यूपी के इन 23 बस अड्डों पर 2 साल तक नहीं मिलेंगी बसें, आगरा, प्रयागराज, लखनऊ समेत कई बस स्टेशनों की देखें लिस्ट
UP Roadways News
बीते महीने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने घोषणा की थी कि राज्य के 23 बस स्टेशनों का सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से आधुनिकीकरण किया जाएगा, जिसमें स्वतंत्र कंपनियों के साथ सहयोग किया जाएगा जो बस स्टेशनों के बुनियादी ढांचे में सुधार करने और उसके बाद अर्जित राजस्व का लाभ उठाने में निवेश करेंगी.
UPSRTC ने क्या कहा?
यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार लखनऊ मंडल में, दो बस स्टेशनों और दो कार्यशालाओं का आधुनिकीकरण और पुनर्निर्माण किया जाना है इसमें चारबाग और रायबरेली के बस स्टेशन, और गोमती नगर और अमौसी की वर्कशॉप शामिल हैं.
UPSRTC लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने पुष्टि की कि सोमवार को गोमती नगर बस स्टेशन पर रीमॉडलिंग की शुरुआत हुई. त्रिपाठी ने आगे कहा, 'रायबरेली स्टेशन से 300 से अधिक बसें संचालित होती हैं, और यहां हर दिन 3,000 से 4,000 यात्री आते-जाते हैं, इन यात्रियों को भविष्य में 1.5 से 2 साल तक किसी नई जगह से बस पकड़नी पड़ेगी.
UPSRTC के महाप्रबंधक (पीपीपी परियोजनाएं) यजुवेंद्र कुमार ने बताया कि कुछ ही हफ्तों में ग्यारह ऐसी परियोजनाएं शुरू हो जाएंगी. कुमार ने बताया, '11 परियोजनाओं के लिए चिट्ठी पहले ही जारी की जा चुकी है. इसमें लखनऊ संभाग की चार, गाजियाबाद, कौशांबी, प्रयागराज और आगरा फोर्ट में बस स्टेशन का आधुनिकीकरण किया जाएगा.' उन्होंने कहा, 'एक या दो साल तक यात्रियों को नए मार्गों और बस स्टॉप के साथ तालमेल बिठाना होगा, लेकिन उसके बाद, वे नई सुविधाओं के साथ आधुनिक बस स्टेशनों का लाभ उठा सकेंगे.'
उन्होंने कहा 'इससे हजारों यात्रियों पर थोड़ा असर पड़ेगा. सभी रीमॉडलिंग प्रोजेक्ट लगभग एक ही समय पर हो रहे हैं. लगभग सभी प्रोजेक्ट के लिए अनुमति, एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) और मानचित्र अनुमोदन प्राप्त कर लिए गए हैं. हम बाकी 12 परियोजनाओं पर कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं, जो कुछ ही हफ्तों में आ जाएगी.
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“विकास कुमार पिछले 20 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। उत्तर प्रदेश की राजनीति पर इनकी मजबूत पकड़ है, विधानसभा, प्रशासन और स्थानीय निकायों की गतिविधियों पर ये वर्षों से लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं। विकास कुमार लंबे समय से भारतीय बस्ती से जुड़े हुए हैं और अपनी जमीनी समझ व राजनीतिक विश्लेषण के लिए पहचाने जाते हैं। राज्य की राजनीति पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक भरोसेमंद पत्रकार की पहचान देती है