यूपी के इस जिले में भूमि अधिग्रहण शुरू, स्थानीय लोगों को मिलेगा फायदा
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यूपी में भूमि अधिग्रहण मामले को लेकर हाल में राज्य के जिलों में खलबली मचा दिया राज्य सरकार ने विकास परियोजनाओं की गति को तीव्र करने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है की भूमि अधिग्रहण तथा मुआवजा वितरण की प्रक्रिया अति शीघ्र किया जाए.
रेल कनेक्टिविटी बना रोजगार माध्यम
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे को छितौनी और तमकुही रेल योजनाओं की मंजूरी दे चुकी है. केंद्र और राज्य सरकार ने राजपत्र में 2 जून को प्रकाशित अधिसूचना के माध्यम से विशेष रेल योजना के लिए कुशीनगर और पश्चिमी चंपारण, बेतिया में जमीन अधिग्रहण का कार्य करवाया जा रहा है. इस दौरान अधिसूचना में अपर जिलाधिकारी कुशीनगर तथा जिला भूमि अर्जन पदाधिकारी, पश्चिम चंपारणी बेतिया के समक्ष अधिकारी नियुक्त करवाया जाएगा.
अब इस मामले को लेकर परियोजना के निष्पादन और अनुसरण प्रबंधन और परिचालन के लिए जिम्मेदारी होगी. योजना के अंतर्गत क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत और बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा प्रदान करना ही इसी उद्देश्य से करवाया जा रहा है. जिसमें स्थानीय निवासियों को और व्यापारियों में इस योजना का पूर्ण जोर समर्थन किया है. यहां पर रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि अब इससे न केवल यात्रा को सहूलियत मिल पाएगी अपितु क्षेत्रीय इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को भी मजबूती और बढ़ावा मिल पाएगा.
स्थानीय लोगों ने किया समर्थन
छितौनी और तमकुही रेल चलाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने बताया है कि इस योजना को लंबे समय से लोगों को इंतजार था. अब इस माध्यम से क्षेत्र का विकास होगा तथा लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलने में मदद हो पाएगी रेल परियोजना को लेकर यहां के कई व्यापारियों ने कहा है कि इससे रोजगार की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा अवसर पड़ेंगे और पलायन रुकेगा. यह योजना ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. अब रेल लाइन में व्यापक और यात्रा में क्रांति दिखाई पड़ रही है
जिले के कई क्षेत्रों में तरक्की की राह पर स्थानीय लोग चलेंगे परियोजना स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी यहां के लोगों की मांग पूरी हुई अब इस इलाके में समृद्धि और वैभव प्राप्त होगा. राज्य सरकार ने आगे कहा है कि यह पूरा मामला लंबित मामलों का समाधान करने का लक्ष्य रखा गया था. अब इससे क्षेत्रीय किसानों को समय पर मुआवजा वितरण करने में आसानी होगी और उन्हें सही मुआवजा भी मिल पाएगा जिसमें परियोजना के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हो सकती.