सपा विधायक ने शिक्षामित्रों को क्या कह दिया? मच गया बवाल

सपा विधायक ने शिक्षामित्रों को क्या कह दिया? मच गया बवाल
SP MLA

उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा में मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ;सपा के एक सदस्य के वक्‍तव्‍य का विरोध किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों की तुलना कुत्तों से की जाए, यह ठीक नहीं है। बेसिक शिक्षा राज्‍य मंत्री ;स्‍वतंत्र प्रभार, संदीप सिंह ने कहा कि माननीय सदस्य ने सदन के अंदर शिक्षा मित्रों का जो अपमान किया है, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

सपा विधायक ने शिक्षा मित्रों की तुलना कुत्तों से की

सदन में जवाब देते समय संदीप सिंह ने कहा कि सदस्‍य ने शिक्षा मित्रों के संदर्भ में प्रश्‍न किया और शिक्षा मित्रों की तुलना पशु से कर दी। पिछले सत्र में भी विपक्ष के सदस्‍य ने पशु से तुलना की थी। उन्‍होंने कहा कि शिक्षा मित्रों के प्रति यह सदस्‍य का भाव है। माननीय सदस्‍य ने सदन के अंदर शिक्षक का जो अपमान किया है, उसके लिए उन्‍हें माफी मांगनी चाहिए। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रियों ने सपा विधायक राकेश कुमार वर्मा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षा मित्रों की तुलना कथित तौर पर कुत्तों से की है। इसी वजह से यूपी सरकार के मंत्री सपा विधायक से माफी की मांग कर रहे हैं। यूपी सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर उन्होंने कहा, “माननीय मंत्री जी के घर का जो नौकर होगा, जो कुत्ते को सैर कराने का काम करता होगा, वो भी 30,000 रुपये की सैलरी लेता है। मंत्री के घर में कील ठोंकने वाला व्यक्ति भी 1,000 रुपये प्रतिदिन वेतन पाता है। लेकिन शिक्षा मित्रों को मात्र 350 रुपये प्रतिदिन वेतन दिया जाता है, जो महंगाई के मुकाबले बहुत कम है। सपा विधायक के सवाल के लिखित जवाब में संदीप सिंह ने कहा कि शिक्षा मित्रों को हर महीने दस हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानदेय बढ़ाने और शिक्षा मित्रों को नियमित शिक्षक बनाने पर विचार का कोई प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है।

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राकेश वर्मा अपने बयान पर माफी मांगें

मंत्री ने बताया कि बढ़ती महंगाई के दृष्टिगत मानदेय बढ़ाने एवं शिक्षामित्र को शिक्षक बनाने पर विचार करने का कोई प्रस्ताव अभी सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। संदीप सिंह ने इसकी वजह गिनाते हुए कहा कि शिक्षामित्र का चयन ग्राम शिक्षा समितियां द्वारा ग्राम पंचायत के अधीन इंटरमीडिएट, उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से आवेदन प्राप्त कर 11 माह के लिए निर्धारित मानदेय पर किया जाता है। एक अन्‍य प्रश्‍न के उत्‍तर में उन्‍होंने कहा कि शिक्षामित्र संविदा पर कार्यरत हैं, जिन्हें मानदेय 3500 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। संदीप सिंह ने कहा कि विधायक ने शिक्षा मित्रों को लेकर सवाल किया था और उनकी तुलना जानवरों से की। आखिरी सत्र में भी, विपक्ष के एक विधायक उनकी तुलना जानवरों से की थी। उन्होंने कहा, “शिक्षा मित्रों के प्रति इनकी यही भावना है। माननीय सदस्य को सदन के अंदर एक शिक्षक का जो अपमान किया है उसके लिए माफी मांगनी चाहिए। यूपी विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान सपा विधायक राकेश कुमार वर्मा ने राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री से शिक्षा मित्रों को दिए जाने वाले मानदेय की जानकारी मांगी और यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार यह राशि बढ़ाना चाहती है और उन्हें शिक्षक के तौर पर कंफर्म करेगी? इससे पहले कि संबंधित विभाग के मिनिस्टर इसपर कुछ जवाब दे पाते, यूपी सरकार के सीनियर मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने सपा विधायक को घेरने की कोशिश की और कहा, “सदस्य ने कहा कि हमारे कुत्ते घुमाने वाले भी 20,000 रुपये लेते हैं। क्या शिक्षा मित्रों की तुलना कुत्तों से की जाएगी?” इसके बाद तुरंत ही सत्ता पक्ष के विधायकों ने तुरंत “शर्म करो, शर्म करो” के नारे लगाने शुरू कर दिए और सपा विधायक से माफ़ी मांगने की मांग की। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि विधायक को शिक्षा मित्रों का “अपमान” करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।

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