हिन्दी संपर्क की भाषा बने, क्षेत्रीय भाषाओं से मुठभेड़ की नहीं

हिन्दी संपर्क की भाषा बने, क्षेत्रीय भाषाओं से मुठभेड़ की नहीं
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हिन्दी (Hindi) दिवस पर विशेष

हिन्दी आज अपने बूते समूचे विश्व में प्रतिष्ठित हो रही है। वह बाजार की भाषा बन चुकी है। यह और बात है कि सत्ता के गलियारों में आज भी हिन्दी दोयम दर्जे की भाषा है।

चाहे स्कूलों में फार्म भरना हो या बैंक में कोई कार्य, बिना अंग्रेजी के उसका पूरा होना कठिन है।

Hindi की वास्तविक शक्ति है यह

यही नहीं यदि आप केवल हिन्दी के जानकार है तो सरकारी सेवाओं में भी बड़े पदों पर आपके लिये अवसर न के बराबर है।

हिन्दी भाषा को विकसित करने में साहित्यकारों, कवियो, सिनेमा, लोक कलाकारों और बड़े व्यापारिक समूहों का सबसे बड़ा योगदान है। यही हिन्दी की वास्तविक शक्ति है।

अच्छा हो कि हिन्दी वैश्विक स्तर पर रोजगार की भाषा बनी रहे और तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड, बंगला, मराठी आदि भाषाओं को भी हिन्दी भाषी प्रतिष्ठा दें।

हिन्दी सम्पर्क की भाषा बने, क्षेत्रीय भाषाओं से मुठभेड़ की भाषा नहीं। हिन्दी पर विलाप अब बंद होना चाहिये।

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Bhartiya Basti