यूपी में विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन, बस्ती के 4 गाँव के किसानों ने डीएम को दिया ज्ञापन

यूपी में विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन, बस्ती के 4 गाँव के किसानों ने डीएम को दिया ज्ञापन
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अयोध्या जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भारत का महत्वपूर्ण शहर है, पिछले कुछ वर्षों से न केवल धार्मिक गतिविधियों के कारण बल्कि विकास के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा में रहा है। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने शहर के विकास के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं, लेकिन इनमें से कई योजनाओं और निर्णयों के खिलाफ नागरिकों और स्थानीय नेताओं का विरोध भी सामने आया है।

अयोध्या विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन

अयोध्या विकास प्राधिकरण का गठन शहर के समग्र विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए किया गया था। इसके तहत कई योजनाएँ बनाई गईं जैसे कि सड़क निर्माण, शहर का सौंदर्यीकरण, मंदिरों और धार्मिक स्थलों के आस-पास की संरचनाओं का विकास, और व्यापारिक गतिविधियों के लिए व्यावसायिक केंद्रों का निर्माण। हालांकि इन योजनाओं का कुछ हिस्सों ने स्थानीय निवासियों और समुदायों को असंतुष्ट किया है। बस्ती के हरैया तहसील के रिधौरा, कंचनपुर, माचा और लालपुर गांव के किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अयोध्या विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया। किसानों ने जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। कई स्थानीय निवासियों का आरोप है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण ने विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और कई परिवारों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है। इन परिवारों को पुनर्वास की उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति और सामाजिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

धार्मिक स्थलों के आस-पास के बदलाव

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, और इसके आस-पास के क्षेत्र में कई बदलाव किए जा रहे हैं। हालांकि ये बदलाव विकास की दिशा में हैं कुछ धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक नेताओं का मानना है कि इन परिवर्तनों से शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान हो सकता है। किसानों का कहना है कि अयोध्या विकास प्राधिकरण उनकी जमीनें लेना चाहता है। वे अपनी जमीनें किसी भी कीमत पर देने को तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वे सभी छोटे काश्तकार हैं और खेती ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है। अयोध्या का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं है, बल्कि यहाँ के स्थानीय निवासी और समुदाय भी इस शहर की प्राचीनता और विशिष्टता से जुड़ी हुई है। विकास योजनाओं के कारण यह बदलाव उन स्थानीय लोगों की पारंपरिक जीवनशैली और उनके अधिकारों के खिलाफ हो सकता है, जिन्हें वे लंबे समय से अपनी भूमि और घरों के रूप में मानते हैं। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी विकास प्राधिकरण को दी गईं तो वे भूखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। उन्होंने माचा गांव में इस योजना को रोकने की मांग की। प्रदर्शन में शिव प्रसाद, केशव प्रसाद, राम प्रसाद, बलजीत, राम देव, अजय कुमार श्रीवास्तव और कौमी राम नारायण समेत कई ग्रामीण शामिल थे।

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शम्भूनाथ गुप्ता पिछले 5 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं। 'मीडिया दस्तक' और 'बस्ती चेतना' जैसे प्लेटफॉर्म पर न्यूज़ और वीडियो एडिटिंग टीम में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। न्यूज़ प्रोडक्शन और डिजिटल कंटेंट निर्माण में गहरा अनुभव रखते हैं। वर्तमान में वे 'भारतीय बस्ती' की उत्तर प्रदेश टीम में कार्यरत हैं, जहां वे राज्य से जुड़ी खबरों की गंभीर और सटीक कवरेज में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।