बस्ती विकास प्राधिकरण नहीं 'पैसा वसूली विभाग' कहिए जनाब.... अपनी ही नोटिसों पर कार्रवाई नहीं

Basti Development Authority में सिर्फ शिकायतों और आई.जी.आर.एस. पर ही हो रही है कार्रवाई

बस्ती विकास प्राधिकरण नहीं 'पैसा वसूली विभाग' कहिए जनाब.... अपनी ही नोटिसों पर कार्रवाई नहीं
basti vikas pradhikaran

Basti Development Authority: अपने कारनामों से मशहूर बस्ती विकास प्राधिकरण जारी नोटिसों पर कार्रवाई  करने से कतरा रहा है. सैकड़ों की तादाद में कटी हुई नोटिसें महीनों से धूल फांक रही है.

उन पर कार्रवाई करने से कतराने के चक्कर में अवैध निर्माणों की बस्तियां बसती जा रही है. सिर्फ शिकायतों और आइजीआरएस पर ही नोटिसें जारी कर उन्हीं पर कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे है. 

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नियोजित विकास का खाका खींचने वाले विभाग की मंशा को बस्ती विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार ही पलीता लगा रहे है. नियोजित विकास को कौन कहे अवैध निर्माणों की बस्ती बनता जा रहा है शहर.   विभाग कहता है की अवैध निर्माणों  पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के साथ ही शमन शुल्क वसूल किया जाएगा. मगर असलियत इसके उलट है. 

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अवैध निर्माणों पर अब तक कहीं से भी बुलडोजर चलने या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शायद ही हुई हो. प्राधिकरण द्वारा जारी नक्शे  पर अमल करवाना तो दूर अवैध प्लाटिंग करने वालों के प्लाट पर लगने वाले साइन बोर्ड कार्यालय में धूल फांक रहे है. इसी से प्राधिकरण  की मंशा को सहज समझा जा सकता है. लोगों की मानें तो बस्ती विकास प्राधिकरण का उद्देश्य विकास  नहीं सिर्फ वसूली तक सिमट कर रह गया है.

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हाल ही में गांधी नगर इलाके में एक पेट्रोल पम्प के बगल महमूद अहमद पुत्र नूरूल हसन द्वारा विभाग द्वारा स्वीकृत नक्शें से उलट बेसमेन्ट बनाने का काम चल रहा है.  निर्माण पर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया. वहां नोटिस जारी करने के बावजूद निर्माण कार्य  अनवरत चालू है. जनता की मानें तो प्राधिकरण द्वारा थमाई गई नोटिसें  पैसा पैदा करने का औजार बन गई है.  

पुरानी नोटिसों को जारी न करने के सवाल पर विभाग के उच्च अधिकारी द्वारा उन पर दस्तखत नहीं होना बताया जा रहा है. ऐसे में यदि ऐसे ही चलता रहा तो बस्ती विकास प्राधिकरण सिर्फ पैसा वसूली विभाग बनकर रह जाएगा.

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