तीसरी बार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बनने वाले विरले नेता कैलाश विजयवर्गीय

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भोपाल, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित कर दी है। उन्होंने अपनी टीम में बतौर महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को एक बार फिर शामिल किया है। विजयवर्गीय लगातार तीसरी बार भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने पद पर काबिज हैं। कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव बनाने से स्पष्ट है कि उनके संगठन क्षमता और राजनीतिक प्रबंधन कौशल का लेहा मानती है। भाजपा में लगातार तीसरी बार महासचिव का पद विरले नेताओं को ही मिलता है। पार्टी में संगठन महामंत्री तो लगातार रहे हैं लेकिन महामंत्री के पद पर दो बार से अधिक मौका कम नेताओं को मिला है। विजयवर्गीय महासचिव बनने के बाद से लगातार पश्चिम बंगाल के प्रभारी बने हुए हैं। पार्टी पश्चिम बंगाल को भारत का अहम राज्य मानती है। यहां लोकसभा की 42 सीटें हैं। कैलाश विजयवर्गीय के पास भाजपा संगठन संसदीय दल और सरकार के बीच समन्वय का भी काम है। विजयवर्गीय को फिर से महासचिव बनाने से स्पष्ट है कि उन्हें पश्चिम बंगाल के अलावा भी किसी अन्य राज्य की जवाबदारी दी जा सकती है। कैलाश विजयवर्गीय को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नजदीकी नेता माना जाता है। अमित शाह का भरोसा उन पर बना हुआ है। यही वजह है कि राष्ट्रीय महासचिव की हैसियत से विजयवर्गीय को फिर से मौका मिला है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षा है कि वे नरेंद्र मोदी को चुनौती दे ऐसे में ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में घेरने की रणनीति बन रही है। इस दृष्टि से पश्चिम बंगाल भाजपा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। यही सब सोचकर पार्टी के नेतृत्व में कैलाश विजयवर्गीय को पश्चिम बंगाल से नहीं हटाने का निर्णय लिया लिया है। कैलाश विजयवर्गीय ने भी पूरे दमखम के साथ तृणमूल कांग्रेस से टक्कर लेने का ऐलान किया है। कैलाश विजयवर्गीय पिछले पांच सालों से यानी 2016 से ही पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं। इसी साल वे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त हुए थे। जब विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल का प्रभार संभाला था तो भाजपा केवल कोलकाता के उन दो तीन विधानसभा क्षेत्रों तक सीमित थी जहां बिहारी और मारवाड़ी लोगों की बाहुलता है। कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल के चप्पे-चप्पे में प्रवास किया और भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा किया। उन्होंने जीरों में रहकर कार्यकर्ताओं के कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन किए। नतीजा यह निकला कि भाजपा आज वहां 18 लोकसभा और 70 विधानसभा सीटों पर काबिज है। पार्टी के पास 38 फीसदी मतदाता हैं। भाजपा भले ही पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जीत नहीं पाई लकिन उसके विधायकों की संख्या वहां तीन से बढ़कर 73 तक पहुंच गई थी। कैलाश विजयवर्गीय यहां के सभी ग्रास रूट लेवल के कार्यकर्ता से परिचित हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल की राजनीतिक तासीर का अंदाजा है। इस कारण से पार्टी नेतृत्व ने उन्हें पश्चिम बंगाल में ही बने रहने दिया है।
अनिल पुरोहित/अशफाक
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Tags: madhya pradesh news
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