भारत घाट में बन रहा लग्जरी होटल भी ऐसा ही है जिसके तार भोपाल तक के नेताओं से जुड़े हैं. बताया जाता है कि सत्ताधारी दल के एक पूर्व मंत्री भी इसमें शामिल थे जिनका निधन हो गया है. बताया तो यहां तक जाता है कि व्यापमं घोटाले के एक आरेापी का पैसा भी होटल में लगाया गया है, जिससे चित्रकूट के ही एक भू माफिया कारोबारी का जरिया बना हुआ है.