स्कूल जैसी सुरक्षित जगह में मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी: मुरादाबाद से रूह कंपा देने वाली घटना

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। एक 12 साल की मासूम दलित बच्ची के साथ जो कुछ हुआ, वह समाज की उस सच्चाई को उजागर करता है, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।
8 मई की शाम का वक्त था। बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी। तभी कुछ नाबालिग लड़कों ने उसे बहाने से अपने साथ बुलाया। बताया जा रहा है कि कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर बच्ची को पिलाया गया। जब वह बेहोश हो गई, तो उसे एक प्राइवेट स्कूल के अंदर ले जाकर उसके साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि स्कूल की चाबी आरोपियों को आसानी से मिल गई। वजह यह बताई जा रही है कि आरोपियों में से एक के पिता उस स्कूल में चौकीदार हैं, और चाबी उनके घर के पास ही रहती थी।
इतना ही नहीं, बच्ची का एक वीडियो भी बनाया गया और उसे धमकी दी गई कि अगर वह किसी को कुछ बताएगी, तो जान से मार दिया जाएगा और वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा। डर और धमकी के साये में बच्ची चुप रही, लेकिन अपराधी नहीं रुके। उन्होंने वीडियो को वायरल कर दिया।
19 मई को पड़ोस की एक महिला ने जब यह वीडियो देखा, तो वह तुरंत बच्ची के घर पहुंची और पीड़िता की मां को सब कुछ बताया। मां ने जब प्यार से पूछताछ की, तो बच्ची रो-रोकर पूरी आपबीती सुनाई। इसके बाद परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। हैरानी की बात यह है कि सभी आरोपी नाबालिग हैं और पीड़िता के ही मोहल्ले में रहते हैं।
पुलिस के मुताबिक मामला गंभीर है और जांच जारी है। आरोपियों को हिरासत में लेकर आगे की पूछताछ की जा रही है।
इस घटना ने एक बार फिर समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक मासूम बच्ची, जो स्कूल को एक सुरक्षित जगह मानती थी, वहीं पर उसकी अस्मिता को कुचल दिया गया। यह सवाल सिर्फ कानून-व्यवस्था पर नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक ताने-बाने और बच्चों की परवरिश पर भी उठाता है।
हमारे समाज को यह समझने की ज़रूरत है कि अपराध उम्र देखकर नहीं होते। नाबालिग कहे जाने वाले बच्चों के हाथों भी अगर ऐसी दरिंदगी हो सकती है, तो यह एक बहुत बड़ा सामाजिक संकट है।
यह घटना एक चेतावनी है—हम सबके लिए। माता-पिता, शिक्षक, समाज और प्रशासन—हर किसी को अब जागना होगा। बच्चों को सही-गलत की समझ देना, उनके व्यवहार पर नजर रखना और उनके मन की बातों को सुनना अब केवल विकल्प नहीं, एक जिम्मेदारी बन चुका है।