रामजन्म भारत सहित दुनिया का सांस्कृतिक बाल वैभव
बैजनाथ मिश्र.
चैत्र नवरात्र के समापन की नौमी तिथि और अपूर्व संयोग लग्न की सुप्रभात वेला राम नवमीं सम्पूर्ण मानवता को एक पवित्र और सुखमय पुण्य प्रभा आधारित नव वात्सल्य जीवन का आनन्द भरा संदेश ले कर आई है. रामनवमी! सचमुच इस त्रैलोक्य के एकेश्वर का जन्मोत्सव ऐसे राग भरे दिवा वेला का साक्षात्कार करा जाती है जो जीव को बारम्बार अपने सन्निकट कभी बाल स्वरूप आनन्द कंद तो यदा कदा धनुर्धर श्री राम के दुष्ट दलन स्वरूप की मर्यादित किन्तु प्रलय छाया की. राम नवमी के पावन पर्व हिन्दू नवसंवत्सर की रंग बिरंगी उल्लसित मधुमय से भरा हुआ दिवस सृजन की अलौकिक झांकी जो प्रकृति अक्सर वर्ष में अपने जीवनकाल के अमृत वर्ष के रूप में ले कर आती है और जगत में सम्पूर्ण चर अचर के आँचल में उड़ेल देती है.
यही रामनवमीं का प्राकृतिक श्रृंगार हम सभी को बरबस प्रतीक्षा कराया करता है जिससे प्यासी आत्मा श्री राम और प्राकृतिक सौन्दर्य दोनो के समन्वय मिलन का योग दर्शन है . राम और रामनवमीं दोनो में अंतर न होते हुए भी काफी वैषग्य है.
श्री राम जहां सम्पूर्ण भारत राष्ट्र के प्रतीक है और अपने सम्पूर्ण अवतारी जीवन के लीलाधर तथा मानवता के रक्षक संरक्षक के साथ साथ राष्ट्रीय स्वाभिमान गौरवगर्व के अलावा अनन्य है. वहीं उसी राम की रामनवमीं भारत के सांस्कृतिक बाल बैभव शिशु क्रीड़ा और अनेको प्रमुदित मन की झांकी परछाइयाँ अपलक एक ऐसे लोक की सैर कराती है जहाँ जाने पर मन नवजात राम की रामनवमीं के दिवा सागर में हिलोरें लेता ,उछलता कूदता हँसता दिखाई देता है. फिर भी धनुर्धर राम और उनकी राम नवमीं दोनों ही भारतीय दर्शन की अनुपम छटा हैं. राम भले ही विविध क्रियाकलापी हो पर उनका उद्गम स्रोत राम नवमी ही है. पुण्य प्रभा राम रूपेण नौमी तुम्हरा अभिनन्दन और राम का भी.