बस्ती से वाराणसी जाने वालों के लिए खुशखबरी, टांडा पुल खुलते ही राहत

महीनों से बंद टांडा पुल खुलने से बस्ती–अंबेडकरनगर और वाराणसी जाने वालों को राहत

बस्ती से वाराणसी जाने वालों के लिए खुशखबरी, टांडा पुल खुलते ही राहत
बस्ती से वाराणसी जाने वालों के लिए खुशखबरी, टांडा पुल खुलते ही राहत
बस्ती–अंबेडकरनगर जाने वालों के लिए राहत की खबर

बस्ती से अंबेडकरनगर की यात्रा करने वालों के लिए अच्छी खबर है. महीनों से बंद पड़ा बड़ा टांडा पुल अब मरम्मत के बाद खोल दिया गया है. इस पुल पर 11 सितंबर से मरम्मत कार्य शुरू हुआ था, जिसके चलते दो पहिया और चार पहिया वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया था. हालांकि बाद में मजबूरी में कई लोग जोखिम उठाकर दो पहिया वाहन से पुल पार कर रहे थे.

पुल बंद होने से बढ़ गई थी दूरी

पुल बंद होने के कारण बस्ती से वाराणसी जाने वाले यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. लोगों को गोरखपुर होकर गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से आजमगढ़ होते हुए वाराणसी जाना पड़ता था. इस वजह से दूरी करीब 250 किलोमीटर हो जाती थी, जबकि टांडा पुल के रास्ते यह दूरी लगभग 200 किलोमीटर ही पड़ती है.

फिलहाल केवल चार पहिया वाहनों को अनुमति

मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद फिलहाल पुल पर केवल चार पहिया वाहनों का आवागमन शुरू किया गया है. भारी वाहनों का प्रवेश अभी प्रतिबंधित रखा गया है. प्रशासन के अनुसार आगे स्थिति की समीक्षा के बाद भारी वाहनों को भी अनुमति दी जाएगी.

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पूर्वांचल का सबसे लंबा पुल है टांडा पुल

यह टांडा पुल 72 खंभों पर बना 2,231 मीटर लंबा पुल है. इसे राज्य सेतु निगम ने करीब 8 साल में तैयार किया था. यह पूर्वांचल का सबसे लंबा पुल माना जाता है. इस पुल के निर्माण में करीब 1.19 अरब रुपये की लागत आई थी.

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पूर्व सांसद ने उठाया था मुद्दा

पुल की मरम्मत को लेकर बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी ने भी अधिकारियों से बातचीत की थी. उन्होंने कहा था कि पिछले छह महीनों से मरम्मत कार्य चलने के कारण आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा कराया जाना चाहिए. अब पुल खुलने से लोगों ने राहत की सांस ली है.

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“विकास कुमार पिछले 20 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। उत्तर प्रदेश की राजनीति पर इनकी मजबूत पकड़ है, विधानसभा, प्रशासन और स्थानीय निकायों की गतिविधियों पर ये वर्षों से लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं। विकास कुमार लंबे समय से भारतीय बस्ती से जुड़े हुए हैं और अपनी जमीनी समझ व राजनीतिक विश्लेषण के लिए पहचाने जाते हैं। राज्य की राजनीति पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक भरोसेमंद पत्रकार की पहचान देती है