योगी पर बनी फिल्म कब होगी रिलीज? इस वजह से हो रही देरी

योगी पर बनी फिल्म कब होगी रिलीज? इस वजह से हो रही देरी
Uttar Pradesh News

भारत देश में बाम्बे हाईकोर्ट में बताया है कि सीबीएफसी किसी फिल्म को लेकर यह नहीं बता सकता है कि किसी मुख्यमंत्री और राजनीतिक व्यक्ति से एनओसी लेकर ना आया हो. जिसमें किसी सीन और डायलॉग पर आपत्ति है तो तो फिर उसका कारण बताइए जिसमें जिम्मेदार अधिकारी और नेता की मंजूरी नहीं है. 

प्रदेश सरकार पर बन गई फिल्म

यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार के जीवन पर लिखा किताब पर बनी फिल्म अजय द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी को लेकर बाम्बे हाई कोर्ट में गुरुवार के दिन अहम सुनवाई की गई है जिसमें इस दौरान फिल्म सर्टिफिकेट्स प्रावधान तथा रचनात्मक स्वतंत्रता से जुड़े सवालों पर कोर्ट ने सख्त रूप से कड़ी टिप्पणी की है जिसमें कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं को सेंसर बोर्ड में अपील करने तथा बोर्ड को आगामी 13 अगस्त तक अंतिम फैसला लेने का दिशा निर्देश दे दिया है. अब फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार के सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के निर्णय के खिलाफ फिल्म निर्माताओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.  

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फिल्म निर्माताओं ने कोर्ट में अब दावा किया है कि उन्होंने जब फिल्म को सर्टिफिकेट के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को भेजो तब सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के सीईओ ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया है कि पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करिए फिर उसके बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र लाइए यहां तक की बोर्ड के अध्यक्ष ने खुद अपॉइंटमेंट दिलाने में मदद करने की पेशकश भी की है. इस दौरान बाम्बे हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहित डेरे तथा जस्टिस नीला गोकले की खंडपीठ ने तीखी नाराजगी बताते हुए कहा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन किसी भी हालत में यह नहीं कह सकता है कि किसी भी मुख्यमंत्री और राजनीतिक व्यक्ति से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर आए यह नियम के खिलाफ है अगर किसी सीन और डायलॉग पर आपत्ति है तो उसका कारण आवश्यक रूप से बताइए अधिकारी और नेता की मंजूरी जरूरी नहीं है.

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हाई कोर्ट ने लगाया फटकार दिया दिशा निर्देश

अब इस कड़ी में कोर्ट सीबीएफसी पर तीखी टिप्पणी करते हुए बताया है कि आप नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं आप यह क्यों नहीं बताते की फिल्म के कौन-कौन से सीन और डायलॉग आपत्तिजनक है जिसमें आप डिस्क्लेमर भी तो ले सकते हैं लेकिन आप फिल्म देखे बिना ही सर्टिफिकेशन रिजेक्ट कर रहे हैं सीबीएफसी की तरफ से सीनियर वकील अभय खंडेपरकर ने कोर्ट को कहा है कि बोर्ड ने अब पूरी तरह फिल्म देखने के बाद ही सर्टिफिकेशन को रिजेक्ट कर दिया है जिसमें बोर्ड का यह भी मानना था कि फिल्म एक बायोपिक है मेकर्स इसे फिलक्शन काल्पनिक घटना बता रहे हैं.

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सीबीएफसी ने तर्क लगाया है कि फिल्म तथा किताब के प्रभाव में अंतर होता है अब इसलिए फैसला बोर्ड चेयरमैन के विवेक पर आधारित है इस पर कोर्ट ने दोटूक में कहां है कि सीबीएफसी ने खुद 17 जुलाई को बताया था की फिल्म देखकर नियमों के मुताबिक फैसला लिया जाएगा जिसमें स्क्रिप्ट देखकर सर्टिफिकेशन रिजेक्ट क्यों किया गया है कोर्ट ने इसे नियमों के उल्लंघन के रूप में पूर्ण रूप से देखा है. अब हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद ही फिल्म निर्माताओं को दिशा निर्देश दिया है कि वह सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन की रिविजनल कमिटी के सामने 8 अगस्त तक अपील करेंगे जिसमें सीबीएफसी 11 अगस्त तक लिखित रूप से यह बतायेगा कि फिल्म के किस सीन और डायलॉग पर उसे आपत्ति है तथा उसके बाद सीबीएफसी 13 अगस्त तक अंतिम फैसला लेगा.

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शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।