बस्ती मेडिकल कालेज में भर्ती के नाम पर जनप्रतिनिधियों के सिफारिशी पत्रों से हड़कम्प

बस्ती मेडिकल कालेज में भर्ती के नाम पर जनप्रतिनिधियों के सिफारिशी पत्रों  से हड़कम्प
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अनूप मिश्रा

केंद्र व राज्य सरकार जहां अपने जनप्रतिनिधियों को शुचिता और भष्टाचार से दूर होने का पाठ पढ़ा रही है। वहीं बस्ती के नवनिर्मित मेडिकल कालेज में आउटसोर्सिंग से भर्ती के नाम पर जनप्रतिनिधि खुलेआम अपना लेटर पैड जारी कर रहे है।

भाजपा जन प्रतिनिधियों द्वारा लिखे गये सिफारिश पत्रों को सच माने तो सांसद हरीश द्विवेदी ने जहां 70 लोगों की लिस्ट थमायी है। वहीं दूसरे नम्बर पर हर्रैया विधायक अजय सिंह ने 28 लोगों को भर्ती कराने के नाम पर अपना लेटर पैड जारी कर दिया है। सदर विधायक दयाराम चौधरी भी भर्ती के नाम पर 7 लोगों की लिस्ट कालेज प्रशासन को थमा चुके है। मजे की बात इस बहती गंगा में जिलाध्यक्ष पवन कसौधन भी हाथ धोन से नहीं चूके। जिसमें उनका भी नाम भी सामने आ रहा है। जिन्होंने 10 आवेदकों के लिए मेडिकल कालेज प्रशासन से भर्ती के नाम पर सिफारिशी पत्र जारी कर दिया है।

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सवाल उठता है की जब भर्ती के नाम पर जनप्रतिनिधियों के पत्र काम आयेंगे तो अन्य आवेदकों का क्या होगा। जनप्रतिनिधियों के पत्रों का खुलासा हो जाने से प्रशासन के साथ ही पार्टी में हड़कम्प मच गया है। अंदरखानें की मानें तो इसकी शिकायत उपर तक हो रही है। जनप्रतिनिधियों के लेटर पैडों के अचानक बाहर आ जाने से सकते में आये भाजपा के पदाधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे है। चूंकी मामला सीधे सांसद, विधायक और जिलाध्यक्ष से जुड़ा है तो विरोधी खेमा भी मगन हो गया है। भर्ती के नाम पर जारी इन पत्रों पर क्या कार्रवाई होगी ये वक्त बताएगा। मगर इन पत्रों के सार्वजनिक हो जाने से मेडिकल कालेज में भर्ती प्रक्रिया की शुचिता पर सवाल खड़े हो गये है।

सरकार की भष्टाचार विरोधी मंशा को बस्ती के जनप्रतिनिधि आइना दिखा रहे है। जहां इनके पत्रों पर भर्ती के लिए सिफारिश की जाती है। सनद रहे पिछले साल शुरू हुए मुण्डेरवां चीनी मिल में भी भर्ती के नाम पर ऐसे ही आरोप जनप्रतिनिधियों पर लग चुके है।

भर्ती के लिए जारी इन पत्रों के बारे में जब सांसद हरीश द्विवेदी के नम्बर पर सम्पर्क किया गया तो उनका नम्बर बिजी बताने लगा। सदर विधायक दयाराम चौधरी के नम्बर पर भी बात नहीं हो पायी। वहीं जिलाध्यक्ष पवन कसौधन ने खुद को मीटिंग में होना बताया। हर्रैया विधायक अजय सिंह का नम्बर भी नाट रिचेबल निकला। इससे इन पत्रों की संवेदनशीलता और उसके उजागर हो जाने से किसी को जवाब नहीं सूझ रहा है।

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