Basti News: पंचायत भवनों के भूमि पूजन में व्यस्त विधायक-सांसद को क्या मालूम है ये हकीकत?

बस्ती. ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बनाने के नाम पर लूट खसोट का खेल चल रहा है. गुणवत्ता विहीन घटिया निर्माण कार्य कराए जाने की शिकायतें हो रही हैं. अधिकारी गुणवत्तापरक कार्य कराए जाने के निर्देश दे रहे हैं. बावजूद इसके ना तो गुणवत्ता सुधर रही है और ना ही पंचायत भवन के निर्माण में जिम्मेदारों का मनमानापन. जहां चाहा पंचायत भवन का निर्माण करा दिया, ग्राम पंचायत की भूमि की जगह दूसरे के काश्तकारी की जमीन और अनुपयोगी स्थानों पर निर्माण कार्य करा दिया.
ग्राम पंचायतों में होने वाले पंचायत भवन निर्माण कार्य के लिए ‘माननीय’ भूमि पूजन कर रहे हैं. अपनी पैठ बनाने के लिए भूमि पूजन करने वाले ‘माननीय’ तक यह जानना गंवारा नहीं कर रहे कि जिन स्थानों पर पंचायत भवन की बुनियाद का भूमि पूजन किया जा रहा उसकी वास्तविक नवैयत क्या है.
जनपद में विधायकों और सांसद द्वारा ग्राम सभाओं में भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन हवन युद्व स्तर पर जारी है. मंशा है कि पंचायत भवन में बैठ कर गांव के प्रतिनिधि विकास की इबारत लिख सके, लेकिन जब भवन की बुनियाद झूठ पर और उसकी दर ओ दीवार अपने जीर्णोद्धार की राह देख रही हो तो ऐसे में गांव के विकास की कल्पना बेमानी लगती है.
पंचायत भवनो में चल रहे खेल की बानगी देखनी हो तो कुदरहा ब्लाक के सिसई पंडित ग्राम सभा के डेफरी पुरवा चले जाइए. यहां पर गांव के विकास के लिए बना पंचायत भवन पिछले 4 साल से रिहायशी घर में बदल चुका है. यहां ग्राम पंचायत के विकास की योजनायें नहीं बनती बल्कि गांव के ही एक परिवार की रोटी दाल बनती है. और बने भी क्यों न जब पंचायत भवन को तत्कालीन ग्राम प्रधान ने उनकी काश्तकारी जमीन में यह झासा देकर ही बनवा दिया कि वह उन्हें इसके बदले जमीन मुहैया करा देंगे. जर्जर हो चुके इस पंचायत भवन के जीर्णोद्धार के नाम पर ग्राम प्रधान कौशल्या देवी 4 लाख 28 हजार तीन सौ छः रूपये भी निकाल चुकी है. लेकिन पंचायत भवन की हालत जस की तस बनी हुई है.
पंचायत भवन के बाहर से भवन के खम्भों में बंधे तारों पर लटकते कपड़े एक बारगी ही इसके पंचायत भवन होने का भ्रम तोड़ देते है. लेकिन भवन का नक्शा बता रहा है कि यह पंचायत भवन ही है. मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही दो चारपाई पर पडे बिछावन और उस लोटते खेलते बच्चे दिख गये. बच्चों ने बताया कि परिवार के लोग अन्दर है. भवन के एक कमरे में भोजन बना रही एक महिला ने बताया कि वह पिछले छः माह से यहां रह रही है.
उनके ससुर भगीरथी चौधरी लगभग चार साल से यहीं रह रहे थे. जब गांव में बना उनका खपरैल का मकान गिर गया तो वह मजबूर होकर यहां अपने बच्चों के साथ रह रही है. यह उनकी काश्तकारी की जमीन है. ग्राम प्रधान ने उनके ससुर से वादा किया था कि पंचायत भवन को अपनी जमीन में बनने दे. वह उन्हे इसके एवज मे जमीन मुहैया करा देंगे. लेकिन ग्राम प्रधान के जमीन देने का वायदा छोड़िये उनके गिरे हुए मकान की जगह एक आवास तक नहीं दे पाये , ऐसे में हम जाये तो जाये तो जाये कहां !
गांव वालो का कहना है कि जब से यह पंचायत भवन बना है, तब से लेकर आज तक यहां कोई बैठक, कार्यक्रम नही हुआ है. भवन बनने के बाद से ही भगीरथी चौधरी यहां रहते थे. उसके बाद उनका परिवार यहां रहने लगा. आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान ने इसके जीर्णोद्धार के नाम पर लाखों रूपये निकाल कर उसका बंदर बाट कर लिया है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत ग्राम पंचायतो में बनवाए जा रहे पंचायत भवन एवं सामुदायिक शौचालय निर्माण में अनियमितता पर डीएम आशुतोष निरंजन असंतोष व्यक्त कर चुके हैं. खण्ड विकास अधिकारियों को भेजे पत्र में निर्माण कार्य गुणवत्तापरक न होने की शिकायतों का जिक्र करते हुए खराब गुणवत्ता को एक सप्ताह के भीतर ठीक कराए जाने और लापरवाही बरतने वाले के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही प्रस्तावित कर विस्तृत आख्या उपलब्ध कराए जाने का जिला पंचायत राज अधिकारी, उपायुक्त मनरेगा को निर्देश दिया है.
बावजूद इसके चेतावनी का असर नहीं दिख रहा है. पहले से बने पंचायतों का कोई पुरसाहाल नहीं है, निर्माण हो रहे कार्यो की गुणवत्ता बदहाल है. यह दिलचस्प सवाल है कि क्या हमारे माननीयों को पता है कि वह जिस भूमि का पूजन पंचायत भवन के नाम पर कर रहे हैं, उसकी हकीकत क्या है और उसका भविष्य क्या है?