ना आतंकी मरे, ना सिर आया' – नेहा सिंह राठौर ने सरकार से मांगा हिसाब

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव आखिरकार थोड़ी देर के लिए थमता नजर आया जब 10 मई को शाम 5 बजे दोनों देशों ने सीजफायर का ऐलान किया। यह फैसला ऐसे समय में आया जब हाल ही में भारत ने आतंक के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाकर पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर करारा जवाब दिया था। इस कार्रवाई के बाद उम्मीद थी कि अब शायद शांति की दिशा में कुछ कदम बढ़ सकें, लेकिन पाकिस्तान अपनी पुरानी फितरत से बाज नहीं आया और सीजफायर के कुछ ही घंटों बाद उसने फिर से ड्रोन हमलों के जरिए अपनी नापाक हरकतें शुरू कर दीं।
भारतीय सेना ने इन ड्रोन हमलों का सफलतापूर्वक जवाब देते हुए उन्हें नष्ट कर दिया और एक बार फिर साफ कर दिया कि भारत की सीमाओं को पार करने की कोशिश करने वालों को हर बार पहले से भी कड़ा जवाब मिलेगा। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक और नाम चर्चा में आ गया – लोकगायिका नेहा सिंह राठौर।

नेहा सिंह राठौर एक बार फिर अपने सवालों के साथ सामने आई हैं। पहले भी उन्होंने कई बार सोशल मीडिया पर सरकार और सिस्टम से जुड़े सवाल उठाए हैं। इस बार उन्होंने सीधे-सीधे हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद हुए ऑपरेशन को लेकर कुछ तीखे सवाल पूछे हैं, जो देशभर में चर्चा का विषय बन चुके हैं।
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नेहा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, "आतंकवादी ना पकड़े गए, ना उनका सिर आया, तो क्या गारंटी है कि दोबारा हमला नहीं होगा?" उन्होंने यह भी कहा कि 26 हत्याओं का बदला लेने की कोशिश में हमने 21 और जवानों की जान गंवाई, इसका जिम्मेदार कौन है?
नेहा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूरा देश सीजफायर और भारत की जवाबी कार्रवाई की सराहना कर रहा था। लेकिन नेहा के सवालों ने एक नई बहस छेड़ दी है – क्या ऑपरेशन का उद्देश्य पूरा हुआ? क्या वाकई आतंकियों को खत्म किया गया या सिर्फ जवाबी कार्रवाई कर देने को ही संतोष मान लिया गया?
दरअसल, 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद नेहा ने इस आतंकी घटना को बिहार चुनाव से जोड़ते हुए बयान दिया था, जिस पर उन्हें काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज की गई और काफी आलोचना भी हुई। इसके बाद नेहा ने कुछ समय के लिए चुप्पी साध ली थी, लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद वह एक बार फिर से अपने सवालों के साथ लौट आई हैं।
उनका ताजा वीडियो एक बार फिर से यही दर्शाता है कि वे किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर अपनी राय रखने से पीछे नहीं हटतीं, चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी विरोध झेलना पड़े। इस बार उनका सवाल आतंकियों की गिरफ्तारी या मौत को लेकर है। वह जानना चाहती हैं कि अगर आतंकवादी ना तो पकड़े गए और ना ही उनके मारे जाने के पक्के सबूत सामने आए, तो फिर कैसे माना जाए कि यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा?
नेहा के इन सवालों ने सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है। कुछ लोग जहां उन्हें हिम्मत वाली महिला बता रहे हैं जो बिना डरे सिस्टम से सवाल पूछ रही हैं, वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो इस तरह की बयानबाजी को देश की सुरक्षा व्यवस्था पर हमला मानते हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच जो सीजफायर हुआ है, वह खुद ही एक जटिल मसला है। पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि वह सीजफायर का उल्लंघन करता रहा है और भारत की ओर से संयम बरतने के बावजूद हर बार उसकी तरफ से उकसावे की कार्रवाई होती रही है। ऐसे में भारत को मजबूर होकर जवाबी कार्रवाई करनी पड़ती है, जिससे जवानों की जान भी जाती है और तनाव भी बढ़ता है।
नेहा का कहना है कि अगर अब भी आतंक का अंत नहीं हुआ, तो फिर इतने बड़े ऑपरेशन और जवानों की शहादत का क्या मतलब रहा? क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक कदम था या फिर वाकई में आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई?
इन सवालों का जवाब फिलहाल सरकार या सेना की ओर से नहीं आया है, लेकिन यह बात भी सच है कि भारत की सेना हर बार अपनी भूमिका मजबूती से निभाती आई है। कई बार ऑपरेशनों की पूरी जानकारी गोपनीय रखी जाती है ताकि दुश्मन देश को रणनीति का अंदाजा न लगे। लेकिन जनता और समाज के एक वर्ग की जिज्ञासा और सवाल भी स्वाभाविक हैं, खासकर जब मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो।
नेहा सिंह राठौर का सवालों के साथ सामने आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार उनके सवाल पहले से कहीं ज्यादा तीखे हैं और सीधे-सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित हैं। अब देखना यह है कि इस बार उनकी इस आलोचना पर सरकार, प्रशासन या आम जनता का रुख क्या होता है।
पाकिस्तान की ओर से हुई नापाक हरकतों के जवाब में भारत की कार्रवाई को बहादुरी भरा कदम कहा गया है, लेकिन क्या केवल जवाबी हमला ही पर्याप्त है? यह सवाल अब सिर्फ नेहा सिंह राठौर नहीं, बल्कि देश का हर जागरूक नागरिक पूछ रहा है।