बिहार में भूमि अधिग्रहण को लेकर नए नियम, सरकार का बड़ा फैसला

बिहार: राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने राज्य में तेज़ी से हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाने हेतु 185 नए राजस्व पदों की घोषणा की है. यह निर्णय राज्य की बड़ी परियोजनाओं की गति बढ़ाने और समय पर ज़मीन अधिग्रहण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है.
बिहार में आधारभूत ढांचे के तीव्र विकास को गति देने की दिशा में एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और परिणामदायी बनाने के लिए कुल 185 नए पदों के सृजन को स्वीकृति दी है. ये सभी पद सीधे तौर पर राजस्व सेवा से जुड़े होंगे और ज़मीन अधिग्रहण से संबंधित कार्यों में समर्पित रहेंगे. विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस संबंध में महालेखाकार को एक विस्तृत पत्र भेजकर इन पदों के सृजन की विधिवत जानकारी दी है. पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र सरकार के बजट 2025 और राज्य कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करने के क्रम में राज्य भर में विभिन्न आधारभूत परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता सामने आ रही है.
इस क्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), बड़े रेलवे प्रोजेक्ट्स, अस्पताल निर्माण, पुलों के विस्तार और नदी जोड़ परियोजनाओं जैसी योजनाएं शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, तटीय क्षेत्रों में नए तटबंधों के निर्माण और बाढ़ नियंत्रण उपायों के लिए भी भूमि अधिग्रहण का कार्य अनिवार्य हो गया है. वर्तमान में राज्य सरकार और केंद्र सरकार संयुक्त रूप से कई हवाई अड्डों के निर्माण और विस्तार के लिए भी ज़मीन की तलाश में जुटी हुई हैं. इन योजनाओं को धरातल पर लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर दक्ष और समर्पित अधिकारियों की तत्काल जरूरत महसूस की गई, जिसके बाद इन नए पदों का प्रस्ताव तैयार किया गया.
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नए पदों के आंकड़ों पर यदि गौर करें, तो सर्वाधिक 104 पद "अपर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी" के रूप में स्वीकृत किए गए हैं. वहीं, "राजस्व अधिकारी सह कानूनगो (भू-अर्जन)" के 81 नए पदों का भी निर्माण किया गया है. इन पदों की स्थापना से राज्य के प्रत्येक जिले में तीन-तीन अधिकारी भूमि अधिग्रहण से संबंधित कार्यों को संभालेंगे, जिससे कार्य की गति और पारदर्शिता में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद की जा रही है. राज्य सरकार के अनुसार इन नवसृजित पदों के कारण प्रत्येक वर्ष 13 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना होगा, किंतु यह खर्च राज्य की दीर्घकालिक विकास योजनाओं की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. वर्तमान समय में अधिकारियों की संख्या सीमित होने के कारण कई बार परियोजनाओं के लिए समय पर ज़मीन अधिग्रहण नहीं हो पाता, जिससे न केवल कार्यों में देरी होती है, बल्कि लागत भी कई गुना बढ़ जाती है. यह कदम न केवल प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करेगा, बल्कि राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को भी रफ्तार देगा.