नज़रिया: जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध
योगेश मिश्रा
हरियाणा के सैद अलिपुर गाँव के एक किसान के बेटे रामकिशन यादव आज बाबा रामदेव के नाम से मशहूर हैं. सुर्खियों में रहने और सत्ता प्रतिष्ठान से लाभ उठाने के उनके हुनर का कोई सानी नहीं है. बड़े बड़े प्रबंधकीय कौशल वालों को भी यह हुनर रामदेव से सीखना पड़ सकता है. आपदा तैयार करने,उसे अवसर में बदलने दोनों में बाबा को महारत हासिल है. कोरोना काल में बाबा एलोपैथिक को गाली देने और इस विधा के डॉक्टरों पर तोहमत मढ़ने के लिए सुर्खघ्यिों में हैं. रामदेव ने कहा कि एलोपैथिक दवाएँ खाने से लाखों लोगों की मौत हुई है. उन्होंने एलोपैथी को ‘स्टुपिड और दिवालिया साइंस’ भी कहा.
बयानों की यह सुर्खी उन्हें तब हासिल हुई है जब कोरोना काल में अपनी दवा कोरोनिल को लेकर बाबा खुद कटघरे में खड़े किये जा चुके हैं. इस दवा के लॉंचिंग के अवसर पर चिकित्सा मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन व परिवहन मंत्री नितिन गड़करी उपस्थित रहे. हालाँकि लॉन्चिंग के कुछ ही घंटों में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस दवाई से पल्ला झाड़ लिया. सरकार ने इस दवाई की बिक्री पर रोक भी लगा दी. यह बात अलग है कि बाद में कोरोनिल को कोरोना से सुरक्षा देने के नाम पर बेच कर 250 करोड़ रूपये कमाये गये.इस साल तो सरकार कोरोना के मरीजों को यह दवा बांटने लगी है.
रामदेव और उनके साथी बालकृष्ण ने हरिद्वार में दिव्य फार्मेसी की स्थापना 1995 में की. पहला प्रॉडक्ट च्यवनप्राश लॉन्च हुआ. 2003 में पतंजलि योगपीठ की स्थापना हुई . इसी साल आस्था और संस्कार टीवी चैनलों पर रामदेव योग दिखाने और सिखाने लगे. रामदेव की किस्मत 2006 में तब खुली जब इनकम टैक्स एक्ट में एक बड़ा बदलाव कर योग को धर्मार्थ कार्य मान लिया गया.इसी साल पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना हुई. कम्पनी को बनाने में रामदेव के अनुयायी श्रवण और सुनीता पोद्दार ने 50 करोड़ की शुरुआती फंडिंग की. आज उनके पास 8 फीसदी शेयर हैं . बालकृष्ण के पास 92 फीसदी शेयर हैं.
2012 में पतंजलि आयुर्वेद एफएमसीजी मार्केट में उतरी. सौ से ज्यादा आइटम बेचा जाने लगा.2013-14 में बड़े-बड़े मॉल से लेकर गलीकृमोहल्लों में पतंजलि के स्टोर्स खुले.2017 में पतंजलि योगपीठ को इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल से आयकर छूट का दर्जा मिला. आधार आयुर्वेदिक चिकित्सा और योग शिक्षा को बनाया गया. 2014 से लेकर 2017 तक पतंजलि ने दमदार बढ़ोतरी दर्ज की. नोटबन्दी और जीएसटी के बाद पतंजलि के कारोबार में गिरावट आई. लेकिन फिर भी 2017 में पतंजलि ने 10,561 करोड़ रूपये का कारोबार किया. सालाना आमदनी में बढ़ोतरी 55 फीसदी रही. जबकि देश में एफएमसीजी बाजार 8 - 9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा था. फोर्ब्स के मुताबिक बालकृष्ण 25600 करोड़ रुपये के मालिक हैं. वे देश के 48वें सबसे अमीर हैं. पतंजलि आयुर्वेद का एफएमसीजी मार्केट शेयर 6 फीसदी से ज्यादा है.
बाबा का पतंजलि भी विवाद के कम केंद्र में नहीं रहा है. जीएसटी घटने के बावजूद पतंजलि अपने वॉशिंग पाउडर उत्पादों को ज्यादा कीमत पर बेच रही थी जिस पर राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण ने 75.10 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका था. 2016 में पतंजलि की पांच यूनिटों पर गलत प्रचार और गुमराह करने वाले विज्ञापन के लिए हरिद्वार की एक अदालत 11 लाख रुपए का जुर्माना लगा चुकी है. इन यूनिट्स से 16 अगस्त 2012 को बेसन, शहद, कच्ची घानी का सरसों का तेल, जैम एवं नमक के सैंपल रुद्रपुर लैब में फेल हो गए.
रामदेव की दिव्य फार्मेसी की पुत्रजीवक नामक एक औषधि पर काफी बवाल हो चुका है. इसका मामला संसद तक में उछल चुका है. 2017 में आर्मी कैंटीन ने पतंजलि के आंवला जूस को उपभोग के लिए अनुपयुक्त करार देकर इसकी बिक्री पर रोक लगा दी थी. इसी तरह पतंजलि के घी में फंगस लगने का भी प्रकरण सामने आ चुका है. पतंजलि के शर्बत पर अमेरिका की फूड एंड ड्रग एजेंसी (यूएसएफडीए) सवाल खड़े कर चुकी है.
15 अगस्त , 2018 को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने किंभो नामक एक मेसेजिंग ऐप का ट्रायल वर्जन प्ले स्टोर पर लांच किया . यूजर्स से शिकायत मिलने के बाद किंभो ऐप को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया. इसके बाद पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि ऐप के लॉन्च की नई तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी. लेकिन तीन साल बाद इस ऐप का कोई अता पता नहीं हैं. एलियट एंडरसन नाम के एक फ्रेंच सिक्योरिटी रिसर्चर ने तो इस ऐप को सिक्योरिटी के नाम पर मजाक बताया था.
पतंजलि ने 2015 में मैगी की टक्कर में आटा नूडल्स लांच किया. बाद में पता चला कि नूडल्स के उत्पादन के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी से मंजूरी ही नहीं ली गई थी. इस पर एफएसएसआई ने पतंजलि को नोटिस जारी किया. पतंजलि ये नूडल्स आकाश योग नाम की कंपनी से बनवाती थी . सो उसे भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.कई जगह पतंजलि नूडल्स के पैकेट में कीड़े पाये गए.
पतंजलि के ढेरों आइटम स्थापित ब्रांडस की नकल ही दिखते हैं. इनके नाम भी बहुत मिलते जुलते हैं. मिसाल के तौर पर, मैगी के इंग्रेडिएंट्स को लेकर देश भर में विवाद के बाद पतंजलि ने मौके का फायदा उठा कर इंस्टेंट नूडल्स बाजार में उतार इसे स्वदेशी नूडल करार दिया . लेकिन पतंजलि नूडलस की पैकिंग और साइज तक काफी कुछ मैगी जैसा ही था. इसके बाद पतंजलि मैरी बिस्किट ले कर आई. यह ब्रिटेनिया के मारी बिस्किट की नकल थी. कैडबरी की फाइव स्टार चॉकलेट का पतंजलि अवतार भी बाजार में लाया गया जिसका नाम था पतंजलि सुपर स्टार. कैडबरी के बोर्नविटा की नकल में पतंजलि ले आई पावर वीटा. अमेरिकी कंपनी केलॉग्स की नकल में पतंजलि चॉको फ्लेक्स लांच किया गया. इमामी लिमिटेड ने तो ब्रांड की नकल के लिए पतंजलि को कोर्ट तक में घसीट लिया था. पतंजलि ने इमामी के केश किंग तेल का नाम, बॉटल डिजाइन और फॉन्ट स्टाइल भी अपने केश कांति तेल में कॉपी कर ली थी.
पतंजलि के टॉइलेट क्लीनर की पैकेजिंग एक स्थापित ब्रांड हार्पिक टॉयलेट क्घ्लीनर से मेल खाती थी. हार्पिक की निर्माता कंपनी रेकिट बेन्किसर इंडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में पंतजलि के खिलाफ केस दायर कर रखा है. कंपनी ने आरोप लगाया है कि पतंजलि ग्राहकों को अपने उत्घ्पाद को जैविक उत्घ्पाद बताकर भ्रमित कर रही है.
पतंजलि के बादाम केश तेल की बोतल में छोटे अक्षरों में साफ लिखा है कि इसमें 500 मिलीग्राम तिल तेल और मात्र 25 मिलीग्राम बादाम तेल है.पतंजलि के दंतकान्ति टूथपेस्ट को लेकर डेंटल स्पेशलिस्ट चेतावनी देते हैं कि इस टूथपेस्ट के ज्यादा इस्तेमाल से दांतों की एनेमल घिस जाती है. इस टूथपेस्ट में एब्रेसिव (खुरदरे पदार्थ) सामग्री मिली हुई है.
पहले बाबा जीन्स पैंट की बुराई करते दिखाई देते थे, फिर उन्होंने परिधान नामक कपड़ों का ब्रांड लॉन्च किया. जीन्स पैंट भी बनाने लगे. रामदेव पहले लोगों से शक्कर का सेवन करने से मना करते थे . लेकिन बाद में उनके पतंजलि स्टोर पर शक्कर भी बिकने लगी.