Ayodhya News: प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा में पूरा विश्व गर्व महसूस कर रहा है: प्रभंजनानंद महाराज

Ayodhya News: प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा में पूरा विश्व गर्व महसूस कर रहा है: प्रभंजनानंद महाराज
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अयोध्या. प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में पौष शुक्ल पक्ष एकादशी रविवार को बेदी पूजन महास्नान नगर भ्रमण के साथ सिद्ध पीठ सियाराम किला झुंकी घाट के प्रथम पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन श्री मिथिला शरण  महाराज छोटे सरकार के प्रतिमा का वर्तमान पीठाधीश्वर महंत करुणानिधान शरण महाराज दिशा निर्देशन में शय्याधिवास कराया गया 22 जनवरी पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी सोमवार को श्री महाराज जी के प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हवन पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगी.

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध प्रभंजनानंद शरण महाराज ने श्री राम कथा में बताया कि वर्तमान समय आधुनिक युग का समय है ऐसे में प्रभु श्री राम के लिए पूरे विश्व में अनुराग उमड़ रहा है यह उनके द्वारा किए गए मर्यादा पालन का प्रतिफल है. उन्होंने बताया कि पिता के कहने पर श्री राम वन को जाते हैं भरत की मनाने जाते हैं उनके साथ माता कैकई भी होती हैं और वही भरी सभा में माता कहती है कि मैं अपने वचनों से आपको मुक्त कर रही हूं राम और अयोध्या लौट चलो. कोई सामान्य व्यक्ति होता तो निश्चित लौटा था लेकिन प्रभु श्री राम ने कहा कि माता वचन मेरे पिता के थे अब वह नहीं है इसलिए मुझे उनके वचन का पालन करना ही है और अयोध्या लौटने के बाद प्रभु भरत के बाद सबसे पहले कैकई से ही मिलते हैं यही मर्यादा है और इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम है आवाज उनकी प्राण प्रतिष्ठा में देश ही नहीं पूरा विश्व गर्भ महसूस कर रहा है.

 श्री महाराज जी ने बताया कि भगवान श्री राम इस जगत के मूल हैं उन्होंने मर्यादा की स्थापना की और लोगों को बताया कि मर्यादित जीवन ही पुरुषोत्तम जीवन होता है आज अयोध्या ही नहीं भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा मनाई जा रही है अपने-अपने तरीके से लोग मना रहे हैं उसमें सभी धर्म को मानने वाले लोग यह विचार का विषय है कि आखिर राम के प्रति ही इतना अनुराग क्यों, तो इसका एक ही उत्तर है चरित्रवान व्यक्ति हमेशा पूजा जाता है भगवान श्री राम ने मनुष्य के चरित्र निर्माण की आधारशिला रखी इसलिए आज उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए लोग लालायित है. कथा के समाप्ति बेला पर व्यास पीठ की आरती उतारी गई और संतों अतिथियों का सम्मान मंदिर के संत प्रहलाद दास ने किया.

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