Azadi Ka Amrit Mahotsav: बस्ती की धरती के अमर क्रान्तिकारी पं सीताराम शुक्ल
बैजनाथ मिश्रा
अपना देश भारत लगभग दो सौ वर्षों तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के माध्यम से ब्रितानिया हुकूमत का गुलाम बन गया था . देश के नागरिकों पर अंग्रेजी सरकार नाना प्रकार से जुल्म ढा रही थी. 1857 में पहली बार अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध विभिन्न क्रांतिकारियों के नेतृत्व स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ. देश के सर्वोच्च क्रान्तिकारियो से प्रेरित हो कर प्रभु श्री राम, भगवान बुद्ध तथा कबीर की धरती के सेनानी भी पीछे नही रहे. आज हम बात कर रहे है एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी की जिसने बस्ती जनपद को स्वतंत्रता संग्राम में गौरव दिलाया नाम है पं सीता राम शुक्ल.
पं सीताराम शुक्ल बस्ती की धरती से ऐसे क्रांतिकारी थे जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपनी धर्म पत्नी के साथ तीन बार जेल गए थे. पंडित सीता राम शुक्ल वर्तमान में भानपुर तहसील के बस्ती बांसी मार्ग पर स्थित भादी खुर्द में 1897 में हुआ था.
पंडित सीताराम शुक्ल की राजनैतिक शुरुवात 1919 में कांग्रेस के नासिक अधिवेशन में हुआ श्री शुक्ल ने पहली बार उस अधिवेशन में बोले. 1922 में महात्मा गांधी के अगुवाई में चल रहे असहयोग आंदोलन में धर्म पत्नी श्रीमती किशोरी शुक्ला के साथ सहभाग किये.1930 में नमक सत्याग्रह के हिस्सा बने फिर 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में शरीक हुए.
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिए.पंडित सीता राम शुक्ल के क्रांतिकारी जीवन में कई बार महात्मा गांधी व् सरदार पटेल से मिलना हुआ. स्थानीय क्षेत्र के बालेडीहा के 35 वर्षो तक प्राधान रहे ब्रम्हदेव मिश्र कहा करते थे की बाबा(पंडित सीता राम शुक्ल) से मिलने दो बार गांधी जी व् एक बार भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी उनके गॉव भादी आयीं थी.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं सीता राम शुक्ल ने 14 पुस्तको का लेखन भी किया जिसमें से कुछ संरक्षण के अभाव में गायब हो गए . वे कुशल नेतृत्व कर्ता के साथ साथ विद्वान् वक्त भी थे उनका हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, था अंग्रेजी पर समान अधिकार था . वे उत्तर प्रदेश के दूसरी विधान सभा(1957 -1962) कांग्रेस के टिकट से 264 हरैया(पूर्वी) वर्तमान में 308 कप्तानगंज से विधायक निर्वाचित हुए थे.1959 में वे कांग्रेस पार्टी से नाराज होकर कांग्रेस से त्याग पत्र दे दिया तथा कांग्रेस के केशव देव मालवीय के विरुद्ध निर्दल चुनाव मैदान में कूदे.
हालांकि इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सीता राम शुक्ल व् उनकी धर्म पत्नी श्रीमती किशोरी शुक्ला को 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उनके देश की सेवा में योगदान हेतु अपने लाल किले के भाषण के उपरान्त सेनानी दंम्पति को ताम्र पत्र दे कर संम्मानित किया था. पंडित सीता राम शुक्ल ने लोक हित में अपनी सैकड़ो बीघा जमीन दान दे कर सड़क, विद्यालय आदि बनवाये. आज जब भी सीता राम शुक्ल के नाम की चर्चा होती है तो लोगो के नजरो सामने उनके आंदोलन के जज्बे तैर जाते है. अपने इस लाल पर बस्ती के लोगो को सदा गर्व रहेगा. आज श्री शुक्ल के गाँव भादी खुर्द के लोगो में एक आस है कि सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सीता राम शुक्ल के स्मृति में एक स्मृति द्वारा तथा ग्राम सभा की जमीन पर उनकी व् उनकी धर्मपत्नी की प्रतिमा स्थापित करेगी.
पिछले वर्ष शहीद स्थल पैंडा में चौरी चौरा काण्ड की शताब्दी वर्ष पर 9 अगस्त2021 को जिला प्रशासन ने कार्यक्रम आयोजित कर मंझरिया निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम आसरे चौधरी की पुत्री को सम्मानित किया था व सुझाव पर भूल सुधार करते हुए पंडित सीता राम शुक्ल के प्रपौत्र अमित कुमार शुक्ल को भी सम्मानित किया गया था. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व चौधरी की पुत्री व वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने अपने कोटे से एक स्मृति द्वार बनवाने का आश्वासन दिया था जो अब बन भी चुका है.
वही कार्यक्रम में सीता राम शुक्ल के वंशज अमित शुक्ल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व विधायक के स्मृति में एक अदद स्मृति द्वार निर्माण की मांग प्रशासन के सामने रखी जिस पर कार्यक्रम में मौजूद विधायक संजय जयसवाल ने अपनी निधि से गेट बनवाने की सार्वजनिक घोषणा की थी परन्तु गेट आज तक नही बन पाया. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सीता राम शुक्ल के गाँव भादी शुक्ल के लोगो मे उनके सम्मान में एक मूर्ति , गेट, व एक अदद स्वास्थ्य केंद्र बनने की आस लगी हुई है.