रसमोदकुंज में श्री शत्रुघ्न शरण बिरौली सरकार की मनाई गई 119 वीं जयंती
अयोध्या. वैष्णो नगरी अयोध्या संतो की सराय के रूप में जानी जाती है और यहां अनेकों भजनानंदी संत हुए हैं जिन्होंने भक्ति और प्रेम रूपी शस्त्र के माध्यम से बड़े-बड़े विद्वानों को भी पिछड़ दिया है. यह भूमि भजन सेवा और तपस्या के लिए जानी जाती है कौन क्या है यह महसूस नहीं होता लेकिन तपस्या और भजन के बल पर लोहा मनवाने वाले संतों की कमी भी अयोध्या में नहीं है.
अगर कोई प्रेम से मांगता तो सब कुछ न्योछावर कर देने वाली यह नगरी बड़े-बड़े विद्वानों के अहम को भी चकनाचूर किया है इन्हीं संतो की मणि माला में रसमोद कुंज अनंत श्री से विभूषित साकेत वासी संत श्री शत्रुघ्न शरण रसकान्तिलाल जू बिरौली सरकार की गणना होती है मंदिर परिसर में मार्कशीर्ष कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को श्री महाराज जी की 119 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई.
रसमोद कुंज के वर्तमान पीठाधीश्वर महंत रामप्रिया शरण गिरधारी महाराज ने बताया कि श्री शत्रुघ्न शरण (रसकान्तिलाल) जू बिरौली सरकार ने श्री राम नाम साधना नामक ग्रंथ की रचना की जिसको साधक संत आज भी प्रभु श्री राम की साधना के लिए उपयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि श्री महाराज जी का जन्म मिथिलांचल में बिहार प्रांत की सीमा बिरौली नामक छोटे से गांव में हुई थी और वहां से निकलकर श्री महाराज जी ने साधना की और अनेकों ग्रंथ की रचना की जिसका आज भी अयोध्या के साथ-साथ देश के सभी मंदिरों में उपयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि अनंत श्री बिरौली सरकार की 38 वीं और श्री महंत सियाछबीली शरण भैया जी की 9 वीं वार्षिक भंडारा महोत्सव 27 नवम्बर को मनाया जाएगा. श्री महाराज जी के जयंती बधाई गान में व्यास राघवेंद्र शरण पुजारी शेषनरायण व्यास राजेंद्र पांडे सहित दर्जनों लोगों ने इस उत्सव में सम्मिलित हुए.