यूपी में शुरू होगी चकबंदी, इन गाँव को किया जाएगा शामिल, सभी जिलो के डीएम को निर्देश
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यूपी में खेतों से संबंधी विवाद और दूसरे शिकायतों को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर चकबंदी अभियान चलाया जा रहा है, चकबंदी निदेशालय ने इसके लिए लेखपाल समेत राजस्व अधिकारियों को सभी जरूरी निर्देश दे दिये हैं।
यूपी में बड़े पैमाने पर चकबंदी का ऐलान
प्रदेश सरकार ने चकबंदी प्रक्रिया को तेज करने के लिए बड़ा कदम उठाया है, राज्य के 1.700 गांवों में चकबंदी कराने के लिए विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत अप्रैल से होगी। इस अभियान में उन्हीं गांवों को शामिल किया गया है, जहां 50 फीसदी से ज्यादा किसानों ने चकबंदी के लिए सहमति दी है, अप्रैल माह से शुरू होने वाले इस अभियान में उन्हीं गांवों को शामिल किया गया है, चकबंदी निदेशालय ने अभियान को लेकर जिलाधिकारियों को समय रहते सारी तैयारियां करने के निर्देश दिए हैं ताकि अभियान शुरू होने के बाद चकबंदी कार्य में कोई बाधा न पैदा हो। जिलाधिकारियों को यह भी कहा गया है कि अभियान शुरू होने के बाद हर माह की 10 तारीख तक चकबंदी आयुक्त को अपनी समीक्षा रिपोर्ट भेजनी होगी, जिसके आधार पर मंडल व निदेशालय स्तर पर अभियान की समीक्षा की जाएगी। डीएम ने दरांवा और परसा गांवों में चकबंदी प्रक्रिया अविलंब शुरू करने को कहा। भदरास, मवइया, रसूलपुर, कान्हीपुर, सहावर, बिजौली, डिंगरी, बच्छराजमऊ, लाही, बबुवापुर, ओदार, खुज्जी, जासेपुर, सलेमाबाद, महोलिया आदि गांवों में चकबंदी कार्य समय से पूर्ण करने के निर्देश दिए। अवैध प्लाटिंग या चकमार्ग सहित सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर कार्रवाई की जाए। डीएम ने कहा कि चकबंदी से संबंधित वादों के निस्तारण की स्थित बहुत खराब है, सभी मुकदमों का शीघ्रता से व मेरिट के आधार पर निस्तारण करें। मुकदमों में बार-बार तारीख देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही। डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि चकबंदी के दौरान ग्राम पंचायतों की चारागाह, तालाब और अन्य सरकारी जमीनों पर अगर किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है तो उसे तुरंत हटाया जाए, इसके अलावा, अवैध प्लाटिंग और चकमार्गों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
खत्म होंगे खेती से जुड़े विवाद
चकबंदी से जुड़े मामलों का निस्तारण धीमी गति से चल रहा है, जिस पर डीएम ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मुकदमों का निस्तारण जल्द से जल्द और मेरिट के आधार पर किया जाए, बार.बार तारीख देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। बैठक में डीएम ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि चकबंदी कार्य को समय पर पूर्ण कराया जाए। यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि ग्राम पंचायतों में चरागाह, तालाब व अन्य प्रकार की सरकारी जमीनों पर यदि किसी ने कब्जा कर रखा है, तो उस पर कार्रवाई करके खाली कराया जाए। प्रदेश में किसानों की भूमि का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए यह चकबंदी अभियान एक अहम कदम है, जिससे गांवों में जमीन विवादों का समाधान भी होगा और खेती को सुव्यवस्थित रूप से विकसित किया जा सकेगा। इस संदर्भ में चकबंदी अधिकारियों को चरणबद्ध तरीके से जिलावार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में जनवरी माह तक प्रदेश के 207 गांवों की चकबंदी का कार्य पूरा किया जा चुका है, जबकि वर्ष 2023-24 में 781 गांवों की चकबंदी की गई थी। बाराबंकी में कलेक्ट्रेट स्थित लोक सभागार में मंगलवार को डीएम शशांक त्रिपाठी ने चकबंदी कार्यों की समीक्षा बैठक की थी। उप संचालक चकबंदी आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रथम चक्र की चकबंदी जिले के छह गांवों में चल रही है। दूसरे चक्र में 38 गांवों में चकबंदी होगी, जिसमें सर्वे आदि कार्य चल रहे हैं। किसानों के खेत संबंधी विवादों को पारदर्शी तरीके से निपटाने के लिए निदेशालय ने समीक्षा का प्रारूप भी तय कर दिया है। इसमें भूचित्र का पुनरीक्षण, पड़ताल, विनिमय प्रारूप निर्धारण स्तर, पुनरीक्षित वार्षिक रजिस्टर, अवशेष वादों का विवरण, प्रारंभिक चकबंदी योजना का निर्माण व प्रकाशन, चकबंदी योजना का पुष्टिकरण, चक चकबंदी अवशेष वादों का विवरण, कब्जा परिवर्तन, आपत्तियों, अपीलों की संख्या व निस्तारित अपीलों व अंतिम अभिलेख की तैयारी को शामिल किया गया है।