अनाथ हुए बच्चों की पहचान उजागर होने पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग गंभीर
राज्य बाल संरक्षण आयोग ने नाम उजागर करने को माना गंभीर मामला

पत्र में अध्यक्ष ने कहा है कि आयोग के संज्ञान में आया है कि बाल स्वराज पोर्टल पर डाटा अपलोड होने के पश्चात मीडिया व अन्य समूहों के द्वारा कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों की पहचान एकत्र कर अपने-अपने पोर्टल पर अपलोड व व्हाट्सएप ग्रुप आदि में सार्वजनिक किया जा रहा है. इस प्रकार से पहचान सार्वजनिक होने से अनाथ हुए बच्चों को उपेक्षित करने के साथ-साथ जेजे एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है. असामाजिक लोगों, बाल तस्करी करने वाले समूहों, भिक्षावृत्ति समूहों व अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के द्वारा कभी भी ऐसे बच्चों का उपयोग समाज में गलत तरीके से किया जा सकता है.
बाल आयोग इसे गंभीर मामला मानता है. जनपदों में गठित जिला टास्क फोर्स, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी आदि के द्वारा अनाथ व एकल बच्चों की सूचना जो मीडिया व अन्य समूहों ने अपने तरीके से सार्वजनिक की है, उसको एकत्र कराएं. तत्पश्चात ऐसे परिवारों की स्थलीय जांच कर उनकी काउंसलिंग व सामाजिक रिपोर्ट एकत्र कराते हुए आयोग को एक सप्ताह में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. पत्र में कहा गया है कि जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति को अपने स्तर से मीडिया के साथ एक उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने हेतु निर्देशित करें, जिससे अनाथ हुए बच्चों की पहचान को सार्वजनिक करने व जेजे एक्ट के उल्लंघन से रोका जा सके.
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