Opinion: जब मंत्री जी का बेटा IIMC में पढ़ेगा तभी उन्हें मतलब होगा!

वीरेंद्र
भारतीय जनसंचार संस्थान यानी IIMC जिसके लिए तमाम लोग कोचिंग करते हैं. पत्रकारिता के लिए देश के सर्वोच्च माने जाने वाले इस संस्थान IIMC में इन दिनों छात्र आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि फीस को कम किया जाय. अगर आप IIMC को नहीं जानते तो आइए पहले आपको यह बता दें कि आखिर यह संस्थान क्या है और इसके मायने क्या हैं.
IIMC की वेबसाइट http://iimc.nic.in/ बताती है कि ’17 अगस्त, 1965 को सूचना और प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उद्घाटन किया गया. भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) की शुरुआत यूनेस्को के दो सलाहकारों और कुछ अन्य लोगों की टीम के साथ हुई थी.
शुरुआती वर्षों में, संस्थान ने मुख्य रूप से केंद्रीय सूचना सेवा अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किए और मामूली पैमाने पर शोध अध्ययन किया. साल 1969 में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, अफ्रो-एशियाई देशों के मध्यम स्तर के काम करने वाले पत्रकारों के लिए विकासशील देशों के लिए पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया गया था.
केंद्र / राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के विभिन्न मीडिया / प्रचार संगठनों में काम करने वाले संचार पेशेवरों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्थान द्वारा एक सप्ताह से तीन महीने की अवधि के कई विशेष लघु पाठ्यक्रम बाद में जोड़े गए. बीते कुछ सालों में IIMC ने विस्तार किया है और अब नियमित स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करता है.’
क्या है IIMC के फीस की हकीकत!
अब बात करते हैं मौजूदा समय की. कभी यही फीस 20000 के करीब हुआ करती थी, अब इसका जिक्र लाख से कम नहीं होता.हालात यह हैं कि संस्थान ने साल 2015 से अब तक हिन्दी पत्रकारिता के कोर्स की फीस 55000 से बढ़ाकर 95,500 रुपए कर दी. यही हाल अंग्रेजी पत्रकारिता का है.
बात रेडियो और टीवी डिपार्टमेंट की करें तो यह फीस 1 लाख के ऊपर है. 6 दिंसबर की रात जब यह लेख लिखा जा रहा था तब iimc की वेबसाइट पर फीस के बारे में जो जानकारी मुहैया कराई गई थी, उसमें अंग्रेजी और हिन्दी के लिए 87,000 रुपए, रेडियो टीवी के लिए 1,60,000 रुपए, विज्ञापन विभाग के लिए 1,23,000, और Odia/Urdu/Marathi/Malayalam में डिप्लोमा के लिए 47,000 रुपए फीस है.
वहीं हकीकत वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार बिल्कुल उलट है. रेडियो एंड टीवी जर्नलिज्म में एक कोर्स का शुल्क 1,68,500 रुपये है, विज्ञापन और पीआर के लिए यह 1,31,500 रुपये, हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए 95,500 रुपये और उर्दू पत्रकारिता के लिए 55,500 रुपये फीस है.
IIMC की फीस 100 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ा दी गई
आप खुद सोचे कि जिस समाज में पत्रकारिता को नोबेल पेशा यानी पवित्र माना जाता हो. जिस क्षेत्र में लोग समाजसेवा करने आते हैं और यही उन्हें बड़े मीडिया संस्थान तन्ख्वाह डिस्कस करते वक्त बताते भी हैं, वह कैसे इतनी फीस दे पाएगा.
आप जानेंगे तो चौंक जाएंगे कि 250 छात्रों वाले दिल्ली स्थित इस कैंपस में बमुश्किल 50 छात्र होंगे जो इस फीस को बेहिचक अदा कर पाते हैं. कितनों की फीस, फ्रीशिप के वादे पर बकाया रह जाती है. सच्चाई यह है कि IIMC की फीस 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ा दी गई.
आखिर फीस बढ़ाने की कोई तो लिमिट होगी? पढ़ाई तो पढ़ाई, हॉस्टल और मेस की फीस भी माशाल्लाह शानदार रखी है. छात्रों ने कहा कि हॉस्टल और मेस का शुल्क लड़कियों के लिए लगभग 6,500 रुपये प्रति माह और लड़कों के लिए 4,800 रुपये है.
बीते कुछ दिनों में एक चलन सा चल गया कि अगर मंत्री जी को दिक्कत होगी तभी कोई मुद्दा असली होगा. मसलन वह चाहे प्याज की बढ़ती कीमत का हो या आर्थिक सुस्ती का. जब तक मंत्री जी को दिक्कत नहीं होगी तब तक कोई इन पर बात करने का हकदार नहीं है. ऐसे में आईआईएमसी के छात्रों को मान ही लेना चाहिए कि ‘जब मंत्री जी का बेटा IIMC में पढ़ेगा तभी उन्हें फीस से मतलब होगा.’
JNU की नकल कर रहे छात्र?
छात्रों के आंदोलन की कुछ लोग यह कह कर आलोचना कर रहे हैं कि सब पास के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का असर और नकल है. इस बात का सिर्फ एक ही जवाब है- ‘अगर कोई असर के चलते और नकल कर के अच्छा करना चाह रहा है तो करने दीजिए. दिक्कत क्या है?’
एक और बात अपने मन से यह कीड़ा निकाल फेंकिये कि JNU में राष्ट्रद्रोही पढ़ते हैं. इतिहास उठाकर देखें तो शायद आपको अंदाजा हो जाए कि अगर JNU और उसके आंदोलन ना होते तो ना जाने कितने मुद्दे यूं ही आते जाते और खत्म हो जाते.
आज के समय में किसी भी शैक्षणिक आंदोलन को गाली देकर, फिजूल के ज्ञान पर आधारित विरोध करके अपने बच्चों का तो भविष्य ना ही बर्बाद करें. हो सकता है कि जो छात्र आज फीस के लिए लड़ रहे हैं उन्हें उसका लाभ ना मिले लेकिन अगर भविष्य में आने वाली पीढ़ी को इसका लाभ मिले तो क्या बुराई है?
IIMC पर चुप्पी चौंकाने वाली
आपको यह जानकर हैरानी होगी साल 2019 खत्म होने को है लेकिन अप्रैल 2019 से ही महानिदेशक का पद खाली है. DG IIMC का पदभार संभाल रहे एक अधिकारी के.एस. धतवालिया वरिष्ठ IIS अधिकारी हैं जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय में प्रधान महानिदेशक (अनुसंधान और प्रशिक्षण) भी हैं.
बताइए कि पत्रकारिता के इतने बड़े संस्थान में एक अदद डीजी की नियुक्ति में सरकार को 9 महीने से भी ज्यादा का वक्त लग रहा है. मार्च 2019 में डीजी पद से केजी सुरेश रिटायर हुए थे.
IIMC के मुद्दे पर अब तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के मंत्री की चुप्पी चौंकाने वाली है. छात्र आंदोलनरत है लेकिन किसी कोई फर्क नहीं पड़ रहा. संभव है कि IIMC के छात्रों का संख्या बल कम हो लेकिन उनका हौसला कहीं से कम नहीं दिख रहा.
वे कई रातों से IIMC में धरना दे रहे हैं. उम्मीद है प्रशासन जल्द उनकी मांगे मान लेगा.
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