श्रीकृष्ण की वन्दना से पाप जलते हैं- स्वामी राघवाचार्य

बस्ती . भागवत मनुष्य को निर्भय बनाता है. मनुष्य ईश्वर का भय नहीं रखता इसीलिये दुःखी है. भागवत के भगवान इतने सरल हैं कि वे सबके साथ बोलने को तत्पर है किन्तु अपने स्वार्थो में लिपटा हुआ जीव तो जगत के स्वामी की भी उपेक्षा कर देता है. यह सद् विचार जगत गुरू स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने शिव नगर तुरकहिया में भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल के आवास पर आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सूत्रपात करते हुये व्यासपीठ से व्यक्त किया.
महात्मा जी ने कहा कि जो लोग माता पिता की बात नहीं मानते, समाज को कष्ट देते हैं ऐसे सभी लोग धुंधकारी है. कहा कि बिना ईश्वर के संसार अपूर्ण है. परमात्मा श्रीकृष्ण परिपूर्ण आनन्द स्वरूप है. भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है. गोपियों ने घर नहीं छोड़ा, स्वधर्म का त्याग नहीं किया फिर भी वे श्रीभगवान को प्राप्त करने में सफल रहीं. महात्मा जी ने कहा कि दुःख में जो साथ दे वह ईश्वर और सुख में साथ देना वाला जीव है. श्रीकृष्ण की वन्दना से पाप जलते हैं.
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ज्ञान और वैराग्य का विश्लेषण करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सात दिन के भीतर परीक्षित को मुक्ति मिली. निश्चित था कि ठीक सातवे दिन उनका काल आने वाला है किन्तु हम काल को भूल जाते हैं. वक्ता शुकदेव जी जैसा अवधूत और श्रोता परीक्षित जैसा अधिकारी हो तो मुक्ति मिल जाती है.
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कथा महिमा का वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि भागवत कथा का आनन्द ब्रम्हान्नद से भी श्रेष्ठ है. योगी तो केवल अपना उद्धार करता है किन्तु सतसंगी साथ में आये सभी का उद्धार करते हैं.
देवर्षि नारद की वृन्दावन में भक्ति से भेंट, भक्ति का दुःख दूर करने के लिये नारद जी का उद्योग , भक्ति के कष्ट की निवृत्ति सहित अनेक प्रसंगो का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने महर्षि व्यास के भागवत रचना के परम और मंगलकारी उद्देश्य पर प्रकाश डाला.
भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल , माता श्यामा देवी ने विधि विधान से परिजनों, श्रद्धालुओं के साथ व्यास पीठ का वंदन किया. मुख्य रूप से पवन तुलस्यांन, अशोक गुप्ता, धुव नारायण सिंह, सतीश सोनकर, वैभव पाण्डेय, अखण्ड प्रताप सिंह, रवी पांडेय, अनीत शुक्ला, अखिलेश शुक्ला, प्रेम शंकर शुक्ल, बृजेश शुक्ल, अरविन्द पाल, रघुनाथ, लक्ष्मी अरोरा, सुरेंद्र मिश्रा, राजकुमारी मिश्रा, राकेश श्रीवास्तव के साथ श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे.