यूपी के बस्ती में दशकों से लोग खा रहे ये लजीज समोसा, सालों पहले शुरू हुई थी दुकान, बगल के जिलों से आते हैं लोग
Basti News In Hindi
Basti News In Hindi: समोसे का इतिहास बहुत पुराना है. आज हम बात करेंगे उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के बारे में जहां दी संगम स्वीट् की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. यह समोसे की दुकान 100 साल पुरानी है. इस दुकान की शुरूआत संगम लाल ने की थी. संगम लाल का जन्म एक छोटे से परिवार में सन् 1916 में हुआ था. इनके जीवन में चुनौती का सागर भरा पड़ा हुआ था. परिवार का पालन-पोषण करने के लिए इन्होंने सब्जी पराठे की दुकान खोली लेकिन सब्जी पराठे की दुकान सुचारू ढंग से नहीं चल सकी.
आग की भट्टी में बनता ता समोसा
संगम लाल दिन भर कड़ी आग की भट्टी के पास समोसा बनाते थे. साल 1986 में संगम लाल के निधन के बाद कुछ दिन तक व्यवसाय में उथल पुथल भरा माहौल रहा. पूरे परिवार में हलचल सी मच गई. परिवार यही सोचता रहा इनके जाने के बाद अब कौन सहारा बनेगा. संगम लाल जी के सात बेटे थे. जिनमें से पांचे स्थान पर राजेन्द्र कुमार है. जिनका जन्म बस्ती जिले में अप्रैल सन् 1969 में हुंआ.
पिता के बाद इन्होंने दुकान का दामन थामा और समोसे की दुकान का व्यवसाय फिर से ऊपर उठा. ये भी अपने पिता की तरह ईमानदार और कर्मठी स्वभाव के है.
कितनी है 1 समोसे की कीमत?
दी संगम स्वीट् आज बस्ती में अकेला इतिहास रच रहा है. यह एक ऐसी डिश का व्यापार कर रहे है. जिसे सुनते ही बुजुर्ग, महिला, पुरूष, बच्चे हर किसी के मंहु में पानी आने लगता है. दी संगम स्वीट् का भारतीय सामोसे को बस्ती का हर निवासी चाय के साथ खाना अत्यधिक पसंद करता है. यहां पर एक समोसे की कीमत 15 रुपये का है.
समोसा एक ऐसा व्यंजन है. कुरकुरी परत से हुते हुए जब इसके नरम हिस्से पर दांत पहुुचते है. उसकेे बाद जो लज्जत मुंह में घुलती है. उसे शब्दो में बयां नही किया जा सकता है. बस्ती का यह सामोसा लोगों के लिए प्रिय हो चुका है. दी संगम स्वीट् ग्राहको की लम्बी कतार लगी रहती हैं. लोग सोचते हैं कब मेरी बारी आये और जुंबान मेरा इस समोसे का टेस्ट ले. बस्ती के लोग समोसे को कभी मीठी हरी चटनी के साथ तो कभी सब्जी या चाय के साथ खाना बेहद पसंद करते है. बगल के जिलों से भी लोग अगर बस्ती आए तो वह यहां के समोसे का स्वाद चखना नहीं भूलते.